नई दिल्ली। सूरत की अदालत से राहुल गांधी को मिली दो साल की कैद ने उनकी लोकसभा की सदस्यता समाप्त करा दी है। लेकिन यह मुश्किल यहीं खत्म नहीं होती। जनप्रतिनिधित्व कानून की धारा 8(3) के मुताबिक इस सजा के बाद राहुल गांधी अगले 8 साल तक चुनावी समर में नहीं उतर सकेंगे। इस तरह वह अगले ही साल होने वाले लोकसभा चुनावों में नहीं उतर सकेंगे। यह कांग्रेस के लिए बड़ा झटका होगा, जो अपने एक अहम चेहरे को खो देगी। ऐसी स्थिति में सोनिया गांधी को चुनाव प्रचार की कमान संभालनी होगी और पार्टी कार्यकर्ताओं का हौसला बढ़ाने के लिए खुद भी चुनाव लड़ना होगा।
सोनिया गांधी लंबे समय से बीमार चल रही हैं और स्वास्थ्य समस्याओं को देखते हुए उनके चुनावी समर से हटने की अटकलें थीं। लेकिन अब राहुल गांधी के मैदान से हटने के बाद उनका चुनाव लड़ना जरूरी हो गया है। उनके अलावा बेटी प्रियंका गांधी भी चुनाव लड़ सकती हैं। इस बीच केरल की जिस वायनाड लोकसभा सीट से राहुल गांधी सांसद थे, वहां उपचुनाव की तैयारियों पर चुनाव आयोग ने मंथन तेज कर दिया है। 2019 के आम चुनाव में राहुल गांधी ने अमेठी और वायनाड सीटों से इलेक्शन लड़ा था। इनमें से अमेठी से वह हार गए थे, जबकि वायनाड में उन्हें जीत हासिल हुई थी।
इस बीच कांग्रेस भड़की हुई है। प्रियंका गांधी ने संसद में दिए पीएम नरेंद्र मोदी के भाषण पर सवाल उठाया, जिसमें उन्होंने कहा था कि जवाहर लाल नेहरू की पीढ़ियां उनका सरनेम क्यों नहीं लगाती हैं। इस पर प्रियंका गांधी ने कहा कि पीएम नरेंद्र मोदी ने तो पूरे कश्मीरी पंडित समाज का ही अपमान किया था, लेकिन उन्हें किसी भी जज ने सजा नहीं दी। राहुल गांधी की सदस्यता रद्द होने पर उद्धव ठाकरे, ममता बनर्जी समेत तमाम विपक्षी नेताओं ने सरकार पर अटैक किया है। उद्धव ठाकरे ने कहा कि आज तो चोर को चोर कहना भी अपराध हो गया है।