कानपुर में ‘करौली शंकर महादेव’ बाबा पर पिछले दिनों में एक डॉक्टर को पिटवाने के आरोप लगे थे, जिसके बाद अब आश्रम ने नया बयान जारी किया है। ‘लवकुश आश्रम’ का कहना है कि बाबा को बदनाम करने वाले चिकित्सक के विरुद्ध ही सरे साक्ष्य मिले हैं, एक वीडियो भी सामने आया है जिससे उसका झूठ का पर्दाफाश हुआ है। आश्रम ने कहा कि ईश्वरीय सत्ता सर्वोपरि है और सब कुछ उसी के अधीन है, उसी से नियंत्रित है।

बाबा के आश्रम प्रशासन ने अपने बयान में कहा, “करौली शंकर महादेव धाम भी उसी ईश्वरीय सत्ता का एक अंश है और नियति के विधान के अनुसार ही संचालित है, पोषित है। ऐसे पवित्र स्थल या उस स्थल की सेवा करने वाले जीवों या मनुष्यों की रक्षा-सुरक्षा भी नियति ही करती है। कालांतर में अनेक बार यह प्रमाणित हो चुका है, आज फिर यह सिद्ध हो गया है कि जिसकी सुरक्षा में स्वयं शिव और माँ कामाख्या हों, उसे कोई छू नहीं सकता, आहत नहीं कर सकता। करौली शंकर महादेव परिवार पर आरोप लगाने वाले नोएडा निवासी चिकित्सक के लगातार झूठ का पर्दाफाश हो चुका है और बाकायदा वीडियो साक्ष्य के साथ हुआ है।”

बता दें कि उक्त चिकित्सक (डॉक्टर सिद्धार्थ चौधरी) ने बुधवार (22 फरवरी, 2023) से आश्रम में मारपीट किए जाने का आरोप लगाना शुरू कर दिया था। आश्रम के अनुसार, अब एक अन्य वीडियो के द्वारा वास्तविकता यह सामने आई है कि 22 फरवरी को सुबह वो करीब 8 बजे लखनऊ में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के आवास में जबरन घुसने का प्रयास कर रहे थे। सुरक्षाकर्मियों ने उन्हें रोका तो चिकित्सक ने उनसे मारपीट की, फिर सड़क पर गिर गए। वीडियो में डॉक्टर सीएम आवास के बाहर जमीन पर सोए हुए भी देखे जा सकते हैं।

इस वीडियो में साफ दिख रहा है कि उनकी नाक व आसपास खून बह रहा है और वे सुरक्षाकर्मियों पर चिल्ला रहे हैं। सुरक्षाकर्मी उन्हें सड़क से उठाने की कोशिश कर रहे हैं, लेकिन वे उठा नहीं पा रहे हैं। सुरक्षाकर्मी उससे कह रहे हैं कि अस्पताल चलो, तो अस्पताल जाने को भी मना कर रहा है। यह वीडियो तो कुल 36 सेकंड का है, लेकिन प्रत्यक्षदर्शियों ने बताया कि इस वीडियो के बनने से पहले और बाद में भी चिकित्सक ने सुरक्षाकर्मियों से मारपीट की है और उसमें वह घायल हुआ है। उन सुरक्षाकर्मियों से चिकित्सकों के पिता ने यह कहते हुए बचाया है कि यह मनोरोगी है, उसे क्षमा कर दीजिए।

बताया गया है कि इनमें कई तो ऐसे होतेे हैं, जिनके हाथ पैर रस्सियों या जंजीरों में बाँध कर उनके ही परिजनों द्वारा लाया जाता है। जानकारी मिली कि दोपहर बाद चिकित्सक बाबा के समक्ष आए, तब भी उनकी मनोस्थति नियंत्रित नहीं थी। आश्रम में इस तथ्य पर विचार करने को कहा है कि जिस व्यक्ति के साथ सुबह में इतनी बड़ी दुर्घटना हुई हो कि वह अपमानजनक तरीके से सड़क पर पड़ा हो, वह व्यक्ति कुछ ही घंटे बाद गुरु जी के समक्ष पहुँच कर अपनी समस्याएँ या पीड़ाएँ बताने के बजाए उन्हें चमत्कार दिखाने के लिए चुनौती देने लगता है।

आश्रम का कहना है कि यह उनकी मनोस्थिति ठीक न होने का स्वयं सबसे बड़ा साक्ष्य है। इसके बाद आश्रम से चले जाने पर भी चिकित्सक ने कहीं कोई शिकायत नहीं की, बल्कि एक माह बाद मुकदमा लिखाने फिर से कानपुर पहुँचे। आश्रम ने पूछा है कि कुछ ही घंटों के अंतर पर लखनऊ व कानपुर में मारपीट करने वाले चिकित्सक ने कानपुर से नोएडा तक फिर किसी से मारपीट नहीं की होगी, इसकी क्या गारंटी है ? इस माह में उनके साथ कहाँ, कितनी मारपीट हुई या नहीं हुई, सब रिपोर्ट और आरोप मिथ्या ही हैं या नहीं?

