नई दिल्ली। 1947 में देश को अंग्रेजी शासन से आजादी मिली, लेकिन धीरे-धीरे देश पर नेहरू-गांधी परिवार ने कब्जा कर लिया। आजादी से बाद से अधिकतर समय तक कांग्रेस पार्टी का शासन रहा है और उसमें भी नेहरू-गांधी परिवार के लोग ही प्रधानमंत्री बनते रहे। इस दौरान इन लोगों ने देश की विविधिता वाली पहचान को ही खत्म कर दिया। 1947 के बाद से ही देश में तमाम सरकारी संस्थानों, इमारतों, विश्वविद्यालयों के नाम नेहरू-गांधी परिवार के लोगों के नाम पर रखे गए, बच्चों के पाठ्यक्रम में भी इसी परिवार के लोगों के बारे में बढ़चढ़ कर पढ़ाया गया । यह सिलसिला 2014 से पहले यूपीए सरकार के समय तक जारी रहा। देशभर में इसके खिलाफ आवाज भी उठाई जाती रहीं, लेकिन किसी भी सरकार की इसके खिलाफ कदम उठाने की हिम्मत नहीं हुई। अब मोदी सरकार ने नेहरू-गांधी खानदान की विरासत पर हथौड़ा चलाने का फैसला किया है।
नेहरू मेमोरियल में अभी सिर्फ पंडित नेहरू से जुड़ी स्मृतियां
जवाहर लाल नेहरू देश के पहले प्रधानमंत्री थे और आजादी के बाद 1964 तक लगातार 17 वर्षों तक इस पद पर बने रहे। दिल्ली में तीन मूर्ति भवन में स्थित नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और लाइब्रेरी में पूर्व प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू की विरासत को संजो कर रखा गया है। इस मेमोरियल में पंडित नेहरू के राजनीतिक जीवन, विचारधारा से जुड़ी स्मृतियां हैं। तीन मूर्ति भवन का निर्माण 1929-30 में हुआ था और यहां की लाइब्रेरी में मॉर्डन इंडिया के इतिहास से जुड़े दस्तावेजों का खजाना रखा गया था। देश की आजादी के बाद तीन मूर्ति भवन पंडित नेहरू का आधिकारिक आवास बना और 1964 में उनकी मृत्यु के बाद तत्कालीन सरकार ने इसे नेहरू मेमोरियल संग्रहालय और लाइब्रेरी में बदल दिया।
अब यहां सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन दर्शन का संकलन होगा
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक अब नेहरू मेमोरियल में सिर्फ पंडित नेहरू ही नहीं बल्कि देश के सभी प्रधानमंत्रियों के जीवन से जुड़ी स्मृतियों, उनके राजनीतिक जीवन से जुड़ी यादों का संकलन किया जाएगा। जाहिर है कि देश में पंडित नेहरू के अलावा, पूर्व पीएम लाल बहादुर शास्त्री, इंदिरा गांधी और राजीव गांधी के जीवन काल को लेकर ही संग्रहालय बने हैं, बाकी प्रधानमंत्रियों को लेकर ऐसा कोई संग्रहालय नहीं बना है। इकोनॉमिक टाइम्स की खबर के अनुसार केंद्रीय लोक निर्माण विभाग (CPWD) ने ‘देश के प्रधानमंत्रियों के म्यूजियम’ के लिए पिछले हफ्ते एक अलग तीन मूर्ति प्रोजेक्ट डिवीजन का गठन किया है। इसके साथ ही CPWD ने म्यूजियम बनाने की तैयारी भी शुरू कर दी है। बताया जा रहा है कि इसके लिए तीन मूर्ति भवन के मूल ढांचे के साथ कोई छेड़छाड़ नहीं की जाएगी। संग्रहालय के लिए परिसर में उचित स्थान खोजने की प्रक्रिया भी शुरू हो गई है। खबर में कहा गया है कि 2016 में मोदी सरकार ने इसकी कवायद शुरू कर दी थी और अगस्त 2017 में इसके लिए पेशेवर सलाहकार की नियुक्त हेतु विज्ञापन भी प्रकाशित किया था।
मोदी सरकार का यह फैसला कांग्रेस पार्टी की सामंतवादी सोच पर कड़ा प्रहार है। आगे हम आपको बताते हैं कि किस तरह कांग्रेस पार्टी ने अपनी सरकारों के दौरान नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों के नाम देश के चप्पे-चप्पे पर लिख दिए हैं।
कांग्रेस की बेशर्मी, देश के चप्पे-चप्पे पर लिख दिया नेहरू-गांधी परिवार का नाम
