जहां-जहां थी केंद्रीय बलों की तैनाती वहां नहीं हुई हिंसा, बंगाल में पंचायत चुनाव पर गृह मंत्रालय का बयान

पश्चिम बंगाल के मुर्शिदाबाद जिले में एक मतदान केंद्र पर वोट डालने के लिए कतार में खड़े लोग. (फोटो- पीटीआई)कोलकाता। पश्चिम बंगाल के पंचायत चुनाव में हिंसा की घटनाओं से ममता सरकार से लेकर राज्य चुनाव आयोग तक की टेंशन बढ़ गई है. बीजेपी ने हिंसा के लिए राज्य चुनाव आयोग और ममता सरकार को जिम्मेदार ठहराया है. इसके साथ ही बंगाल में राष्ट्रपति शासन लगाने की मांग कर दी है. इस संबंध में गृह मंत्रालय को भी पत्र लिखकर हस्तक्षेप की मांग की है. वहीं, टीएमसी ने केंद्रीय बल को लेकर सवाल उठाए है. टीएमसी ने पूछा है कि हिंसा के वक्त केंद्रीय बल कहां थे? इन सबके बीच अब केंद्रीय गृह मंत्रालय ने बयान जारी किया है.

अभी भी बंगाल में पहुंच रहा है केंद्रीय बल

गृह मंत्रालय का कहना है कि राज्य चुनाव आयोग ने सीएपीएफ की 825 कंपनियां मांगी थीं. जिनमें से 649 कंपनियां राज्य को भेजी गईं. बाकी बल अभी भी राज्य में पहुंच रहा है. राज्य चुनाव आयोग का सहयोग नहीं मिलने के कारण पूरा केंद्रीय बल समय से नहीं पहुंच सका. इस संबंध में सीएपीएफ कोऑर्डिनेटर ने राज्य चुनाव आयुक्त को पत्र लिखा है. इसमें उन्होंने SEC से कहा है कि उन्होंने सीएपीएफ को संवेदनशील क्षेत्रों/बूथों की सूची नहीं दी है.

गृह मंत्रालय ने और क्या कहा…

1. राज्य चुनाव आयोग (SEC) ने सीएपीएफ की तैनाती के लिए देर से डिमांड भेजी. ट्रेनों और रसद की व्यवस्था करने में समय लगता है. यह काम रातोंरात नहीं किया जा सकता है.
2. राज्य चुनाव आयोग की तरफ से सीएपीएफ कंपनियों के आने-जाने और पोस्टिंग के बारे में जानकारी दी जाती है. उसी के आधार पर सीएपीएफ को तैनात किया जाता है. अब तक SEC ने तैनाती के बारे में जानकारी शेयर नहीं किया है, बल्कि उनसे कहा गया है कि तैनाती के लिए डीएम से पूछें, जिससे इसमें समय लगा. उत्तर बंगाल में तैनाती के लिए उत्तर पूर्व से कंपनियां जाती हैं. हालांकि, वे पहले कोलकाता आए और फिर दो अतिरिक्त दिनों की यात्रा करके उत्तर बंगाल पहुंचे. SEC की ओर से स्पष्टता ना होने के कारण ऐसा हुआ. सुबह हुई बैठक में भी SEC ने स्थान साझा नहीं किये.
3. कुछ कंपनियां आज शाम तक आनी हैं. नोडल अधिकारियों ने पेशकश की थी कि आज शाम आने वाली कंपनियों का इस्तेमाल स्ट्रॉन्ग रूम की सुरक्षा के लिए किया जा सकता है. जिन कंपनियों को सुबह स्ट्रॉन्ग रूम ड्यूटी के लिए तैनात किया गया है, उनका इस्तेमाल बूथों में किया जा सकता था, लेकिन SEC सहमत नहीं हुआ.

बंगाल

गरीबों को मारा जा रहा है: राज्यपाल 

राज्यपाल सीवी आनंद बोस ने कहा- मैंने जमीन पर जो देखा वह बहुत परेशान करने वाला है, वहां हिंसा और हत्या हो रही हैं. एक बात जो मैंने देखी है- वह यह है कि गरीब लोग ही मारे जाते हैं, हत्यारे भी गरीब हैं… हमें गरीबी को खत्म करना चाहिए लेकिन इसके बजाय हम गरीबों को मार रहे हैं. बंगाल इसका हकदार नहीं है.

विपक्ष के नेता शुभेंदु अधिकारी ने कहा कि वो मंगलवार को हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस से शिकायत करेंगे. उन्होंने कहा- बंगाल में लोकतंत्र की हत्या हो गई है. इस चुनाव को आयोग ने ममता बनर्जी के साथ मिलकर नष्ट कर दिया है. बीजेपी बंगाल में लोकतंत्र की बहाली चाहती है. कलकत्ता HC ने केंद्रीय बल की तैनाती का आदेश दिया था. राज्य सरकार इसे चुनौती देते हुए SC चली गई लेकिन कोर्ट ने इस पर कड़ी टिप्पणी दी. गृह मंत्रालय ने बिना लागत के अर्धसैनिक बल भेजा लेकिन राज्य सरकार ने उनका उपयोग तक नहीं किया. राज्य सरकार ने वास्तव में केंद्रीय बलों के खिलाफ युद्ध छेड़ दिया. केंद्रीय बलों को साजोसामान, समर्थन नहीं दिया गया. उन्होंने इस चुनाव का मजाक उड़ा दिया.

