लखनऊ। समाजवादी पार्टी के नेता स्वामी प्रसाद मौर्य कल वारणसी दौरे पर गए थे। जहां पर इनको भारी विरोध भी झेलना पड़ा। वाराणसी दौरे पर गए स्वामी प्रसाद की गाड़ी पर स्याही फेंकने के साथ-साथ काले झंडे भी दिखाए गए। इन सब मुद्दों पर स्वामी प्रसाद मौर्या ने भारत समाचार से खास बातचीत की।
अपने ऊपर हुई कल की घटना पर बोलते हुए स्वामी प्रसाद मौर्या ने कहा कि चार-पांच गुर्गे मेरी गाड़ी की ओर लपके वो क्या फेंकना चाहते थे? क्या उनके हाथ में था? हाथ में तो माला दिखाई पड़ा लेकिन माले के अंदर कुछ छिपा था। मेरी गाड़ी की ओर दौड़े, स्थानीय पुलिस ने उनको दबोच कर के बाहर किया, मेरे पास तक नहीं आ पाए, आने का प्रयास कर रहे थे, हो सकता है स्याही फेंकने की बात किए हों, हो सकता है वो हमला करने की उनकी नियत रही हो या कुछ और बात रही हो। लेकिन चूँकि मेरे पास तक नहीं आ पाए इससे उनके मनसूबे धरे के धरे रह गए।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने अपने विरोध को लेकर कहा कि स्वाभाविक रूप से इस देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों पर जनजाति अत्याचार करने वालों की जमात का कोई ना कोई होगा। उन्होने कहा कि जब हम इस देश के करोड़ों-करोड़ों आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों और महिलाओं के सम्मान की बात के लिए निकल पड़े हैं तो ये छोटे-मोटे मगर गुंडो की, डरावने, काले झंडे, स्याही फेंकने से ये बात रुकने वाली नहीं है।
स्वामी प्रसाद मौर्य ने कहा कि क्या धर्म के नाम पर महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को अपमान करना ये लोग अपना धर्म मानते हैं? अगर गाली देना ही धर्म है तो ये इनको मुबारक हो हम तो धर्म के नाम पर देश की महिलाओं, आदिवासियों, दलितों, पिछड़ों को जो अपमानित करने वाली टिप्पणियां रामचरित मानस की कुछ चौपाइयों में किया है। उन्होने कहा कि हमने तो किसी आराध्य पर कोई बात नहीं की, हिन्दू धर्म में हम सब पैदा हुए हैं इसलिए अपने घर को ठीक करना वो घर ढहाना नहीं होता।
उन्होने कहा कि ये हिंदू मुस्लिम के नाम पर राजनीति किए हैं और इनकी राजनीति का आधार ही हिंदू-मुस्लिम है। उन्होने कहा कि ये अगर विकास के मुद्दे पर बात करते, बेरोज़गार नौजवानों को रोज़गार दिलाने की बात करते, महंगाई को रोकने की बात करते, सरकारी संपत्तियों को निजी हाथों में बेचने से बचने की बात करते, जीएसटी के माध्यम से छोटे व्यापारियों को जो लूट का शिकार बनाया जा रहा है, उससे बचाने का काम करते तो बात हम इनका उत्तर देते।