जानिए तिब्बत पर चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग को क्यों डबल टेंशन, भारत से सटी सीमा को लेकर यह दिया आदेश

चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग इन दिनों तिब्बत को लेकर काफी परेशान हैं। तमाम कोशिशों के बावजूद तिब्बतियों का मन बदलने में नाकाम रहे चीन को एक तरफ अलगाववाद की टेंशन है तो दूसरी तरफ भारत के साथ लगती सीमा पर मुंह की खाने के बाद सुरक्षा को लेकर भी नींद उड़ गई है। तिब्बत को लेकर पांच साल बाद हुई बड़ी बैठक में शी चिनपिंग के मुंह से निकले एक-एक शब्द में चिंता और बेचैनी थी।

जून में भारत के साथ पूर्वी लद्दाख में खूनी संघर्ष के बाद हुई ‘तिबब्त पॉलिसी बॉडी’ की हाई लेवल मीटिंग में चीन के राष्ट्रपति ने भारत के साथ लगती सीमा की सुरक्षा सुनिश्चित करने पर जोर दिया। शी जिनपिंग ने कहा कि सीमा की सुरक्षा सर्वोच्च प्राथमिकता में होनी चाहिए। सरकारी न्यूज एजेंसी शिन्हुआ के मुताबिक, शी ने पार्टी, सरकार और सैन्य नेतृत्व को सीमा सुरक्षा को मजबूत करने और सुरक्षा सुनिश्चत करने को कहा। साथ ही भारत के साथ लगती सीमा वाले क्षेत्र में सुरक्षा, शांति और स्थिरता सुनिश्चित करने का आदेश दिया।

भारत-चीन के बीच सीमा का अधिकांश हिस्सा तिब्बत से ही जुड़ा हुआ है, जिस पर 1950 में चीन ने कब्जा जमा लिया था। इसी सीमा पर पूर्वी लद्दाख में जून में दोनों देशों के सैनिकों के बीच हिंसक झड़प हुई, जिसमें 20 भारतीय जवान शहीद हो गए, लेकिन चीन ने अपने हताहत सैनिकों की संख्या का खुलासा अभी तक नहीं किया है। इसके बाद से दोनों देशों में कूटनीतिक और सैन्य स्तर पर कई दौर की बातचीत हुई है लेकिन समाधान नहीं हो सका है।

शी तिब्बत पर आयोजित सातवें केंद्रीय सेमिनार में बोल रहे थे जो शनिवार को बीजिंग में संपन्न हुआ। यह तिब्बत पॉलिसी पर देश का सबसे अहम मंच है जिसपर 2015 के बाद पहली बार चर्चा हुई है। शिन्हुआ की तरफ बाद में जारी एक रिपोर्ट में सीमा सुरक्षा पर शी के बयानों को शामिल नहीं किया गया। शीन ने लोगों को जागरूक करने का आदेश देते हुए कहा कि क्षेत्र में स्थिरता बनाए रखने के लिए अलगाववाद के खिलाफ अभेद्य किले का निर्माण करें। साथ ही तिब्बती बौद्ध धर्म का ‘सिनीकरण’ करने का आह्वान किया है।

सिनीकरण का अर्थ है गैर चीनी समुदायों को चीनी संस्कृति के अधीन लाना और इसके बाद समाजवाद की अवधारणा के साथ चीनी कम्युनिस्ट पार्टी की राजनीतिक व्यवस्था उस पर लागू करना। चीन सालों से यहां भारत में निर्वासित बौद्ध धर्म गुरु दलाई लामा के प्रभाव को कम करने की कोशिश कर रहा है। इस बीच अमेरिका ने भी तिब्बत के मुद्दे को जोर-शोर से उठाना शुरू कर दिया है।