मां के बनाए काजल की कालिख से मुनव्वर राना ने अपना चेहरा काला कर लिया

दयानंद पांडेय यह अच्छा ही हुआ कि मुनव्वर राना के खिलाफ उत्तर प्रदेश पुलिस ने सांप्रदायिक विद्वेष…

अभिव्यक्ति की आजादी की लक्ष्मण रेखा कहां हो…

चंद्र भूषण पांडे लोकतंत्र अपने वसूलों पर चलता है। लोकतंत्र में परंपराओं का बड़ा महत्व है।…

जनसंघ: ‘राष्ट्रवाद’ को आवाज देने वाला पहला राजनीतिक दल, जिसके कार्यकर्त्ता सीमा से सियासत तक डटे रहे

विभव देव शुक्ला देश के एक राजनीतिक दल से कितनी आशा की जानी चाहिए? एक राजनीतिक…

‘परमबीर सिंह ने 26/11 मुंबई हमले के दौरान आतंकियों का मुकाबला करने से इनकार किया था’: पढ़िए उनका ‘काला-चिट्ठा’

26/11 के मुंबई आतंकवादी हमलों के दौरान मुंबई के पुलिस आयुक्त रहे हसन गफूर ने परम…

योगी ने खुद को साबित कर दिया

राजेश श्रीवास्तव अगर आपसे पूछा जाए कि पूरे देश में आपको कौन से मुख्यमंत्री का नाम…

भारत के परिपेक्ष्य में निरर्थक शब्द मात्र है सेक्युलरिज्म

सर्वेश तिवारी श्रीमुख मुझे मेरे एक मित्र ने कहा कि ‘सेक्युलरिज्म’ को परिभाषित कीजिये। मैं हमेशा…

गद्दारी और खुद्दारी के दो पाटों में फँसे हैं प्रत्याशी

“मध्यप्रदेश में हो रहे विधानसभा उपचुनाव में उतरे प्रत्याशियों की स्थिति लुटे हुए मेले के मदारियों…

लोहिया की नसीहत; लोकतंत्र में विपक्ष का मतलब विरोधी नहीं

जयराम शुक्ल डाक्टर राममनोहर लोहिया के व्यक्तित्व के इतने आयाम हैं जिनका कोई पारावार नहीं। उनसे…

फिर भी जलती रहेगी लोहिया के विचारों की मशाल (पुण्यस्मरण)

जयराम शुक्ल राजनीति ऐसा तिलस्म है कभी सपनों को यथार्थ में बदल देता है तो कभी…

जेपी और नानाजी: राजनीति के जंगल में शुचिता के द्वीप..!

जयराम शुक्ल अक्टूबर का महीना बड़े महत्व का है। पावन,मनभावन और आराधन का। भगवान मुहूर्त देखकर…