कोलकाता। मोदी सरकार की कैबिनेट के आर्थिक रूप से पिछड़े सवर्णों को 10 प्रतिशत आरक्षण देने के फैसला पर तृणमूल कांग्रेस की मुखिया और पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी ने सवाल उठाया है. सीएम ममता ने केंद्र सरकार पर आरोप लगाते हुए कहा कि मैं केंद्र सरकार से पूछना चाहती हूं कि क्या चुनाव के नाम पर सरकार लोगों के साथ धोखा कर सकती है. उन्होंने कहा कि सरकार देश के बेरोजगार युवाओं को ठगने का काम कर रही है.
सीएम ममता बनर्जी ने कहा कि केंद्र सरकार को इस फैसले पर सफाई देनी चाहिए. उन्होंने कहा कि क्या ये केवल चुनाव जीतने के लिए किया गया फैसला है. उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार को बताना चाहिए कि ये फैसला लागू होगा या नहीं और यह फैसला संवैधानिक और कानूनी रूप से सही है या नहीं. गौरतलब है कि लोकसभा चुनाव से पहले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अगुवाई वाली केंद्र सरकार ने सवर्णों को सरकारी नौकरी और शिक्षा में 10 फीसदी आरक्षण देने का फैसला लिया है. इस फैसले के अनुसार, हर धर्म की सवर्ण जातियों को आर्थिक आधार पर 10 फीसदी आरक्षण दिया जाएगा.
हालांकि, सवर्ण जातियों के आरक्षण पर सरकार की डगर काफी मुश्किल से भरी नजर आ रही है, क्योंकि सुप्रीम कोर्ट इससे पहले भी कई बार आर्थिक आधार पर आरक्षण देने के फैसलों पर रोक लगा चुका है. वहीं, इस स्थिति से बचने के लिए केंद्र सरकार मंगलवार (8 जनवरी) को संसद में संविधान संसोधन का विधेयक लाएगी. इस फैसले पर कांग्रेस नेता और वरिष्ठ वकील केटीएस तुलसी ने मोदी सरकार के इस फैसले को मजाक बताया है. उन्होंने कहा कि ये लोग जनता को बेवकूफ बनाने का काम कर रहे हैं, इस बिल को ये पास भी नहीं करवा सकते हैं. उन्होंने कहा कि अगर कोई साधारण बिल पास नहीं हो पा रहा है तो फिर ये बिल कैसे पास हो पाएगा.
बीएसपी के नेता सतीशचंद्र मिश्रा ने कहा, बिल को आने दीजिए ऐसा होना बहुत मुश्किल है. ये झूठ बोल रहे हैं. आम आदमी पार्टी के नेता संजय सिंह ने कहा, 10% आरक्षण बढ़ाने के लिये संविधान संशोधन करना होगा. सरकार विशेष सत्र बुलाये हम सरकार का साथ देंगे वरना ये फ़ैसला चुनावी जुमला मात्र साबित होगा.
रालोसपा के प्रमुख और हाल में एनडीए से अलग हुए उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, जिस देश में जिन्हें पहले से आरक्षण मिला है उनकी स्थिति में सुधार नहीं है. पहले इनकी स्थिति ठीक हो जाए उसके बाद ही सरकार इनके लिए कुछ कर सकती है. लेकिन ये जुमला है और कुछ नहीं है.
एलजेपी नेता चिराग पासवान ने कहा, LJP पूरी तरीके से इस कदम का स्वागत करती है. गरीबी की एक जाति होती है. हम चाहते थे 15 फीसदी. लेकिन 10 फीसदी मिला है. प्रमुखता से कहना कि अभी की स्थिति में बिना कोई बदलाव किए ऐसा किया जाएगा.
लालू यादव के बेटे तेजस्वी यादव ने कहा, आरक्षण आर्थिक स्थिति को सुधारने के लिए नहीं थी. जनभागीदारी बराबर के लिए प्रावधान था. आर्थिक स्थिति को ठीक करना था तो 15-15 लाख दे देते पीएम मोदी. आरजेडी के दूसरे नेता शिवानन्द तिवारी ने सवर्णों के आरक्षण को एक छलावा बताया.