ब्लैकमेलिंग का अनोखा STARTUP पत्नी बनी मालकिन और पति ने सम्भाली सम्पादक की कमान
छदम नामधारी संजय पुरबिया उर्फ संजय श्रीवास्तव अपनी पत्नी दिव्या श्रीवास्तव के साथ आखिर कहां गायब है?
लखनऊ। लोकतंत्र के चौथे स्तंभ पत्रकारिता की दीवारों में भले ही दीमक लग गई हों लेकिन इसकी चमक दमक और ग्लैमर आज भी अनेक नवयुवकों को पत्रकारिता जैसे पेशे को सोशल मीडिया पर अपनी चमक धमक बनाने के लिए ललायित रहता है। वर्तमान परिदृष्य में पत्रकार बनने के लिए न तो लिखने का ज्ञान ज़रूरी है और न ही शिक्षित होना, समाचार पत्र की परिभाषा समझने की आवश्यकता भी नही है। लिखने पढ़ने वालों के लिए पत्रकारिता किसी तलवार की धार पर चलने के बराबर है। लेकिन अधिकारियों और नेतागणों के साथ सेल्फी औऱ तस्वीरों की चमक दमक ने पत्रकारिता जैसे पुनीत पेशे को कलंकित करने वालों की एक बड़ी तादाद दिखाई देने लगी है। इसी का अनोखा उदहारण लखनऊ से प्रकाशित हिंदी साप्ताहिक समाचार पत्र ‘द संडे व्यूज‘ नामक अखबार के संचालनकर्ता पति-पत्नी की युगल जोड़ी है, जिसने सात फेरे के बंधन को निभाते-निभाते पत्रकारिता जगत को कलंकित करने में एक नया अध्याय जोड़ा है। इस युगल दम्पति ने समाचार पत्र और न्यूज़ पोर्टल की आड़ में ब्लैकमेलिंग, फर्ज़ीवाड़े का एक बड़ा साम्राज्य स्थापित किया है। फ़र्ज़ी दस्तावेजों और जालसाज़ी से समाचार पत्र को भारत सरकार के केंद्रीय संचार ब्यूरो, सूचना एवं जनसंपर्क विभाग में सूचीबद्ध कराकर विज्ञापन लेने का कार्य किया जा रहा है। बंटी और बबली की तर्ज पर पति-पत्नी द्वारा अपने समाचार पत्र के माध्यम से अधिकारियों को ब्लैकमेल करने की साजिश रची जाती है। विश्वसनीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार संजय पूरबिया का छदम व्यक्तित्व न सिर्फ प्रमाणित है बल्कि ठगी और आपराधिक गतिविधियों के कारनामे की बॉलीवुड फिल्म बंटी-बबली से प्रभावित होकर उत्तर प्रदेश की पत्रकारिता को बदनाम करने के साथ साथ अधिकारियों को ब्लैकमेल करने हेतु ‘द संडे व्यूज़‘ नामक समाचार पत्र का प्रकाशन किया जा रहा है। समाचार पत्र की मात्र कुछ प्रतियां प्रकाशित की जाती है।
वहीं दूसरी ओर डिजिटल संस्करण जीमेनदकंलअपमूेण्बवउ और पदकपंमगतमेेदमूेण्बवउ नाम से भी न्यूज़ पोर्टल चलाये जा रहे है। सम्मानित लोगों को फर्जी समाचार का भय दिखकर ब्लैकमेल किया जा रहा है। संजय पूरबिया द्वारा पत्रकारिता की आड़ में चलाए जा रहे पूरे गिरोह की जानकारी मिलती है। समाचार पत्र के खेला में संजय पूरबिया द्वारा अपनी पत्नी दिव्या श्रीवास्तव को भी सम्मिलित किया गया है, पत्नी द्वारा संचालित समाचार पत्र की दहशत दिखाकर ब्लैकमेलिंग का धंधा करने वाला पत्रकार संजय पुरबिया आज भी स्वच्छंद होकर नए शिकारों की तलाश में रहता है। यदि इस तथाकथित पत्रकार की उच्च स्तरीय जांच कराई जाए तो कई अपराधिक मामलों में संलिप्तता, मारपीट, बलवा, फोर्जरी, ब्लैकमेलिंग आदि के मुकदमे लखनऊ के थानों में दर्ज मिल सकते हैं। चिंता का विषय यह है कि इस तरह के पत्रकार द्वारा नौकरशाहों को अपनी कलाकारी द्वारा मुजरिम बनाते हुए अकूत संपत्ति अर्जित की गई है। लेकिन विडंबना देखिए कि सूचना विभाग द्वारा कोई कार्यवाही नही की जा रही है। उत्तर प्रदेश में भयहीन माहौल बनाने के लिए ऐसे लोगों के विरुद्ध त्वरित कार्यवाही करने की आवश्यकता है।