नई दिल्ली। उपराज्यपाल विनय कुमार सक्सेना ने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के काम करने के तौर-तरीके पर सवाल उठाए हैं. इसके लिए उन्होंने मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को पत्र लिखा है. पत्र में विनय कुमार सक्सेना ने लिखा है कि उपराज्यपाल के पास अप्रूवल या सुझाव के लिए आने वाली फाइलों पर मुख्यमंत्री के हस्ताक्षर नहीं होते हैं, सिर्फ जूनियर अधिकारियों के हस्ताक्षर होते हैं.
उन्होंने कहा है कि फाइलों पर या तो जूनियर अधिकारियों के हस्ताक्षर होते हैं या फिर लिखा होता है कि ‘सीएम साहब ने फाइल देख ली है या अप्रूव कर दी है’. पत्र में उपराज्यपाल ने ‘ऑफिस मैनुअल’ का जिक्र करते हुए लिखा है कि केवल विशेष और अति आवश्यक मामलों या परिस्थितियों में ही या फिर मंत्री यात्रा पर हो या बीमार हो और मंत्री की अप्रूवल फोन से लिया गया हो, ऐसी स्थिति में निजी सचिव लिखित में दे सकते हैं. और मंत्री के ऑफिस ज्वाइन करने पर उनका अप्रूवल ले सकते हैं.
विवाद की स्थिति बनती है तो खुद को दूर रखा जा सके
उपराज्यपाल ने पत्र में यह भी लिखा है कि बीते कुछ महीनों से लगातार यह स्थिति बनी हुई है. ऐसे में सिर्फ अधिकारियों के हस्ताक्षर के साथ फाइल भेजने से बचना चाहिए, क्योंकि इससे एक भ्रम की स्थिति पैदा होती है कि मुख्यमंत्री ने फाइल देखी है, अप्रूव की है या नहीं. एक प्रभावी शासन के लिए यह बहुत जरूरी है कि प्रस्ताव पर मेरे सुझाव या अप्रूवल के लिए भेजे जाने वालीं फाइलों पर हस्ताक्षर ज़रूर करें. साथ ही उपराज्यपाल ने सुझाव दिया है कि फाइलों के निर्बाध आदान-प्रदान के लिए ‘ई-ऑफिस’ सिस्टम को अपनाया जाए. उपराज्यपाल कार्यालय के सूत्रों के मुताबिक, अरविंद केजरीवाल ऐसा इसलिए कर रहे हैं कि भविष्य में कोई भी विवाद की स्थिति बनती है तो खुद को दूर रखा जा सके.