पटना। बिहार में महागठबंधन सरकार बनने के बाद से ही नौकरी-रोजगार सरकार और विपक्ष के एजेंडे में सबसे ऊपर है। ऐसे में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार बेरोजगारों को नाराज करने का रत्ती भर रिस्क नहीं उठा रहे हैं। शिकायतें आ रही हैं तो चट सुनवाई और पट एक्शन हो रहा है। दस दिन के अंदर नीतीश कुमार ने बेरोजगारों की मांग पर बिहार लोक सेवा आयोग की प्रारंभिक परीक्षा को लेकर बीपीएससी के दो फैसले पलट दिए।
सबसे पहले बीपीएससी कैंडिडेट्स ने दो पाली (शिफ्ट) में परीक्षा लेने और पर्सेंटाइल सिस्टम का विरोध करते हुए पटना में प्रदर्शन किया था। प्रदर्शन को तितर-बितर करने के लिए पुलिस को लाठी चलानी पड़ी थी। कुछ दिन पहले ही सातवें चरण की शिक्षक बहाली की मांग कर रहे अभ्यर्थियों पर लाठीचार्ज से सरकार की छवि को नुकसान पहुंचा था। मुख्यमंत्री नीतीश ने फौरन बीपीएससी मामले का संज्ञान लिया और मुख्य सचिव से लेकर बीपीएससी चेयरमैन तक को बुलाया और फैसला हो गया कि अब बीपीएससी पीटी की परीक्षा दो के बदले एक ही पाली में होगी।
फिर इस सप्ताह बीपीएससी ने पीटी परीक्षा की तिथि 21 सितंबर जारी कर दी। फिर बवाल हो गया। दिल्ली दौरे पर गए नीतीश कुमार से यूपीएससी और बीपीएससी दोनों की तैयारी कर रहे कुछ कैंडिडेट मिले और कहा कि 21 सितंबर को यूपीएससी की मुख्य परीक्षा है जबकि बीपीएससी ने प्रारंभिक परीक्षा का डेट रख दिया है। इससे उन लोगों को एक परीक्षा छोड़ना पड़ेगा जो दोनों देना चाहते हैं। नीतीश ने उनको भरोसा दिया कि सरकार इस पर गंभीरता से विचार करेगी। नीतीश गुरुवार की शाम पटना पहुंचे और शुक्रवार की दोपहर बीपीएससी पीटी परीक्षा की तारीख 21 सितंबर से बदलकर 30 सितंबर होने का फैसला आ गया।