महाराष्ट्र के वरिष्ठ कॉन्ग्रेस नेता और पूर्व केन्द्रीय मंत्री मिलिंद देवड़ा ने पार्टी छोड़ने का ऐलान आधिकारिक रूप से कर दिया है। इस बात की अटकलें पहले से लगाई जा रही थीं। उन्होंने एक्स (पहले ट्विटर) पर यह जानकारी साझा की है। मिलिंद अब ज्योतिरादित्य सिंधिया, जितिन प्रसाद और आरपीएन सिंह वाली कतार में शामिल हो गए हैं।
मिलिंद ने एक्स पर लिखा, “आज मेरी राजनीतिक यात्रा के एक महत्वपूर्ण अध्याय का अंत हो गया है। मैंने अपने परिवार की पार्टी के साथ 55 वर्ष पुराने रिश्ते को खत्म करते हुए कॉन्ग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से त्यागपत्र दे दिया है। मैं वर्षों से लगातार समर्थन के लिए सभी साथी नेताओं, सहकर्मियों और कार्यकर्ताओं का आभारी हूँ।”
Today marks the conclusion of a significant chapter in my political journey. I have tendered my resignation from the primary membership of @INCIndia, ending my family’s 55-year relationship with the party.
I am grateful to all leaders, colleagues & karyakartas for their…
— Milind Deora | मिलिंद देवरा ☮️ (@milinddeora) January 14, 2024
47 वर्षीय देवड़ा UPA-2 सरकार में संचार और IT मामलों के राज्यमंत्री थे। उनके पास जहाजरानी विभाग भी था। वह UPA-2 के सबसे युवा मंत्रियों में से एक थे। साल 2011 में जब उन्हें मंत्री बनाया गया था, तब उनकी आयु मात्र 35 वर्ष थी। वह राहुल गाँधी की टीम के महत्वपूर्ण सदस्य माने जाते थे।
मिलिंद देवड़ा का कॉन्ग्रेस से काफी पुराना रिश्ता रहा है। उनके पिता मुरली देवड़ा भी कॉन्ग्रेस से कई बार सांसद रहे थे। मिलिंद के पिता मुरली देवड़ा UPA-1 और 2 सरकार में पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मामलों के कैबिनेट मंत्री थे। मिलिंद के जाने से पार्टी को सबसे बड़ा नुकसान महाराष्ट्र और विशेष कर मुंबई में उठाना पड़ेगा।
मिलिंद देवड़ा, मुंबई की कारोबारी बिरादरी में कॉन्ग्रेस के लिए काफी उपयोगी थे। उनका परिवार अम्बानी, महिंद्रा और मुंबई के अन्य बड़े कारोबारी समूहों का नजदीकी रहा है और इसका फायदा पार्टी को भी मिला है। देवड़ा परिवार गाँधी परिवार का भी काफी करीबी रहा है।
मिलिंद 2009 से लेकर 2014 तक चली UPA-2 सरकार में राहुल के करीबी कुछ नेताओं में माने जाते थे। हालाँकि, राहुल और मिलिंद के बीच 2014 के बाद से खटपट की खबरें आनी चालू हो गई थीं। इसके बाद कई मौकों पर देखा गया कि मिलिंद ने कॉन्ग्रेस की पार्टी लाइन छोड़ कर कुछ प्रश्न उठाए।
साल 2014 की हार के बाद मिलिंद ने कहा था कि राहुल गाँधी को सलाह देने वाले ऐसे लोग हैं, जिन्हें चुनाव का कोई अनुभव नहीं है। उनका कहना था कि उनको सलाह देने के साथ सलाह लेने वाले भी जिम्मेदार माने जाने चाहिए। इसके बाद मिलिंद देवड़ा को कॉन्ग्रेस में हाशिए पर धकेल दिया गया था।