नई दिल्ली। रेलवे में नौकरी के बदले जमीन लेने के मामले में पूर्व रेल मंत्री लालू प्रसाद यादव और उनके परिवार की मुश्किल बढ़ती जा रही है। इस मामले की जाँच केंद्रीय अन्वेषण ब्यूरो (CBI) के साथ-साथ प्रवर्तन निदेशालय (ED) मामले की जाँच कर रही है। इसको लेकर इससे जुड़े लोगों के यहाँ लगातार छापेमारी भी की जा रही है।
सबसे ताजा मामले में ED ने लालू यादव के बेटे और बिहार के उप-मुख्यमंत्री तेजस्वी यादव और उनकी बहन रागिनी यादव सहित उनसे जुड़े लोगों के 24 ठिकानों पर प्रवर्तन निदेशालय ने 10 मार्च 2023 को छापेमारी की। इस छापेमारी में करोड़ों रुपए की नकदी और आभूषण के अलावा 600 करोड़ रुपए की संपत्ति का पता चला है।
लैंड पर जॉब घोटाला (Land for job scam) क्या है और इसे कैसे अंजाम दिया गया, इसके बारे में हम विस्तार से बताएँगे। इस घोटाले में किन-किन लोगों को क्या-क्या फायदा पहुँचाया गया और जाँच एजेंसियों ने लालू और उनके परिवार पर क्या-क्या आरोप लगाए हैं, इसकी हम चर्चा करेंगे।
बात कॉन्ग्रेस के नेतृत्व वाली यूपीए-1 के शासनकाल सन 2004-2009 के बीच की है। बिहार में 15 साल तक मुख्यमंत्री रहे लालू प्रसाद यादव उस समय रेल मंत्री थे। सन 2008 में रेलवे में नौकरी देने के बदले अभ्यर्थियों से रिश्वत के रूप में जमीन ली गई। ये जमीन पटना सहित अन्य जगहों पर ली गई।
सीबीआई ने अपनी जाँच में पाया कि लालू यादव को पटना को 1.05 लाख वर्ग फीट जमीन दी गई। इन जमीनों का सौदा नकद में और बेहद कम कीमत पर किया गया। लालू यादव और उनके परिजनों को 7 उम्मीदवारों ने नौकरी के बदले में जमीनें दी थीं। इनमें से 5 जमीनों की बिक्री हुई थी, जबकि दो गिफ्ट के तौर पर दिए गए थे।
क्या हुई थी डील?
केंद्रीय जाँच एजेंसी CBI ने अपनी इन्वेस्टिगेशन में पाया कि इसमें सिर्फ लालू यादव ही नहीं, उनके पर्सनल असिस्टेंट रहे भोला यादव, उनकी पत्नी राबड़ी, बेटा तेजस्वी यादव, बेटी मीसा भारती, हेमा यादव सहित कुछ उम्मीदवारों भी शामिल हैं। इस मामले में सीबीआई ने मई 2022 में भ्रष्टाचार का नया केस दर्ज किया था।
मामला-1: जाँच में सीबीआई ने पाया कि फरवरी 2007 में पटना के रहने वाले हजारी राय ने 9,527 वर्ग फीट अपनी जमीन एके इन्फोसिस्टम प्राइवेट लिमिटेड को बेच दी। यह जमीन 10.83 लाख रुपए में बेची गई थी। बाद में हजारी राय के दो भतीजों दिलचंद कुमार और प्रेमचंद कुमार को रेलवे में नौकरी मिली।
मामला-2: नवंबर 2007 में पटना की रहने वाली किरण देवी नाम की महिला ने अपनी 80,905 वर्ग फीट की जमीन लालू यादव की बेटी मीसा भारती के नाम पर कर दी। यह सौदा सिर्फ 3.70 लाख रुपए में हुआ था। बाद में किरण देवी के बेटे अभिषेक कुमार को मुंबई में भर्ती किया गया।
मामला-3: इसी तरह 6 फरवरी 2008 को पटना के रहने वाले किशुन देव राय ने अपनी 3,375 वर्ग फीट जमीन लालू यादव की पत्नी और बिहार की पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी को बेच दी। यह जमीन 3.75 लाख रुपए में बेची गई थी। इसके बदले में किशुन राय के परिवार के तीन लोगों को रेलवे में नौकरी दी गई।
मामला-4: इसी तरह फरवरी 2008 में पटना के महुआबाग में रहने वाले संजय राय ने 3,375 वर्ग फीट की अपनी प्लॉट को राबड़ी देवी को बेच दिया। यह प्लॉट 3.75 लाख रुपए में बेची गई। इसके बदले में संजय राय और उनके परिवार के दो सदस्यों को रेलवे में नौकरी दी गई थी।
