प्रयागराज। CAA protest In UP : उत्तर प्रदेश में नागरिकता संशोधन कानून (CAA) के विरोध में प्रदर्शन करने वालों के साथ पुलिस की ज्यादती के मामले में इलाहाबाद हाई कोर्ट ने राज्य सरकार और याचियों के अधिवक्ताओं को शपथपत्र दाखिल करने का निर्देश दिया है। याचिकाओं पर अगली सुनवाई 18 मार्च को होगी।
सीएए को लेकर दाखिल याचिकाओं की सुनवाई मुख्य न्यायमूर्ति गोविंद माथुर व न्यायमूर्ति सिद्धार्थ वर्मा की खंडपीठ कर रही है। कोर्ट के निर्देश पर उत्तर प्रदेश सरकार के अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने घटना से संबंधित रिपोर्ट कोर्ट में प्रस्तुत की। उन्होंने बताया कि 20 और 21 दिसंबर 2019 को सीएए के विरोध में प्रदर्शन करने के दौरान प्रदेशभर में 22 लोगों की मौत हुई थी, जबकि 83 लोग घायल हुए। इसमें 45 पुलिस कर्मचारियों और अधिकारियों को गंभीर चोटें आयी हैं।
अपर महाधिवक्ता मनीष गोयल ने घायलों की सूची भी प्रस्तुत की और कोर्ट को बताया कि घायलों को उपचार उपलब्ध कराने के लिए 24 घंटे एंबुलेंस सेवा उपलब्ध रखी गई थी। स्पष्ट किया कि यह कहना गलत है की सरकारी एंबुलेंस पर किसी प्रकार की रोक लगाई गई थी। घायलों को उपचार की पूरी सुविधा दी गई। पुलिस और प्रशासन के वरिष्ठ अधिकारियों ने अस्पतालों में जाकर उनका हालचाल भी जाना। उन्होंने बताया कि बलवा और तोड़फोड़ की घटनाओं के सिलसिले में प्रदेशभर में 883 लोगों को गिरफ्तार किया गया था, जिनमें से 561 लोग जमानत पर बाहर आ चुके हैं, जबकि 322 लोग अभी भी जेल में हैं। इनमें 111 लोगों की जमानत अर्जी अदालतों में लंबित है।
अपर महाधिवक्ता ने बताया कि घटना के सिलसिले में पुलिस कर्मियों के खिलाफ आठ शिकायतें प्राप्त हुई हैं, उसे जांच का हिस्सा बनाया गया है। दो शिकायतें अदालतों में दाखिल की गई। इस प्रकार से नागरिकों की ओर से पुलिस वालों के खिलाफ 10 शिकायतें प्राप्त हुई है, जिनकी जांच की जा रही हे। कोर्ट ने कानपुर के बाबू पुरवा में मो. कासिम को गोली मारने के मामले में पूछा कि क्या घायल का किसी मजिस्ट्रेट द्वारा बयान लिया गया है या नहीं? इस पर सरकारी वकील का कहना था कि वह इस बारे में जानकारी लेकर शीघ्र ही कोर्ट को अवगत कराएंगे, जबकि याची पक्ष के वकीलों का कहना था कि अभी तक घायल का कोई बयान नहीं लिया गया है।
कोर्ट ने एसआइटी जांच के बारे में भी जानकारी मांगी कि क्या कोई ऐसी अधिसूचना जारी की गई है? इस पर सरकारी वकील ने कहा कि जांच के लिए शासन ने निर्देश जारी किए थे। अजय कुमार की ओर से दाखिल याचिका का विरोध करते हुए अधिवक्ता का कहना था कि न्यूयार्क टाइम्स और अखबारों में प्रकाशित समाचारों की जांच में पाया गया है कि यह समाचार सही नहीं है। बताया गया कि समाचार पत्रों में अलग-अलग सूचनाएं प्रकाशित हैं। याची के पास घटना को लेकर कोई निजी जानकारी नहीं है। उन्होंने मात्र समाचार पत्रों के आधार पर ई-मेल भेजकर याचिका दाखिल की है। जो कि सही तरीका नहीं।
इस पर कोर्ट का कहना था कि हमारे पास याचिका पर सुनवाई करने के पर्याप्त आधार हैं। सरकारी वकील की ओर से मृतकों की पोस्टमार्टम रिपोर्ट व एफआइआर की कॉपी इत्यादि भी अदालत में दाखिल की गई। कोर्ट ने याची पक्ष के वकीलों को 16 मार्च तक अपने जवाब और दस्तावेज इत्यादि दाखिल करने का निर्देश दिया है।
एएमयू मामले की सुनवाई टली
सीएए को लेकर विरोध के दौरान अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (एएमयू) के छात्रों पर पुलिस कार्रवाई के खिलाफ इलाहाबाद हाई कोर्ट में दाखिल याचिकाओं की सुनवाई टल गई है। याचिकाओं पर कोर्ट में सोमवार को सुनवाई होनी थी। कोर्ट ने इस मामले में मानवाधिकार आयोग को जांचकर अपनी रिपोर्ट देने को कहा था। आयोग के अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि अभी तक उन्हें आयोग की ओर से कोई दिशा-निर्देश प्राप्त नहीं हुआ है। इस पर कोर्ट ने उक्त मामले में अगली सुनवाई की तारीख 24 फरवरी तय कर दी है।