लखनऊ। जनजीवन को अपने कहर से कैद कर चुके कोरोना ने दुनिया को अनिश्चितता में धकेल दिया है। अर्थतंत्र पर आपात खर्चों की चोट के साथ कारोबार-धंधों के भविष्य पर भी कुहासा छाया हुआ है। ऐसे में देश की अर्थव्यवस्था को बड़ा आधार देने वाली सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम (एमएसएमई) ने उम्मीद का रास्ता दिखाया है। आवश्यक वस्तुओं की आपूर्ति के लिए एमएसएमई विभाग ने जिस तरह हेल्थ प्रोटोकॉल का पालन करते हुए उत्तर प्रदेश में 5720 छोटी इकाइयां चलाई हैं, उनसे बाकी उद्योगों को चलाने का फार्मूला भी सरकार को मिल सकता है।
कोरोना संक्रमण की देश में आहट तेज होने के साथ ही प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने देश में 21 दिन का लॉकडाउन घोषित कर दिया, जिसकी अवधि मंगलवार को खत्म हो रही है। लॉकडाउन आगे बढ़ेगा या नहीं? यह मंगलवार को ही प्रधानमंत्री तय करेंगे, मगर उत्तर प्रदेश सरकार ने तय कर लिया है कि अब स्वास्थ्य सुरक्षा मानकों का पालन करते हुए विकास, निर्माण और औद्योगिक गतिविधियों को शुरू किया जाएगा, ताकि प्रदेश को धीरे-धीरे फिर पटरी पर लाया जा सके। इसके लिए मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने वरिष्ठ मंत्रियों की अध्यक्षता में 11 कमेटियों का गठन भी कर दिया है।
एमएसएमई मंत्री सिद्धार्थनाथ सिंह और प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने उद्यमियों से बात कर, सभी स्वास्थ्य मानकों की निगरानी व्यवस्था बनाकर धीरे-धीरे अब तक कुल 5720 छोटी इकाइयां शुरू करा दीं। इनका संचालन हो रहा है और कहीं से भी कोई शिकायत नहीं आ रही। कोई श्रमिक बीमार नहीं मिला या उनकी वजह से संक्रमण नहीं फैला। इस सफलता को देखते हुए पूरी उम्मीद है कि बाकी औद्योगिक इकाइयों को उसी सख्त निगरानी और सतर्कता के साथ अब शुरू किया जा सकता है।
एमएसएमई प्रमुख सचिव डॉ. नवनीत सहगल ने बताया कि 5720 छोटी इकाइयों को हमने सफलतापूर्वक संचालित किया है। उद्योगों को कैसे चलाया जाना है, इसकी पूरी कार्ययोजना हम बना चुके हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश मिलते ही उस पर काम शुरू कर दिया जाएगा।
सरकार का तालमेल और उद्यमियों की सजगता जरूरी : वैश्य
इंडियन इंडस्ट्रीज एसोसिएशन के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष सुनील वैश्य ने बताया कि सरकार और स्थानीय प्रशासन के तालमेल के साथ प्रदेश में एमएसएमई इकाइयां जरूरत के अनुसार शुरू की गईं। बाकी औद्योगिक इकाइयों को भी उन्हीं सावधानियों के साथ शुरू किया जा सकता है। उद्यमियों को अपनी जिम्मेदारी समझनी होगी। कहीं कोई समस्या नहीं आएगी। उन्होंने बताया कि गत दिवस कानपुर में संचालित करीब दस फैक्ट्रियों का औचक निरीक्षण जिला प्रशासन के साथ किया। सभी जगह बेहतर सुरक्षा प्रबंध मिले।
ये अपनाया तरीका
- शारीरिक दूरी का पालन सबसे अहम रखा गया है। इसके लिए जरूरत के अनुसार ही श्रमिक बुलाए गए।
- हर फैक्ट्री के गेट पर सेनिटाइजर और थर्मल स्क्रीनिंग की व्यवस्था की गई।
- जहां परिसर में सुविधा थी, वहीं श्रमिकों के रहने की व्यवस्था की गई।
- घर आने-जाने वाले श्रमिकों के लिए फैक्ट्री की तरह से ही बस का प्रबंध किया गया।
- इस बात का खास ख्याल कि किसी भी श्रमिक या प्रबंधन के कर्मी को कोरोना के लक्षण पर नजर रखी गई।
- श्रमिकों के घर से खाना लाने की मनाही। अधिकांश फैक्ट्रियों में ही स्वच्छता के साथ भोजन बनवाया गया।
- अब तो फैक्ट्री-कारखानों के गेट पर सेनिटाइजर टनल का इस्तेमाल किया जा सकता है।