लखनऊ। रामपुर उपचुनाव में यूं तो टक्कर बीजेपी और समाजवादी पार्टी में थी. लेकिन यहां आमने-सामने थे आजम खान के दो शागिर्द. ये दो नेता हैं आसिम रजा और घनश्याम सिंह लोधी. आसिम रजा समाजवादी पार्टी से चुनाव लड़ रहे थे तो घनश्याम सिंह लोधी भगवा खेमे का प्रतिनिधित्व कर रहे थे.
इन दोनों ही नेताओं ने आजम खान की छत्र-छाया में अपनी-अपनी सियासत को आगे बढ़ाया और सूबे की राजनीति में अपना मुकाम हासिल किया. यूं तो रामपुर कई सालों से सपा का गढ़ था और यहां आजम खान का सिक्का चलता था. लेकिन इस चुनाव में घनश्याम सिंह लोधी ने आजम खान के वर्चस्व को तोड़ दिया. घनश्याम सिंह लोधी ने सपा के आसिम रजा को 42192 वोटों से शिकस्त दी.
बीजेपी-बसपा और सपा के साथ रहे घनश्याम
घनश्याम सिंह लोधी ने अपनी सियासी जिंदगी में हर पार्टी के साथ प्रयोग किया है. उन्होंने राजनीति तो बीजेपी के साथ ही शुरू की लेकिन बीच-बीच में उनकी सियासी जिंदगी में भटकाव आता रहा. बीजेपी के बाद घनश्याम सिंह लोधी बसपा में गए. लोधी 2009 में बसपा से रामपुर सीट से लोकसभा का चुनाव लड़े मगर हार गए. इसके बाद वे कल्याण सिंह की पार्टी में पहुंचे फिर 2011 में समाजवादी पार्टी का दामन थामकर आजम खान के करीबी बन गए.
आजम खान ने हेलिकॉप्टर से भिजवाया था सिंबल
उत्तर प्रदेश की राजनीति में आजम और घनश्याम की खूब छनी. घनश्याम सिंह लोधी आजम खान के चहेतों में शामिल हो गए. इसकी बानगी 2016 में देखने को मिली जब धनश्याम सिंह लोधी को स्थानीय निकाय से विधान परिषद भेजने के लिए आजम खान ने पूरी ताकत लगा दी.
घनश्याम सिंह लोधी के लिए आजम खान ने सिर्फ सपा द्वारा पहले से तय MLC कैंडिडेट का टिकट कटवा दिया बल्कि उनके लिए लखनऊ से पार्टी का सिंबल हेलिकॉप्टर के जरिए रामपुर मंगवाया गया तब घनश्याम सिंह ने अपना नामांकन किया.
आजम खान के साथ दूरियां बढ़ने लगीं
विधानपरिषद का सदस्य बनने के बाद घनश्याम लोधी आजम खान के गुड बुक्स में आ गए और उनके राइट हैंड बन गए. लेकिन जैसा कि राजनीति में होता है समय बदलने के साथ आजम खान और घनश्याम लोधी के बीच दूरियां बढ़ने लगी. घनश्याम लोधी का एमएलसी का 6 साल का कार्यकाल खत्म होता इससे ठीक दो महीने पहले 2022 के शुरुआत में घनश्याम लोधी बीजेपी में शामिल हो गए.
बीजेपी ने आजम की सीट पर दिया मौका
इधर जब जेल से बाहर निकलने के बाद आजम खान ने दिल्ली की राजनीति न कर यूपी की राजनीति करने का निश्चय किया तो उन्हें अपनी लोकसभा सीट छोड़नी पड़ी इसके बाद रामपुर सीट पर उपचुनाव करवाने की जरूरत आ पड़ी.
बीजेपी ने इस मौके को भुनाया और घनश्याम लोधी को इसी सीट पर सपा के खिलाफ उतार दिया. इस सीट पर उनका मुकाबला सपा के उस कैंडिडेट से हुआ जिसे आजम खान ने खुद चुना था. हम बात कर रहे हैं कि आसिम राजा की. पूरे चुनाव के दौरान आजम खान और घनश्याम लोधी ने मर्यादा बनाए रखी और एक दूसरे के खिलाफ व्यक्तिगत प्रहार करने से बचते रहे.