नई दिल्ली। लद्दाख में भारत और चीन (India-China) के बीच बढ़ते तनाव के बीच दोनों देशों की सेना किसी भी स्थित से निपटने के लिए तैयार हो रही है. जहां आर्मी चीफ जनरल एम एम नरावणे लद्दाख के दौरे पर हैं वहीं जानकारों का मानना है कि अगर भारत और चीन के बीच युध्द होता है तो भारतीय सेना चीनी सेना पर भारी पड़ सकती है और चीन को इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है.
इस साल मार्च 2020 में प्रकाशित हावर्ड केनडी स्कूल के बेल्फर सेंटर फार साइंस एंड इंटरनेशनल अफेयर्स (The Belfer Center at the Harvard Kennedy School of Government in Boston) की एक रिपोर्ट में खुलासा किया गया है कि हिमालय रेंज में भारतीय फोर्सज चीन की सेना को हराने में सक्षम हैं और ज्यादतर विशेषज्ञों का ये आकलन गलत साबित हो सकता है कि भारत सैन्य ताकत में चीन से पीछे है.
थल सेना
चीन और भारत की थल सेना की तुलना करने पर ये पता चलता है कि वेस्टर्न थियेटर कमांड, तिब्बत और शिनजियांग मिलट्री डिस्ट्रिक्ट के अंतर्गत 2 लाख से लेकर 2 लाख 30 हज़ार सैनिकों की तैनाती की हुई है. वहीं चीन से मुकाबले के लिए भारतीय सेना ने सेनाओं का बंटवारा उत्तरी,मध्य और पूर्वी कमांड के तहत किया हुआ है. रिपोर्ट के मुताबिक भारत ने इन इलाकों में चीन के खिलाफ 2 लाख 25 हज़ार सैनिकों को तैनात किया हुआ है.
रिपोर्ट के मुताबिक पहले के मुकाबले भारत की रक्षा तैयारी काफी मजबूत है . चीनी सेना बड़े पैमाने पर रुस से लगे सीमा,शिनजियांग और तिब्बत के भीतर हो रहे संघर्ष से निपटने के लिए तैनात है. भारत के साथ युध्द के दौरान चीन सरकार को इन इलाकों से हटाकर भारत सीमा की तरफ लाना होगा जो भारतीय सीमा से काफी दूर हैं.
वायु सेना
चीन और भारत की सामरिक स्थित नाम से प्रकाशित रिपोर्ट में कहा गया है कि हवाई मोर्चे पर भारत का सामना कर रहे सभी क्षेत्रीय हमलावर विमानों का नियंत्रण चीनी वायु सेना के वेस्टर्न थियेटर कमांड ने ले लिया है .
वेस्टर्न थियेटर कमांड के अंतर्गत चीन के 157 लड़ाकू जहाज भारत के खिलाफ तैनात हैं. जबकि भारत के पश्चमी,मध्य और पूर्वी कमांडों के पास 270 लड़ाकू विमान और जमीन पर मार करने वाले 68 विमान मौजूद हैं. पूर्वी हवाई कमांड जिसकी तैनाती केवल चीन से निपटने के लिए की गई है उसके पास अकेले ही 101 लड़ाकू विमान मौजूद हैं.
लड़ाकू विमानों की तकनीकि की तुलना से ये साफ पता चलता है कि भारतीय सीमा पर चीन की स्थित भारत के मुकाबले कमजोर है. चौथी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की तुलना से ये पता चलता है कि चीन के J-10 फाइटर जेट की तुलना भारत के मिराज-2000 से की जा सकती है.
साथ ही भारत को निशाना बनाने के लिए चीन की सभी थियेटर्स फाइटर्स से भारत का सुखाई 30 MKI बेहतर है. हालांकि एरियल ड्रोन के मामले में चीन भारत से आगे है . चीन ने भारत के खिलाफ 50 से ज्यादा ड्रोन्स की तैनाती की हुई है जो टोही से लेकर जमीन पर हमला करने के साथ साथ इलेक्ट्रानिक सर्विलांस में सक्षम हैं.
रिपोर्ट के मुताबिक चीन और भारत की लड़ाई के दौरान चीन के चार एयर बेस काफी अहम हैं. होतन,ल्हासा,न्गारी-गुंसा और जिगेज के ठिकानों पर भारतीय वायु सेना निशाना लगा कर अगर तबाह कर देती है तो चीन मदद के लिए अपने दूर अंदरुनी हवाई ठिकानों पर निर्भर हो जायेगा.
न्गारी-गुंसा और जिगेज के हवाई ठिकानों के पास लड़ाकू विमानों को सुरक्षित रखने के लिए कोई ठोस और मजबूत छत नहीं है हालांकि होतन और ल्हासा में चीन ने अभी हाल ही में मजबूत छत का निमार्ण किया है ,इन बेस पर चीन के कुल 36 लड़ाकू जहाज तैनात हैं. रक्षा विशेषज्ञों के मुताबिक भारत ने फाइबर ग्लास मैट्स और संबधित रनवे निर्माण उपकरणों का इस्तेमाल शुरु कर दिया है इसलिए रनवे के पुनर्निमाण के मामले में भारत के पास बढ़त है.
चीन के मुकाबले पाकिस्तान से हो रहे लगातार संघर्षों की वजह से भारतीय वायु सेना के पास लड़ाई का अच्छा खासा अनुभव है जिससे युध्द के दौरान भारतीय वायु सेना चीन के अहम रनवे,सड़क ,रेल मार्ग पर बमबारी कर उसका देश के दूसरे हिस्सों से संपर्क काट सकती है.
परमाणु शक्ति
रिपोर्ट के मुताबिक चीन के ज्यादतर परमाणु ठिकाने उत्तरी क्षेत्र में हैं जबकि तीन DF-21 ठिकाने दक्षिणी क्षेत्र में हैं इससे अनुमान लगाया गया है कि भारत कुल मिलाकार 104 चीनी मिसाइलों के रेंज में है जो पूरे भारत या इसके कई हिस्सों को निशाना बना सकते हैं. जिन मिसाइलों का इस्तेमाल तीन भारत के खिलाफ कर सकता है उनमें एक दर्जन DF-31 A, 6 से 12 DF-31 मिसाइलें और एक दर्जन DF-21 मिसाइल शामिल है.
इसके अलावा चीन के दूसरे मिसाइल केवल पूर्वोत्तर भारत या पूर्वी तट को निशाना बनाने की क्षमता रखते हैं. अगर भारत की मिसाइल ताकत की बात की जाये तो भारत के पास करीब दस अग्नि मिसाईल लांचर हैं जो शिनजियांग और चोंगक्किंग जैसे मध्य चीनी क्षेत्रों को निशाना बनाने की ताकत रखते हैं. भारत के पास 51 परमाणु क्षमता वाले विमानों का भंडार है जो ग्रैविटी बमों से लैस हैं और इनकी पहुंच तिब्बती हवाई क्षेत्र तक है.
इन लड़ाकू विमानों में मिराज-2000 और जगुआर आईएस शामिल हैं. रिपोर्ट के मुताबिक भारत सेकेंड स्ट्राइक कैपिबिलटी विकसित करने में लगा हुआ है जो जमीन.हवा और समुद्री मोर्चों पर सेनाओं का पर्याप्त इस्तेमाल करना चाहता है. भारत ने अपने कई परमाणु टिकानों को काफी सिक्रेट रखा है जिससे दुश्मन के दिगाम में भ्रम बना रहा . भारत की ये मिसाईल शक्तियां चीन को बड़े आसानी से निशाना बना सकती हैं.