लखनऊ। फर्जी दस्तावेज की मदद से सिम कार्ड लेने के मामले में बिकरु कांड के आरोपी अमर दूबे की पत्नी खुशी दूबे को पुलिस द्वारा किशोर न्याय बोर्ड में पेश किया गया, कोर्ट में बचाव पक्ष ने कहा कि मामले में एसआईटी रिपोर्ट नहीं दी गई है, जिसके बाद बोर्ड ने खुशी का बयान भी दर्ज किया, फिर सुनवाई के लिये अगली तारीख दे दी गई।
पुलिस ने अमर दूबे की पत्नी खुशी पर फर्जी दस्तावेज की मदद से सिम कार्ड लेने का मुकदमा दर्ज कियाथा, जब बोर्ड ने पुलिस से खुशी दूबे के साथ नाबालिग होने के बाद भी बालिग जैसा व्यवहार करने का सवाल किया, तो पुलिस को जवाब देते नहीं बना, जिसके बाद पुलिस की ओर से अजीब तर्क दिये जाने लगे।
बोर्ड के सामने खुशी दूबे ने पुलिस से पूछा, मुझे छोड़ने की बात कही गई थी, लेकिन मेरी जिंदगी बर्बाद की जा रही है, पुलिस चुप क्यों है, इस बात का जवाब पुलिस को देते नहीं बना, दरोगा सिर झुकाये सब सुनते रहे, बता दें कि मामले में खुशी दूबे का दावा है कि वो निर्दोष है, पुलिस उसे फंसाने की कोशिश कर रही है। आपको बता दें कि पिछले साल 2 जुलाई की आधी रात को बिकरु गांव में गैंगस्टर विकास दूबे और उसके गुर्गों ने डीएसपी और एसओ समेत 8 पुलिस वालों को शहीद कर दिया था, एक-एक पुलिस वाले को दर्जनों गोलियां मारी गई थी, जिसके बाद पुलिस और एसटीएफ ने मिलकर 8 दिन के भीतर विकास समेत 6 बदमाशों को एनकाउंटर में ढेर कर दिया था।
इस समय मामले में 45 आरोपित जेल में बंद हैं, केस का ट्रायल जारी है, 2 जुलाई 2020 की रात को चौबेपुर के जादेपुरधस्सा गांव निवासी राहुल तिवारी ने विकास दूबे और उसके साथियों पर हत्या की कोशिश का मुकदमा दर्ज कराया था, मुकदमा दर्ज करने के बाद उसी रात करीब साढे बारह बजे तत्कालीन सीओ बिल्हौर देवेन्द्र कुमार मिश्रा के नेतृत्व में बिकरु गांव में दबिश दी गई, किसी ने थाने से विकास को फोन कर दिया, लेकिन वो भागने के बजाय पहले से ही घात लगाकर बैठा था, घर पर पुलिस को रोकने के लिये जेसीबी लगाई थी, पुलिस के पहुंचते ही बदमाशों ने उन पर छतों से गोलियां चलाना शुरु कर दिया, चंद मिनटों में सीओ देवेन्द्र मिश्रा समेत 8 पुलिस वालों की हत्या कर बदमाश फरार हो गये थे।