नई दिल्ली। एक ओर जहां शुक्रवार को बिहार की राजधानी पटना में भारतीय जनता पार्टी के खिलाफ 15 विपक्षी दल एकजुट हुए। वहीं, संकेत ये भी मिल रहे हैं कि भाजपा भी नई NDA यानी नेशनल डेमोक्रेटिक अलायंस बनाने की कोशिश में है। कथित तौर पर पार्टी कई पुराने और कुछ नए साथियों से मुलाकात भी कर रही है। हालांकि, अब तक भाजपा ने इसे लेकर साफतौर कुछ नहीं कहा है।
हाल ही में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की सरकार से अलग हुए जीतन राम मांझी NDA में वापसी का ऐलान कर चुके हैं। एक मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लोकसभा में भाजपा की संख्या बढ़ने के बाद हिंदुस्तानी आवाम मोर्चा (HAM) समेत NDA के कई पूर्व साथी गठबंधन में दोबारा शामिल होने के लिए उत्सुक नजर आ रहे हैं। साल 2014 में भाजपा ने लोकसभा में 282 सीटें हासिल की थीं। साल 2019 में यह संख्या बढ़कर 303 पर पहुंच गई थी।
जून में ही तेलुगु देशम पार्टी प्रमुख चंद्रबाबू नायडू ने केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जगत प्रकाश नड्डा से दिल्ली में मुलाकात की थी। बिहार में भी भाजपा उपेंद्र कुशवाहा की आरएलजेडी और मुकेश साहनी की वीआईपी से संपर्क बढ़ाती नजर आ रही है। साथ ही कहा जा रहा है कि लोक जनशक्ति पार्टी नेता चिराग पासवान को भी मनाने की कोशिशें जारी हैं।
भाजपा को क्यों है गठबंधन की जरूरत?
भाजपा भले ही पीएम मोदी की लोकप्रियता का फायदा ले रही हो, लेकिन कर्नाटक और हिमाचल प्रदेश विधानसभा चुनाव के नतीजों ने पार्टी को नई रणनीति तैयार करने पर मजबूर कर दिया है। वहीं, गुजरात, हरियाणा, मध्य प्रदेश, राजस्थान और उत्तराखंड समेत कई राज्यों में पार्टी पहले ही बड़ी चुनावी जीत हासिल कर चुकी है और यहां विस्तार की कम संभावनाएं नजर आती हैं।
इधर, बिहार, ओडिशा, पश्चिम बंगाल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में अब भी क्षेत्रीय दलों का प्रभाव है। साथ ही कर्नाटक गंवाने के साथ ही भाजपा दक्षिण भारत में एकमात्र गढ़ भी हार चुकी है। महाराष्ट्र में नई शिवसेना के साथ अभी चुनावी मैदान में उतरना बाकी है। इसके अलावा 10 सालों की सत्ता विरोधी लहर भी भाजपा के लिए चिंता का विषय बन सकती है।
खास बात है कि ऐसे भी कई दल हैं, जो अपने ही राज्यों में गैर एनडीए दलों के चलते सिकुड़ते जा रहे हैं। ऐसे में वे भी एनडीए का रुख कर सकते हैं। एक मीडिया रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से कहा जा रहा है कि भाजपा ने कथित तौर पर कर्नाटक में जेडीएस, आंध्र प्रदेश में तेदेपा, पंजाब में शिअद के साथ संपर्क साधना शुरू कर दिया है। बीते साल हुए राष्ट्रपति चुनाव में भी इन तीन दलों ने एनडीए उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू का समर्थन किया था।
संकेत पर संकेत
बीते महीने हुए नए संसद भवन के उद्घाटन कार्यक्रम में एक ओर जहां 20 विपक्षी दलों ने दूरी बना ली थी। वहीं, बहुजन समाज पार्टी (BSP), शिरोमणि अकाली दल, तेलुगु देशम पार्टी और जनता दल सेक्युलर ने शिरकत की थी। हाल ही में पूर्व प्रधानमंत्री एचडी देवगौड़ा भी दावा कर चुके हैं कि उन्हें ऐसा राजनीतिक दल बताएं, जो भाजपा के साथ कभी नहीं रहा।