शराब घोटाले में गिरफ्तार दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल ने अपनी याचिका सुप्रीम कोर्ट से वापस ले ली है। इससे पहले उनके वकील अभिषेक मनु सिंघवी ने शीर्ष अदालत से गुहार लगाते हुए कहा था कि उनकी याचिका तत्काल सुनी जाए, क्योंकि प्रक्रिया चलती रही तो पहला वोट पड़ने से पहले कई वरिष्ठ नेता जेल में होंगे। इसके बाद मुख्य न्यायाधीश (CJI) सुनवाई के लिए राजी हो गए थे। लेकिन प्रवर्तन निदेशालय (ED) की ओर से कैविएट याचिका दाखिल होते ही उन्होंने अपनी याचिका वापस ले ली।
इस मामले में सरकार की तरफ से पेश हुए सॉलीसीटर जनरल तुषार मेहता ने ED की तरफ से कैविएट दाखिल किया था। तुषार मेहता ने सुनवाई के पहले सुप्रीम कोर्ट से अपील की थी कि ED का पक्ष सुने बिना केजरीवाल की गिरफ्तारी पर कोई निर्णय ना लिया जाए।
CM केजरीवाल की इस याचिका पर सुनवाई जस्टिस खन्ना की अगुवाई वाली बेंच को करनी थी। इस बेंच में जस्टिस खन्ना के अलावा जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस एमएम सुन्दरेश शामिल थे। हालाँकि, इस पर कोई बहस होती इससे पहले ही याचिका को वापस ले लिया गया।
सिंघवी ने इस मामले को सबसे पहले चीफ जस्टिस डीवाई चंद्रचूड़ के सामने रखा था। उन्होंने इस मामले में तुरंत सुनवाई की माँग की थी। सिंघवी ने चीफ जस्टिस से कहा कि यदि इसकी सुनवाई में देरी हुई तो लोकसभा चुनावों के मतदान से पहले कई नेता जेल में होंगे। चीफ जस्टिस चंद्रचूड़ ने इस मामले को जस्टिस संजीव खन्ना की अगुवाई वाली बेंच को भेज दिया था। जस्टिस खन्ना ने कहा था कि वह एक मामले की सुनवाई के बाद इस याचिका की सुनवाई करेंगे।
दिल्ली CM केजरीवाल की गिरफ्तारी से पहले ED उन्हें 9 बार पूछताछ के लिए बुला चुकी थी। उन्हें नवम्बर 2023 से लगातार ED समन भेज रही थी लेकिन वह हर बार कोई ना कोई कारण देकर इनसे बचते रहे थे। उन्होंने ED की पूछताछ से बचने को हाई कोर्ट का भी रास्ता अख्तियार किया था।
केजरीवाल की याचिका पर सुनवाई करते हुए दिल्ली हाई कोर्ट ने भी उनकी गिरफ्तारी पर कल रोक लगाने से इनकार कर दिया था जिसके बाद रात में ED की टीम उनके आवास पहुँच कर उन्हें गिरफ्तार कर ले गई। उनकी पार्टी ने गिरफ्तारी को लेकर सुप्रीम कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।