इन चीजों को जाँच का विषय बताते हुए आश्रम परिवार ने आशंका जताई है कि यह सारा प्रकरण ऐसे लोगों की किसी बड़ी साजिश या षड्यंत्र का हिस्सा है, जो कि सनातन संस्कृति और वैदिक चिकित्सा पद्धति को पनपते नहीं देखना चाहते हैं, इसलिए उन्होंने चिकित्सक को मोहरा बनाकर आश्रम को बदनाम करने के लिए इतना बड़ा नाटक कराया है, जिसमें कुछ मीडिया संस्थानों या उनके कर्मचारियों ने भी उनका सहयोग किया है।

आश्रम ने अपने आधिकारिक बयान में कहा, “यदि जानने की कोशिश की जाती तो सच उसी दिन सामने आ गया था। उसी दिन एक प्रतिष्ठित टीवी चैनल पर उनके पिता कह रहे हैं कि हम 19 फरवरी को कानपुर पहुँचे और 20 फरवरी को गुरूजी से मुलाकात हुई, जबकि सच यह है कि वे 22 फरवरी को आए थे। जो मुकदमे की रिपोर्ट है, उसमें भी चिकित्सक ने 22 फरवरी को ही आश्रम पहुँचने की बात लिखी है। यानी, पिता द्वारा एक साजिश के तहत झूठ बोला गया तो दूसरे वीडियो में चिकित्सक स्वयं झूठ बोलते दिख रहे हैं कि उनसे सिर पर उनकी माँ व पत्नी ने पट्टी बाँधी, जबकि माँ कह रही हैं कि वे वॉशरूम गई थीं, जब वाशरूम से आईं तो देखा उनके सिर पर पट्टी बँधी थी।”

आश्रम ने आगे कहा कि ये सारे विरोधाभासी वीडियो उसी दिन के थे। कोई भी मीडिया कर्मी या संस्थान जरा सा भी पत्रकारीय धर्म निभाता तो सच सामने आ गया होता। साथ ही आरोप लगाया है कि अधिकांश मीडिया संस्थान और मीडिया कर्मी इस सच को समझ गए थे कि चिकित्सक झूठ बोल रहे हैं, आरोप झूठे हैं, इसलिए उन्होंने संतुलित खबरें लिखीं और दिखाई। लेकिन, जो मीडिया संस्थान और कर्मचारी इस साजिश में शामिल थे, वे लगातार सच छिपाते रहे, झूठ पर झूठ रिपोर्ट बनाते रहे, चरित्र-हनन करते रहे, जनता को गुमराह करते रहे, जिसके चलते जांचकर्ताओं और प्रशासन को भी परेशानी हुई।

आश्रम परिवार का मानना है कि चिकित्सक से अधिक अपराध और पाप तो इस साजिश में शामिल लोगों ने और मीडियाकर्मियों ने किया है, जिन्होंने सनातन संस्कृति और वैदिक चिकित्सा के प्रभावों से जनता को सीधे-सीधे वंचित करने की कोशिश की है, अपमानित करने की कोशिश की है। आश्रम परिवार ने ईश्वर से कामना की है कि ऐसे साजिशकर्ताओं, चिकित्सकों, मीडिया संस्थानों और मीडिया कर्मचारियों को सद्बुद्धि दे, ताकि वे भी आगे चलकर बिना किसी दुराग्रह, पूर्वाग्रह के सुंदर सनातनी मानवीय समाज बनाने में अपना सहयोग देकर इस कृत्य का पश्चाताप कर सकें।

करौली बाबा ने जानकारी दी है कि अप्रैल माह में पूर्णमासी से 5, 6 और 7 तारीख़ को आश्रम में विशाल यज्ञ व ध्यान शिविर का आयोजन निर्धारित है, जो कि प्रत्येक पूर्णमासी को होता है। इसमें दीक्षा पाए पुराने भक्तजन भी शामिल हो रहे हैं। इस ध्यान शिविर में ये सभी भटके हुए साजिशकर्ता, मीडिया संस्थान और मीडियाकर्मी भी आमंत्रित हैं, वे स्वयं आकर आश्रम और यहाँ की वैदिक पद्धतियों को देख लें, जाँच लें और सच जनता के सामने ले जाएँ।

उन्होंने यह यह अनुरोध भी किया है और चेतावनी भी है। उन्होंने चेताया है कि इसमें भी उनका प्रदर्शन सनातन संस्कृति या वैदिक चिकित्सा विरोधी पाया जाता है तो फिर आश्रम परिवार उनके विरूद्ध न्यायालय में जाकर सत्य की ताकत का अहसास कराएगा। बकौल बाबा, क्योंकि, जिनकी आस्था पर चोट पहुँची है, ऐसे आक्रोशित भक्तजन ऐसा चाहते हैं और आश्रम परिवार के लिए भक्तजनों की अपेक्षाएँ ही सर्वोपरि हैं। ‘करौली शंकर महादेव’ के प्रवक्ता अजय यादव ने ये बयान जारी किया है।