काठमांडू। नेपाल ने भारत से अनुरोध किया है कि हाल में शुरू अग्निपथ योजना के तहत भारतीय सेना में गोरखाओं की भर्ती निलंबित की जाए. नेपाली दैनिक माई रिपब्लिका के अनुसार, नेपाल के विदेश मंत्री नारायण खडके ने बुधवार को नेपाल में भारत के राजदूत नवीन श्रीवास्तव से मुलाकात की और उनसे अनुरोध किया कि नई योजना के तहत नेपाली युवकों की भर्ती की योजना को स्थगित कर दिया जाए.
काठमांडू पोस्ट में प्रकाशित एक अन्य खबर के मुताबिक, भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट के लिए लुंबिनी प्रांत के बटवाल में नेपाली युवकों की भर्ती की तय योजना से एक दिन पहले यह मुलाकात हुई.
रिपोर्ट के अनुसार, भारतीय सेना ने गुरुवार को पश्चिमी शहर बटवाल और पूर्वी शहर धरान में 1 सितंबर को नेपाली युवाओं की भर्ती करने की योजना बनाई थी. माई रिपब्लिका के अनुसार, नेपाल के विदेश मंत्री खडके ने भारतीय राजदूत से कहा कि ‘अग्निपथ योजना के बारे में नेपाल में सभी राजनीतिक दलों को एकमत होना चाहिए’ और भारत से आम सहमति बनने तक भर्ती रोकने का अनुरोध किया.
भारतीय सेना की गोरखा रेजीमेंट में 43 बटालियन हैं और इनमें भारतीय सैनिकों के साथ ही नेपाल से भर्ती जवान भी शामिल होते हैं.
ज्ञात हो कि 14 जून को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने सशस्त्र बलों में युवाओं की भर्ती के लिए ‘अग्निपथ’ योजना को मंजूरी दी थी . इसके तहत चार साल के लिए अग्निवीर नामांकित किए जाएंगे. चार साल की कार्यावधि पूरी होने पर अग्निवीरों को एकमुश्त ‘सेवा निधि’ पैकेज का भुगतान किया जाएगा.
इस योजना के तहत भर्ती होने वाले 25 प्रतिशत अग्निवीरों को ही भारतीय सेना में नियमित किया जाएगा. योजना लाए जाने के समय इसका भारतीय युवाओं ने खासा विरोध किया था. हालांकि, सेना में कहा था कि इसे वापस नहीं लिया जाएगा.
भारतीय सेना में नेपाली गोरखों की भर्ती भारत, नेपाल और ब्रिटेन के बीच हुई त्रिपक्षीय संधि के तहत होती है और अब तक नेपाली गोरखा भारतीय सेना में अपनी सेवा देते आ रहे हैं. जून 2022 में भारत सरकार ने ‘अग्निपथ’ योजना की घोषणा की थी और अब इसके तहत ही भर्ती होनी थी. समझा जाता है कि इसको लेकर नेपाल सरकार असमंजस में है.
समाचार एजेंसी आईएएनएस के अनुसार, अग्निपथ की घोषणा के बाद भारतीय सेना ने काठमांडू में भारतीय दूतावास के माध्यम से नेपाल के विदेश मंत्रालय को पत्र लिखा और भर्ती और सुरक्षा सहायता के लिए मंजूरी मांगी थी. लेकिन नेपाल सरकार भारतीय पक्ष को यह बताने में विफल रही कि क्या वह भारतीय सेना को भर्ती प्रक्रिया शुरू करने की अनुमति देगी.
माई रिपब्लिका ने यह भी बताया कि रक्षा विश्लेषक नेपाल पर पड़ने वाले अग्निपथ योजना के सामाजिक प्रभाव को लेकर चिंतित हैं.
अख़बार के मुताबिक, नेपाल सेना के एक सेवानिवृत्त जनरल ने कहा, ‘नेपाली समाज पर पड़ने वाले सामाजिक प्रभाव पर भी विचार किया जाना चाहिए कि युद्ध और हथियारों में प्रशिक्षित युवा को भारतीय गोरखा रेजीमेंट में पूरा करिअर बिताने के बजाय नेपाल वापस भेज दिया जाएगा. जैसा कि भारतीय टिप्पणीकारों ने भी सुझाया है कि इस बात के समाजशास्त्रीय सबूत भी हैं कि ऐसी स्थिति से समाज में बंदूक-हिंसा और अन्य प्रकार की हिंसा के स्तर बढ़ने की संभावना है.’
काठमांडू पोस्ट के अनुसार, इस वर्ष अग्निपथ योजना के तहत लगभग 1,300 नेपालियों की भर्ती की गई, जो पिछले वर्षों की तुलना में बहुत कम है. कुल मिलाकर, इस वर्ष तीनों भारतीय सेनाओं में लगभग 40,000 ‘अग्निवीर’ भर्ती होने की उम्मीद है.
इस बीच नई दिल्ली में भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता अरिंदम बागची ने कहा कि भारतीय सेना लंबे समय से नेपाल के गोरखा की सैनिकों के रूप में भर्ती करती रही है और वह अग्निपथ भर्ती योजना के तहत प्रक्रिया जारी रखने के लिए आशान्वित है.