देश के मुख्य न्यायाधीश जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सुप्रीम कोर्ट की बेंच की फटकार के बाद तमिलनाडु के गवर्नर आर एन रवि डीएमके नेता के.पोनमुडी को मंत्री पद की शपथ दिलाने को तैयार हो गए हैं। उन्होंने पोनमुडी को शपथ लेने के लिए न्योता भेजा है। अटॉर्नी जनरल आर वेंकटरमणि ने आज सुप्रीम कोर्ट को गवर्नर के बदले रुख से अवगत कराया है। अटॉर्नी जनरल ने कहा कि राज्यपाल आर एन रवि ने पोनमुडी को आज दोपहर साढ़े तीन बजे मंत्री पद की शपथ लेने के लिए आमंत्रित किया है।
एक दिन पहले ही CJI ने गवर्नर को इस बात के लिए ताकीद किया था कि वह कोर्ट की अवमानना कर रहे हैं। शीर्ष न्यायालय ने गुरुवार को पोनमुडी को राज्य मंत्रिमंडल में मंत्री के रूप में फिर से शामिल करने से इनकार करने पर तमिलनाडु के राज्यपाल आर एन रवि के आचरण पर ‘‘गंभीर चिंता’’ जताई थी। शीर्ष अदालत ने राज्यपाल को 24 घंटे के भीतर निर्णय लेने का निर्देश देते हुए कहा था कि वह अदालत की अवहेलना कर रहे हैं।
राज्य के मुख्यमंत्री एम के स्टालिन की सिफारिश के बावजूद, राज्यपाल ने पोनमुडी को फिर से मंत्रिमंडल में शामिल कराने से इनकार कर दिया था। पोनमुडी की आय से अधिक संपत्ति के मामले में दोषसिद्धि और तीन साल की सजा पर शीर्ष अदालत ने हाल में रोक लगा दी थी। पोनमुडी को मंत्री बनाने से इनकार करते हुए राज्यपाल ने कहा था कि सजा पर रोक लगी है, केस से बरी नहीं हुए हैं। इस पर सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि दोष सिद्धि के आदेश को गवर्नर चुनौती दे रहे हैं।
प्रधान न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़, न्यायमूर्ति जे बी पारदीवाला और न्यायमूर्ति मनोज मिश्रा की पीठ ने हैरानी जताते हुए कहा था कि राज्यपाल कैसे कह सकते हैं कि पोनमुडी की दोबारा नियुक्ति संवैधानिक नैतिकता के खिलाफ होगी। पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा, ‘‘अटॉर्नी जनरल, हम राज्यपाल के आचरण को लेकर काफी चिंतित हैं। हम इस अदालत में सख्त लहजे में नहीं कहना चाहते, लेकिन वह उच्चतम न्यायालय की अवहेलना कर रहे हैं। जिन लोगों ने उन्हें सलाह दी है, उन्होंने उन्हें ठीक से सलाह नहीं दी है। अब राज्यपाल को न्यायालय द्वारा दोषसिद्धि पर रोक के बारे में सूचित करना होगा।’’
पीठ ने अटॉर्नी जनरल से कहा था, “अगर कल (शुक्रवार) तक राज्यपाल अपना पक्ष नहीं सुनाते हैं, तो हम उन्हें संविधान के अनुसार कार्य करने का निर्देश देते हुए एक आदेश पारित करेंगे।’’सुनवाई की शुरुआत में तमिलनाडु सरकार की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता अभिषेक सिंघवी ने कहा था कि आजाद भारत के इतिहास में यह अभूतपूर्व घटना है कि राज्यपाल ने मुख्यमंत्री की सिफारिश के अनुसार कार्य करने से इनकार कर दिया।
बता दें कि सुप्रीम कोर्ट तमिलनाडु सरकार द्वारा दायर उस याचिका पर सुनवाई कर रही थी, जिसमें पोनमुडी को मंत्रिमंडल में फिर से शामिल करने के लिए मुख्यमंत्री की सिफारिश को स्वीकार करने के संबंध में राज्यपाल को निर्देश देने का अनुरोध किया गया था।