लखनऊ। कानपुर जिले के चौबेपुर एसओ के खिलाफ शिकायत का दूसरा पत्र भी सामने आया है। सीओ की शिकायत पर तत्कालीन डीआईजी अनंत देव ने थानेदार के खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं की तो विधायक ने पूरे मामले की डीजीपी से शिकायत की थी। इसके बाद जांच शुरू हुई तो सीओ पर चौबेपुर एसओ झल्लाए हुए थे। इसके चलते उन्होंने दबिश से पहले विकास के आतंक की जानकारी नहीं दी और बिकरू कांड हो गया।
बिल्हौर के विधायक भगवती सागर ने 16 जून को डीजीपी को पत्र में लिखा था, चौबेपुर एसओ विनय तिवारी अपने थाना क्षेत्र के जरारी गांव में जुआ खिलवाने के बदले एक लाख रुपए प्रति माह लेते हैं। कानपुर नगर से रोज 40 धनाड्य जुआ खेलने आते हैं। तीन महीने से गांव में लाखों का जुआ कराया जा रहा है। इसकी जानकारी होने पर सीओ बिल्हौर देवेंद्र मिश्रा ने 7 मार्च को थानेदार को बगैर बताए दबिश मारी और जुआरियों को दबोच लिया था। मौके से 75 हजार रुपए भी बरामद हुए थे।
पत्र में यह भी लिखा है, इसके साथ ही दूसरा मामला चौबेपुर के बंदीमाता रोड फत्तेपुर गांव के जयवर्धन से 20 हजार रुपए वसूली का है। थानेदार ने जयवर्धन को पेट्रोल बेचने के आरोप में दबिश देकर उठाया था। इसी तरह थानेदार की वसूली से गरीब जनता परेशान है। सीओ ने तत्कालीन डीआईजी अनंत देव से बार-बार थानेदार की शिकायत की, लेकिन उसके खिलाफ कोई कार्रवाई नहीं हुई। इससे यह साफ है कि थानेदार के अवैध कामों में अफसरों की साठगांठ से हो रहे हैं। मामले में डीजीपी कार्यालय से एक टीम गठित करके पूरे मामले की जांच कराने के बाद दोषियों पर कार्रवाई करें।
एसओ के खिलाफ बैठा दी थी जांच
16 जून को डीआईजी अनंत देव का ट्रांसफर हो गया। अगले दिन सीओ विधायक का पत्र लेकर खुद डीजीपी कार्यालय में रिसीव करा आए थे। विधायक की शिकायत को संज्ञान में लेते हुए पूरे मामले में जांच बैठा दी गई थी। 28 जून को लखनऊ से एक टीम मामले की जांच करने आई थी। टीम ने सीओ ऑफिस में तैनात रामवीर, चौबेपुर थाने के दरोगा कुंवरपाल, जुआ की सूचना देने वाले ग्रामीण विजय तिवारी समेत 15 पुलिस कर्मियों के बयान दर्ज किए थे। तत्कालीन चौबेपुर एसओ विनय तिवारी से बंद कमरे में तीन घंटे तक पूछताछ हुई थी।
सीओ से दुश्मनी भुनाने में हुआ बिकरू कांड
जांच में सामने आया है कि सीओ के बार-बार शिकायत करने से चौबेपुर के पूर्व एसओ विनय तिवारी झल्लाए हुए थे। इसके चलते उन्होंने सीओ देवेंद्र मिश्रा को विकास के आतंक और धमकी की कोई जानकारी नहीं दी। सीओ ने तीन थानों के फोर्स के साथ दबिश दी तो चौबेपुर एसओ के साथ ही थाने के एक-एक कर्मचारी को हमले की आशंका थी। इसीलिए चौबेपुर थाने का पूरा स्टाफ पीछे रह गया था।
भगवती सागर, विधायक, बिल्हौर विधानसभा क्षेत्र ने बताया कि थानेदार को तत्कालीन एसएसपी का इतना संरक्षण था कि सीओ की बार-बार शिकायत के बाद भी कार्रवाई नहीं हो रही थी। पब्लिक की लगातार शिकायतों से मैं भी परेशान हो गया था। इसके चलते डीजीपी से थानेदार की शिकायत की थी। पत्र लिखने के बाद सीओ से ही कहा था कि डीजीपी ऑफिस पहुंचा देना। इसके चलते तारीख पत्र में नहीं डाली थी।
मोहित अग्रवाल, आईजी रेंज ने बताया कि सीओ की शिकायत पर अगर थानेदार के खिलाफ कार्रवाई हो जाती तो शायद मामला यहां तक नहीं पहुंचता। थानेदार की हर कदम पर गलती सामने आई है। मामले की जांच की जा रही है।