देश की सबसे पुरानी पार्टी कांग्रेस की आज देश के सिर्फ तीन राज्यों कर्नाटक, पंजाब, मिजोरम और एक केंद्र शासित प्रदेश पुडुचेरी में सरकार है। यानी देश की 125 करोड़ आबादी की तुलना में देखें तो कांग्रेस शासित प्रदेश की आबादी 10 करोड़ भी नहीं है। ऐसा भी कह सकते हैं कि कांग्रेस पार्टी महज देश की 7 से 8 प्रतिशत लोगों का प्रतिनिधित्व करती है। आपको यह जानकर हैरानी होगी की देश में 400 से अधिक सरकारी योजनाओं, शिक्षण संस्थाओं, खेल पुरस्कारों, हवाईअड्डों, बंदरगाहों, मेडिकल कॉलेजों, अस्पतालों आदि का नाम नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर हैं।
जाहिर है कि आजादी के 70 वर्षों में कांग्रेस पार्टी ने सबसे ज्यादा 53 वर्षों तक देश पर राज किया है, और इसमें भी 38 साल तो नेहरू-गांधी परिवार के ही प्रधानमंत्री बने हैं। मतलब साफ है कि नेहरू-गांधी परिवार ने अपने शासन काल के दौरान देश के चप्पे-चप्पे पर गांधी परिवार के लोगों का नाम चस्पा कर दिया है। आगे जो बताने वाले हैं उससे आपको कांग्रेस पार्टी और उसके नेताओं की असलियत का पता चलेगा। आपको यह भी अंदाजा होगा कि किस तरह नेहरू-गांधी परिवार के लोगों ने खुद को अजर-अमर करने के लिए पूरे देश में अपने नाम अंकित करा दिए।
1-पूर्व की केंद्र सरकारों ने 17 योजनाओं के नाम गांधी परिवार के लोगों के नाम पर रखे।
2- देश में राजीव गांधी खेल रत्न पुरस्कार समेत 26 खेल पुरस्कार गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं। जाहिर है कि इन लोगों को खेल से कोई नाता समझ में नहीं आता है।
3- खेल पुरस्कार ही नहीं दिल्ली के जवाहर लाल नेहरू स्टेडिम, इंदिरा गांधी स्पोर्ट्स स्टेडियम समेत 17 स्पोर्ट्स स्टेडियम और खेल मैदानों का नाम इसी परिवार के सदस्यों के नाम पर रखे गए हैं।
4- दिल्ली के इंदिरा गांधी इंटरनेशनल एयरपोर्ट समेत देश के 9 हवाईअड्डों और बंदरगाहों का नाम नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं।
5- देश मे 4 पॉवर प्लांट के नाम गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं।
6-दिल्ली की जवाहरलाल नेहरू यूनिवर्सिटी, इंदिरा गांधी ओपन यूनिवर्सिटी समेत देशभर के 99 विश्वविद्यालयों और शिक्षण संस्थानों के नाम नेहरू-गांधी परिवार के नाम पर हैं।
7- राष्ट्रीय महत्व के 41 पुरस्कारों को गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर रखा गया है।
8- देशभर में विद्यार्थियों को ऐसी 17 छात्रवृत्ति और फेलोशिप दी जाती हैं, जो इंदिरा गांधी समेत उनके परिवार के दूसरे सदस्यों के नाम पर हैं।
9- महाराष्ट्र का संजय गांधी नेशनल पार्क, तमिलनाडु की इंदिरा गांधी वाइल्ड लाइफ सेंचुरी, भोपाल का इंदिरा गांधी राष्ट्रीय मानव संग्रहालय समेत देशभर में 17 नेशनल पार्क, फॉरेस्ट रिजर्व और संग्रहालयों का नाम गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर हैं।
10- दिल्ली का राजीव गांधी कैंसर रिसर्च इंस्टीट्यूट, अलीगढ़ का जवाहरलाल नेहरू मेडिकल कॉलेज समेत देशभर में 37 मेडिकल कॉलेजों और अस्पतालों का नाम गांधी परिवार का सदस्यों के नाम पर हैं।
11- 35 दूसरे संस्थानों का नाम भी गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर रखा गया है।
12-दिल्ली समेत देश के दूसरे राज्यों में 37 भवनों और सड़कों का नाम भी नेहरू-गांधी परिवार के सदस्यों के नाम पर रखा गया है।
13-कर्नाटक सरकार ने गांधी परिवार के प्रति अपनी चमचागीरी को दर्शाते हुए 49 योजनाओं और पॉलिसी इस परिवार के सदस्यों के नाम पर शुरू कीं।
इतना ही नहीं कांग्रेस पार्टी नेहरू-गांधी खानदान के सदस्यों के जन्मतिथि को राष्ट्रीय पर्व बना दिया और पुण्यतिथि को राष्ट्रीय शोक का दिन। कांग्रेस की सरकारों ने देश को आजाद कराने में जवाहरलाल नेहरू के समान योगदान देने वाले सरदार वल्लभ भाई पटेल, लाल बहादुर शास्त्री जैसे कई नेताओं के साथ दोयम दर्जे का बर्ताव किया गया।