“ओ भैये, खोते दे पुतर डांग फेरनी है मैं तेरे ते”
“नाही बाबू जी ग़लती हो गया, अबकी बार नही होगा।”
पहला वाक्य एक पंजाबी अमीर जादे का है, दूसरा बिहार के एक प्रवासी मजदूर का। दरअसल हरियाणा, पंजाब या और कोई भी जगह हो बिहारियों को गाली बना दिया गया है। इनमें से 90% लोग वो है जिन्होंने स्वयं बिहार नही देखा है, बाकी के 10% ने देखा है तो सिर्फ हेय दृष्टि से। अब आप क्या सोचते है कि ये लोग बिहारियों के दुःख दर्द को समझेंगे.? अजी क्या बात करते हो आप लोग.. ये वो लोग है जो पड़ोसियों के घर पर जवान मौत होने पर भी dj बजा के शादी कर लाते है।
आप इन लोगो मे अपने लिए आत्मीयता ढूंढेंगे.? यहां फैशन चलता है बाबू जी, यहां अमिताभ सर, फरहान अख़्तर, जेठालाल मुम्बई की 8 दिन की बाढ़ के लिए मदद की गुहार लगाते दिखेंगे, यहां लोगो के दिल फट जाएंगे कि हाय! केरल में क्या हुआ.? देश के हर हिस्से की आपदा… सबसे बड़ी त्रासदी होती है… लेकिन बिहार… अरे भाई कैसी बात करते हो बिहारी कोई इंसान थोड़ी न है… मरने दो।
क्या सरकार, क्या पत्रकार, क्या लेखक, सबके सब मौन रख कर बैठे है। मुझे समझ नही आता आखिर बिहार का दोष क्या है.? क्या यही दोष है बिहार का कि वो भारत की संस्कृति की आत्मा है? क्या यह दोष है कि कभी पाटलीपुत्र से हिन्दकुश की तरफ धर्म ध्वजा इसी धरती के लाल फहरा कर आये थे.? क्या ये दोष है कि भारत के जो काम बाकी जगह के लोग 10हजार में करते है ये 6000 में भाग कर कर देते है.? या फिर ये दोष है कि आज भी इन बिहारियों ने अपने गांवों को जिंदा रखा है?
दरअसल पूरा भारत बिहारी को इसलिए ऐसे देखता है कि वो खुद को अंग्रेज समझने लगा है, वरना जो बाढ़ आज बिहार में आई है वो किसी भी और जगह आ गई होती तो अब तक सारे न्यूज चैनल, सारे फेसबुकिया लेखक, बुद्धिजीवी, नेता, एक्टर सब चीत्कार के कहते, “हाये! देखिए क्या हो गया, बचाइए, अपनी तनख्वाह दान कीजिये।”
परन्तु बिहार के लिए कोई आगे नही आएगा, कम से कम आप लोग तो जागिये, अरे लिखिए, कहिये, बोलिये, ओर कुछ नही तो कॉपी कर कीजिये मेरे जैसे अनपढ़ का लिखा, शेयर कीजिये, बताइये बिहार को कि बिहार अकेला नही है, समझाइए देश को की ये बिहारी हमारे देश की जान है। उतनी “आत्मीयता” भी यदि हम नही दिखा सकते तो सच्चे भारतीय कहलाने में गर्व मत करिएगा।
लोकेश शर्मा