सीबीआई ने अपनी जाँच में पाया कि ह्रदयानंद चौधरी लालू यादव का रिश्तेदार नहीं था, इसके बावजूद उसने जमीन लालू यादव की बेटी को गिफ्ट किया था। जिस वक्त यह जमीन गिफ्ट की गई थी, उस वक्त उसकी कीमत लगभग 62 लाख रुपए थी।
मामला-6: मार्च 2008 में विशुन देव राय ने अपनी 3,375 वर्ग फीट की जमीन सिवान के रहने वाले ललन चौधरी को बेची। उसी साल ललन के पोते पिंटू कुमार को पश्चिमी रेलवे में भर्ती कराया गया। इसके बाद फरवरी 2014 में ललन चौधरी ने यह जमीन लालू यादव की एक और बेटी हेमा यादव को गिफ्ट कर दी।
मामला-7: इसी तरह मई 2015 में पटना के रहने वाले लाल बाबू राय ने अपनी 1,360 वर्ग फीट जमीन राबड़ी देवी को 13 लाख रुपए में बेच दी। सीबीआई की जाँच में पता चला कि साल 2006 में लाल बाबू राय के बेटे लाल चंद कुमार को रेलवे में नौकरी दी गई थी।
करोड़ों की जमीन कौड़ियों के भाव लिए
CBI जाँच में पाया कि लालू यादव और उनके परिवार ने बिहार में 1.05 लाख वर्ग फीट की जमीन सिर्फ 26 लाख रुपए में हासिल की थी। वहीं, उस समय के सर्किल रेट के अनुसार उन जमीनों की कुल कीमत 4.40 करोड़ रुपए के करीब थी। सीबीआई ने यह पाया कि जमीन की खरीद के मामले में अधिकतर जमीनों के लिए नकद में पैसे दिए गए थे।
सीबीआई ने यह पाया कि 7 लोगों से करोड़ों रुपए की जमीन लेकर 12 लोगों को नौकरी दी गई थी। इन जमीनों को या तो सीधे लालू परिवार को बेच दिया गया, गिफ्ट कर दिया गया या फिर अन्य लोगों के जरिए रूट करके अंतत: लालू परिवार को दे दी गई।
ED की कार्रवाई
ED ने शुक्रवार (10 मार्च 2023) को लालू यादव के करीबियों के दिल्ली, मुंबई, नोएडा, राँची, गाजियाबाद और पटना में 24 जगहों पर रेड डाली थी। जिन जगहों पर रेड डाली गई, उनमें दिल्ली स्थित तेजस्वी यादव के घर के साथ-साथ लालू यादव की तीन बेटियों- हेमा, रागिनी और चंदा के घर भी शामिल हैं। ED ने लालू यादव के समधी जितेंद्र यादव के गाजियाबाद स्थित आवास पर भी छापा मारा।
लालू के समधी जितेंद्र यादव के आवास पर ED की कार्रवाई 16 घंटे तक चली। एजेंसी 3 बड़े बॉक्से में कागजात भरकर भी अपने साथ ले गई है। जितेंद्र यादव समाजवादी पार्टी (SP) के MLC रह चुके हैं और गाजियाबाद के RDC राजनगर इलाके में रहते हैं।
वहीं, लालू के करीबी और RJD के पूर्व विधायक अबू दोजाना के घर पर छापेमारी के दौरान ED ने सेप्टिक टैंक की खुदाई भी की। लालू यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने ED की कार्रवाई का वीडियो शेयर कर ट्वीट कर लिखा है, “सेप्टिक टैंक की खुदाई से गैस मिली। चाय बनाने के लिए मोदी साहब के लिए भर-भर ट्रक लेके गए हैं जमाई।”
तेजस्वी का 150 करोड़ का मकान और 600 करोड़ रुपए की संपत्ति की जानकारी
प्रवर्तन निदेशालय ने 10 मार्च 2023 को रेड मारा, जिसमें दिल्ली के पॉश इलाके न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी में तेजस्वी यादव के 150 करोड़ की कीमत के बंगले जानकारी सामने आई है। कागजों में चार मंजिल वाले इस बंगले की बिक्री की कीमत सिर्फ 4 लाख रुपए दर्ज की गई है।
