नई दिल्ली। राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष और कांग्रेस के कद्दावर नेता रहे गुलाम नबी आजाद ने शुक्रवार को सोनिया गांधी के नाम पांच पन्नों की चिट्ठी लिखकर पार्टी से इस्तीफा दे दिया। इस सियासी घटना के बाद राज्यसभा सांसद मनीष तिवारी ने अपनी पार्टी को फिर एकबार नसीहत दी है। उन्होंने कहा है कि जी-23 ने जो कांग्रेस सुप्रीमो को पार्टी की स्थिति को लेकर चिट्ठी लिखी थी, अगर उसपर ध्यान दिया गया होता तो आज ऐसी स्थिति नहीं आती। साथ ही अपनी स्थिति साफ करते हुए उन्होंने कहा कि मैं इस पार्टी का किरायेदार नहीं, बल्कि सदस्य हूं।
न्यूज एजेंसी एएनआई से बात करते हुए उन्होंने कहा, ”ऐसा लगता है कि 1885 से मौजूद कांग्रेस पार्टी और भारत के बीच समन्वय में दरार आ गई है। आत्मनिरीक्षण की जरूरत थी। मुझे लगता है कि 20 दिसंबर 2020 को सोनिया गांधी के आवास पर हुई बैठक में सहमति बन गई होती तो यह स्थिति नहीं आती।” कांग्रेस सांसद आगे कहते हैं, “गुलाम नबी आजाद के पत्र के गुण-दोष में मैं नहीं जाना चाहता। वह इसके बारे में समझाने की सबसे अच्छी स्थिति में होंगे।”
मनीष तिवारी ने कहा,”जिस व्यक्ति की हैसियत एक वार्ड चुनाव लड़ने की भी नहीं है, जो व्यक्ति कभी कांग्रेस नेताओं का चपरासी हुआ करता था, वह जब पार्टी के बारे में ज्ञान देता है तो हंसी आती है।” साथ ही उन्होंने यह भी कहा कि उन्हें किसी से सर्टिफिकेट की जरूरत नहीं है।
कांग्रेस सांसद कहते हैं, ”मैंने इस पार्टी को 42 साल दिए हैं। मैं यह पहले भी कह चुका हूं कि हम इस संस्था यानी कांग्रेस के किरायेदार नहीं हैं, हम पार्टी के सदस्य हैं। अब अगर आप हमें बाहर निकालने की कोशिश करेंगे तो यह दूसरी बात है। तब देखा जाएगा।”