नई दिल्ली। दुनियाभर में कोरोना वैक्सीनेशन (Covid Vaccination) की रफ्तार बढ़ने के साथ ही अब वैक्सीन पासपोर्ट (Vaccine Passport) पर भी बहस जारी है. हालांकि भारत का रुख अब तक वैक्सीन पासपोर्ट के विरुद्ध रहा है. इसके तकनीकी कारण हैं. अब विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा है कि भारत वैक्सीन पासपोर्ट पर भी चर्चा का समर्थन करता है लेकिन वैक्सीन की उपलब्धता सबसे बड़ा मुद्दा है. हालांकि उन्होंने साफ किया कि भारत द्वारा वैक्सीन पासपोर्ट जारी किए जाने को लेकर उन्हें कोई जानकारी नहीं है.
इससे पहले G-7 देशों के महत्वपूर्ण सम्मेलन से पहले स्वास्थ्य मंत्री डॉ. हर्षवर्धन ने इसे लेकर कठोर आपत्ति जाहिर की थी. G7 Plus मिनिस्ट्रियल सेशन के दौरान डॉ. हर्षवर्धन ने कहा था कि अभी वैक्सीन पासपोर्ट को अनिवार्य करना सही नहीं है. उन्होंने कहा, ‘विकसित देशों के मुकाबले विकासशील देशों में अभी लोगों के वैक्सीनेशन का प्रतिशत काफी कम है. इस स्थिति में ऐसी कोई भी पहल भेदभावपूर्ण हो सकती है.’
बोरिस जॉनसन ने की है वकालत
दरअसल जून की शुरुआत में बोरिस जॉनसन ने संकेत दिए थे कि G-7 सम्मेलन के दौरान ‘वैक्सीन पासपोर्ट’ को लेकर सहमति बनाने की कोशिश की जा सकती है. जॉनसन का प्रस्ताव अंतरराष्ट्रीय यात्राओं को आसान बनाने का था लेकिन इसमें अभी कई समस्याएं हैं. क्योंकि कई देश ऐसे भी हैं जहां पर अभी मैन्यूफैक्चरिंग या फिर अन्य समस्याओं की वजह से वैक्सीनेशन पूरी रफ्तार नहीं पकड़ सका है.
वहीं अरिंदम बागची ने बताया कि विदेश मंत्री एस. जयशंकर की कतर यात्रा के दौरान अफगानिस्तान के मुद्दे पर बातचीत हुई. अफगान शांति को लेकर अमेरिका के विशेष प्रतिनिधि ज़ालमे खालिज़ाद भी विदेश मंत्री की यात्रा के दौरान दोहा में मौजूद थे. उन्होंने एस. जयशंकर से मुलाकात कर अफगानिस्तान शांति प्रक्रिया में हुई बढ़ोतरी के बारे में जानकारी दी.