हिंसक घटनाओं के लिए गृह मंत्रालय जिम्मेदार: राजीव सिन्हा

बंगाल चुनाव आयुक्त राजीव सिन्हा ने हिंसा की घटनाओं के लिए केंद्रीय गृह मंत्रालय को जिम्मेदार ठहराया है. उन्होंने कहा कि अगर केंद्रीय पुलिस बल समय पर पहुंच गई होती तो राज्य में हिंसक घटनाएं नहीं होतीं. उन्होंने कहा कि हिंसा भड़काने वालों के खिलाफ केस दर्ज किया जाएगा.

पंचायत चुनाव में हिंसा को लेकर पश्चिम बंगाल कांग्रेस के अध्यक्ष अधीर रंजन चौधरी ने आरोप लगाते हुए कहा कि सत्तारूढ़ पार्टी टीएमसी ने आतंक की बारिश शुरू कर दी है, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई है और सैकड़ों लोग बुरी तरह जख्मी हो गए हैं, जिन्हें अस्पताल में भर्ती कराया गया है. राजनीतिक और बंगाल में चुनावी माहौल हिंसा का रहा है. यह पंचायत चुनावों का मजाक है और वस्तुतः यह चुनावी लूट-खसोट का एक उदाहरण है.

बीजेपी ने लोगों के अधिकारों पर हमला किया: टीएमसी

टीएमसी ने एक वीडियो ट्वीट कर बीजेपी पर आरोप लगाया कि कूचबिहार के हल्दीबाड़ी ब्लॉक के दीवानगंज ग्राम पंचायत में बंगाल बीजेपी के समर्थकों ने बूथ पर कब्जा कर लिया और मतपेटी फेंक दी. आज एक बार फिर बीजेपी ने लोगों के अधिकारों पर हमला किया है. एक बार फिर, बंगाल के लोग ऐसी दमनकारी ताकत को दृढ़ता से खारिज कर देंगे और अपनी असली ताकत का दावा करेंगे, जिससे यह स्पष्ट हो जाएगा कि बीजेपी वास्तव में कहां है!

बीजेपी विधायक अग्निमित्रा पॉल ने कहा, बूथों पर सीसीटीवी कैमरे नहीं थे, राज्य पुलिस भी मौजूद नहीं थी. आज 18 लोगों की हत्या कर दी गई है. हमने घटना के संबंध में राज्य चुनाव आयोग को लिखा है. बीजेपी ने केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह को पत्र लिखा है और राज्य में लोकतंत्र बहाल करने में उनके हस्तक्षेप की मांग की.

इस बार चुनाव में महीनेभर में 36 की मौत

हालांकि, पश्चिम बंगाल में चुनावी हिंसा का लंबा इतिहास रहा है. साल 2003 के पंचायत चुनाव के दौरान 76 लोगों की मौत हुई थी. चुनाव के दिन 40 से ज्यादा लोग मारे गए थे. 2018 के पंचायत चुनाव में भी हिंसा का यही पैटर्न देखने को मिला था. तब चुनाव में 10 मौतें हुई थीं. इस साल एक बार फिर हिंसा की घटनाओं ने पुराने दौर को याद दिला दिया. इतना ही नहीं, शनिवार की हिंसा ने पिछले चुनाव के आंकड़े को भी पीछे छोड़ दिया है. 8 जून 2023 को पंचायत चुनाव की घोषणा के दिन से ही राज्य के कई हिस्सों से लगातार हिंसा की खबरें आईं. पिछले 30 दिन में हुईं हिंसक झड़पों में 37 लोगों की मौत हो चुकी है. वोटिंग के दिन ही 19 की जान गई है.

चुनाव आयोग ने कहा, मतदान के दौरान हिंसा की घटनाओं की सबसे ज्यादा शिकायतें चार जिलों से आईं. इनमें उत्तर 24 परगना, दक्षिण 24 परगना और मुर्शिदाबाद जैसे जिले शामिल हैं. पर्यवेक्षक और रिटर्निंग अधिकारी मतदान प्रक्रिया की जांच और समीक्षा करेंगे. पुनर्मतदान पर रविवार को निर्णय लिया जाएगा. SEC ने शनिवार सुबह से चुनाव संबंधी हिंसा में मरने वालों का आंकड़ा 3 बताया है. वहीं, राजनीतिक दलों ने मुर्शिदाबाद, नादिया और कूचबिहार, दक्षिण 24 परगना के भांगर और पूर्वी मेदिनीपुर के नंदीग्राम जैसे इलाकों में हिंसा होने की जानकारी दी. हालांकि, सीमा सुरक्षा बल ने आरोपों को निराधार बताते हुए खारिज कर दिया है.

16 जिलों में नहीं हुई हिंसा की घटनाएं: टीएमसी

ममता बनर्जी सरकार में मंत्री शशि पंजा ने एक बयान में कहा, पंचायत चुनावों में 22 जिलों में से 16 में हिंसा की कोई घटना दर्ज नहीं की गई. करीब 61,000 बूथों में से सिर्फ 60 में घटनाएं दर्ज की गईं. यह एक प्रतिशत से भी कम है. मरने वालों में सबसे ज्यादा टीएमसी वर्कर्स हैं.

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