उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) 11 अक्टूबर को सुर्खियों के केंद्र में रहा. दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर JPNIC में जाकर माल्यापर्ण करना चाहते थे.
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में स्थित जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र (JPNIC) 11 अक्टूबर को सुर्खियों के केंद्र में रहा. दरअसल, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव आज समाजवादी नेता जयप्रकाश नारायण की जयंती के अवसर पर JPNIC में जाकर माल्यापर्ण करना चाहते थे. मगर अधिकारियों ने सुरक्षा व्यवस्था का हवाला देकर सपा चीफ को JPNIC में नहीं जाने दिया. इसी को लेकर सियासी हंगामा खड़ा हो गया. सपा कार्यकर्ताओं ने लखनऊ की सड़कों पर हल्ला बोल कर सत्ताधारी भाजपा को जमकर घेरा. सनद रहे, साल 2023 में जब पुलिस न अखिलेश यादव को JPNIC में जाने से रोका था, तब वह गेट फांद कर अंदर चले गए थे. बता दें कि JPNIC सपा सरकार का ड्रीम प्रोजेक्ट था. मगर भाजपा सरकार आने के बाद इस अंतरराष्ट्रीय केंद्र का निर्माण रोक दिया गया. खबर में JPNIC की पूरी कहानी जानिए
मालूम हो कि साल 2012 में उत्तर प्रदेश में समाजवादी पार्टी की सरकार आई, तो लखनऊ के गोमती नगर इलाके में देश का सबसे बड़ा कल्चरल सेंटर बनाने की योजना बनी. जयप्रकाश नारायण अंतरराष्ट्रीय केंद्र यानी जेपीएनआईसी की कार्य योजना बनी. निर्माण कार्य शुरू होने से पहले इस अंतरराष्ट्रीय सेंटर के निर्माण की लागत लगभग 265.58 करोड़ रुपये आंकी गई. निर्माण कार्य शुरू हुआ तो 2014 में यह लागत बढ़कर 350 करोड़ रुपये हुई और साल 2016 तक आते-आते इसकी कीमत 864 करोड़ 99 लाख रुपये हो गई. साल 2017 में भाजपा सत्ता में आई तो इस जेपीएनआईसी का लगभग 80 फीसदी काम पूरा हो चुका था. इस 17 मंजिला जयप्रकाश नारायण इंटरनेशनल सेंटर में समाजवादी विचारधारा के अग्रदूत जयप्रकाश नारायण की स्मृतियों को संजोने वाला एक अंतरराष्ट्रीय स्तर का म्यूजियम, ऑल वेदर स्विमिंग पूल, बैडमिंटन कोर्ट, टेनिस लॉन, 1200 गाड़ियों के पार्किंग की व्यवस्था, 100 कमरे बनाने की योजना थी. दिल्ली के इंडियन हैबिटेट सेंटर के तर्ज पर बना यह देश का सबसे ऊंचा और बड़ा इंटरनेशनल सेंटर है, जिसमें सबसे बड़ा हॉल बनाया गया है. छत पर इमरजेंसी में उतरने के लिए हेलीपैड तक का निर्माण हुआ है.
मगर उत्तर प्रदेश में जब भाजपा सरकार आई तब समाजवादी पार्टी की सरकार में किए गए तमाम निर्माण कार्यों पर घोटाले के आरोप लगने लगे. रिवर फ्रंट घोटाले के जांच के आदेश दिए गए. इस बीच सीएजी की रिपोर्ट में कहा गया कि अंतरराष्ट्रीय केंद्र के निर्माण में ओवर बजटिंग हुई, बड़े पैमाने पर घपला हुआ. जेपीएनआईसी के निर्माण में जांच के आदेश दिए गए. एक जांच तत्कालीन एलडीए वीसी की अध्यक्षता में पीडब्ल्यूडी के चीफ इंजिनियर हाऊसिंग, चीफ इंजिनियर यूपीपीसीएल के द्वारा की गई. वहीं दूसरी जांच लखनऊ के तत्कालीन कमिश्नर रंजन कुमार की तरफ से की गई. एलडीए की तरफ से थर्ड पार्टी जांच भी करवाई गई. केंद्रीय संस्था राइट्स ने भी इस मामले की जांच की. मगर जांच का नतीजा क्या हुआ, कौन दोषी पाया गया, निर्माण मे धांधली के चलते किस पर कौनसी कार्रवाई हुई यह कभी सामने नहीं आया. वहीं, इस मामले में करोड़ों रुपये के घोटाले और अफसरों की मिलीभगत के आरोप तो लगे, लेकिन ईओडब्ल्यू हो या विजिलेंस किसी भी विंग ने फिलहाल ना कोई जांच के आदेश दिए, न अब कोई जांच चल रही है.