इतना ही नहीं, रेड के दौरान प्रवर्तन निदेशालय ने लालू यादव की बेटी और तेजस्वी यादव की बहन रागिनी यादव के घर पर रेड के दौरान करोड़ों रुपए कीमत के आभूषण और नकदी बरामद किए। रागिनी यादव के यहाँ से 54 लाख रुपए की नकदी और करोड़ों रुपए का 1.5 किलोग्राम आभूषण बरामद किए गए।
ED ने कहा, “छापे में लगभग 600 करोड़ रुपए की आपराधिक आय वाली संपत्ति का पता चला है। इसमें 350 करोड़ रुपए की अचल संपत्ति और 250 करोड़ रुपए के लेनदेन के रूप में है।” एजेंसी का कहना है कि इस पैसे का कुछ हिस्सा न्यू फ्रेंड्स कॉलोनी का बंगला खरीदने में चला गया, जो मुंबई की कुछ आभूषण कारोबारी संस्थाओं के माध्यम से रूट किया गया।
ED का यह भी कहना है कि लालू यादव के परिवार ने रेलवे में ग्रुप-डी की नौकरी के गरीब आवेदकों से सिर्फ 7.5 लाख रुपए में चार पार्सल जमीन लिया गया था। इसे राबड़ी देवी द्वारा 3.5 करोड़ रुपए के भारी लाभ के साथ आरजेडी के पूर्व विधायक सैयद अबू दोजाना को बेचा गया था।
पिछले साल लालू सहित कई नेताओं के यहाँ छापेमारी
CBI ने मई 2022 में जमीन के बदले नौकरी देने के मामले में लालू यादव के अलावा उनकी पत्नी राबड़ी देवी, दो बेटियों मीसा भारती और हेमा यादव, भोला यादव समेत लालू के करीबियों और परिजनों के दर्जन भर से अधिक ठिकानों पर छापेमारी की थी। इसके बाद CBI ने 24 अगस्त 2022 को RJD नेताओं के यहाँ दोबारा छापेमारी की।
CBI ने इस मामले में इस साल मई में लालू यादव, उनकी पत्नी और पूर्व CM राबड़ी देवी, उनकी बेटियों मीसा यादव और हेमा यादव के अलावा नौकरी पाने के बदले में कम कीमत में जमीन देने वाले कुछ अयोग्य उम्मीदवारों समेत 16 लोगों को आरोपी बनाते हुए उनके खिलाफ FIR दर्ज की थी।
IRCTC घोटाले में भी लालू परिवार
IRCTC का मामला रेलवे भर्ती घोटाले से अलग है। IRCTC घोटाले को भी लालू यादव के रेल मंत्री रहते हुए अंजाम दिया गया था। दरअसल, नए नियम के तहत उस दौरान रेलवे बोर्ड ने रेलवे कैटरिंग और रेलवे की होटलों की सेवा को IRCTC को सौंप दिया था।
इस दौरान झारखंड की राजधानी राँची और ओडिशा के पुरी के होटल के रखरखाव, संचालन और मरम्मत को लेकर जारी किए गए टेंडर में कई अनियमिताओं को अंजाम दिया गया। टेंडर में गड़बड़ी करते हुए इसका टेंडर साल 2006 में निजी होटल सुजाता को दे दिया गया था।
आरोप है कि सुजाता होटल्स के मालिकों ने इस टेंडर को हासिल करने के बदले लालू यादव और उनके परिवार को पटना में तीन एकड़ जमीन दी थी। यह जमीन बेनामी संपत्ति थी। इस मामले में लालू यादव, राबड़ी देवी, तेजस्वी यादव समेत कई लोग आरोपित बनाए गए हैं। इस घोटाले में लालू, राबड़ी और तेजस्वी जमानत पर हैं। वहीं, लालू के OSD भोला यादव जेल में हैं।
लालू यादव पर चारा घोटाला
चारा घोटाले से जुड़े पाँच अलग-अलग मामलों में लालू यादव को कोर्ट ने सजा सुना दिया है। जिन मामलों में कोर्ट ने सजा सुनाई है, वे हैं- चाईबासा कोषागार से अवैध रूप से 37.7 करोड़ रुपए की निकासी, देवघर सरकारी कोषागार से 84.53 लाख रुपए की अवैध निकासी, चाईबासा कोषागार से जुड़े एक अन्य मामले में 33.67 करोड़ रुपए की अवैध निकासी।
इसके अलावा, दुमका कोषागार से 3.13 करोड़ रुपए की अवैध निकासी, डोरंडा कोषागार से 139 करोड़ रुपए की अवैध निकासी शामिल है। इन सभी मामलों में उन्हें सजा मिल चुकी है। हालाँकि, फिलहाल वे जमानत पर हैं।