नई दिल्ली। दिल्ली पुलिस ने पाकिस्तानी खुफिया एजेंसी आईएसआई की बड़ी साजिश को नाकाम करते हुए छह आतंकी पकड़े हैं। इनमें 47 साल का जान मोहम्मद शेख उर्फ समीर कालिया भी है। पेशे से ड्राइवर समीर मुंबई का रहने वाला है। रिपोर्टों के अनुसार उसे हमलों को अंजाम देने के लिए हथियार जुटाने और टारगेट की पहचान का काम दिया गया था।
यह बात भी सामने आई है कि 2001 में उसे यौन शोषण के एक मामले में गिरफ्तार किया था। उसके डी कंपनी से जुड़े होने का भी संदेह रहा है। रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि जान मोहम्मद सीधा दाऊद इब्राहिम के भाई अनीस इब्राहिम के संपर्क में था। उससे वाट्सऐप के जरिए बात करता था। उसे आतंकियों को आईडी और लॉजिस्टिक मुहैया कराने की जिम्मेदारी दी गई थी। गिरफ्तारी से पहले उसने अपने मोबाइल का सारा डिलीट कर दिया था। जाँच एजेंसी के अनुसार आईएसआई की इस साजिश के लिए फंडिंग अनीस ही कर रहा था।
गिरफ्तार आतंकियों में से दो प्रयागराज के जीशान कमर और दिल्ली के जामिया नगर के ओसामा उर्फ सामी को पाकिस्तान में ट्रेनिंग दी गई थी। दोनों ओमान के रास्ते कराची के पास स्थित थट्टा टेरर कैंप पहुँचे थे। यहीं मुंबई हमले में शामिल अजमल कसाब को भी ट्रेनिंग मिली थी।
रिपोर्ट में सूत्रों के हवाले से बताया गया है कि ओसामा पर अप्रैल से ही नजर रखी जा रही थी। वह 22 अप्रैल 2021 को सलाम एयर की फ्लाइट से लखनऊ से ओमान के मस्कट लिए रवाना हुआ था। वहीं एक फ्लैट में उसकी मुलाकात प्रयागराज के जीशान से हुई। वह भी पाकिस्तान में ट्रेनिंग के लिए भारत से मस्कट पहुँचा था। यहाँ 15-16 बांग्लादेशी भी इनके साथ जुड़े। इन सबको छोटे-छोटे ग्रुप में बाँटा गया। जीशान और ओसामा को एक ही ग्रुप में रखा गया था।
एमबीए की पढ़ाई करने वाला जीशान कुछ साल तक दुबई में अकाउंटेंट की नौकरी भी कर चुका है। उसका परिवार ‘खजूर’ के धंधे में है। वहीं ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रहे ओसामा का परिवार भी फल के कारोबार से जुड़ा है। वह भी अक्सर मध्य-पूर्व जाता रहता था। माना जा रहा है कि इन दोनों का मध्य-पूर्व आना-जाना लगा रहता था, इसी कारण इन्हें ही पाकिस्तान में आतंकी प्रशिक्षण के लिए चुना गया था।
वहीं रायबरेली का मूलचंद उर्फ लाला कहने को किसान है। वह पहले भी छोटे-मोटे आपराधिक गतिविधियों में संलिप्त रहा है। उस पर डी कंपनी का हैंडलर होने का संदेह है। इनके अलावा गिरफ्तार हुए आतंकियों में बहराइच का मोहम्मद अबू बकर और लखनऊ का अमीर जावेद भी है। अबू बकर देवबंद का पढ़ा है और मध्य-पूर्व की यात्रा कर चुका है। वहीं जावेद एक मजहबी विद्वान है और कई साल जेद्दा में रह चुका है। ये दोनों स्लीपर सेल की तरह काम कर रहे थे। इनके जिम्मे मिशन के लिए लोगों को उकसाना और हमले की जगहों की रेकी करना था।
अलग-अलग राज्यों से पकड़े गए इन आतंकियों के निशाने पर 6 राज्यों के 15 शहर थे। नवरात्रि और रामलीला के दौरान भीड़भाड़ में हमलों को अंजाम देने की इनकी प्लानिंग थी। कुछ नामचीन भी इनके निशाने पर थे। इनके पास से विस्फोटक भी मिले हैं।