उज्जैन में शिरीन हुसैन की गिरफ्तारी के बाद से उसके कारनामों को लेकर लगातार खुलासे हो रहे हैं। उस पर अब तक कुल चार केस दर्ज किए गए हैं। यह बात भी सामने आई है कि वह बुजुर्गों को पहले शादी करवाने का झाँसा देती थी और बाद में केस करवा उन्हें ब्लैकमेल करती थी।
रिपोर्ट के अनुसार वह बुजुर्गों और अधेड़ लोगों की शादी का ठेका लेती थी। युवतियों से उनकी मुलाकात करवाती। शादी के नाम पर उनसे पैसा लेती थी। बाद में उन्हीं युवतियों से इन बुजुर्गों पर केस करवा वसूली करती। इससे पहले यह बात भी सामने आई थी कि वह अखबारों में पर्चे डलवा कर हिंदू इलाकों में बँटवाती थी। इसमें घरेलू हिंसा की पीड़ित महिलाओं को संपर्क करने को कहा जाता था। जब कोई पीड़िता शिरीन के संपर्क में आती तो वह उनके परिवार को ब्लैकमेल करने लगती थी।
इतना ही नहीं वह मुस्लिम लड़कों को शादी के लिए हिंदू लड़कियों से मिलवाती थी। पुलिस इन सभी आरोपों की जाँच कर रही है। लग्जरी लाइफ जीने वाली शिरीन धौंस जमाने के लिए सोशल मीडिया में बड़े अधिकारियों के साथ तस्वीर पोस्ट किया करती थी। उसे 11 सितंबर को नागझिरी पुलिस ने धारा 420, 468, 471 व 506 के तहत गिरफ्तार किया था।
रिपोर्ट के अनुसार 13 सितंबर को महिला थाने में उसके खिलाफ दो केस और दर्ज किए गए। दोनों मामलों में उस पर खुद को यूनाइटेड इंटरनेशनल ह्यूमन राइट ट्रस्ट से जुड़ा बताकर ठगी का आरोप है। वर्षा नामक महिला ने अपनी शिकायत में बताया है कि पति से विवाद होने पर वह शिरीन के संपर्क में आई थी। इसी तरह शहनाज ने अपनी शिकायत में बताया है कि उसकी बेटी और दामाद के बीच विवाद होने पर वह शिरीन के संपर्क में आई। एक अन्य मामला कन्हैयालाल माली की ओर से दर्ज कराया गया है। उनके साथ शिरीन ने शादी कराने के नाम पर ठगी थी। एक प्रेमलता बाई का नाम भी सामने आया है। कहा जा रहा है कि शादी के नाम पर शिरीन बुजुर्गों को प्रेमलता से मिलवाती थी और हर मामले में उसे कमीशन देती थी।
गौरतलब है कि शिरीन की गिरफ्तारी यूनाइटेड इंटरनेशनल ह्यूमन राइट्स ट्रस्ट में नियुक्ति के नाम पर उगाही के आरोप में हुई थी। ट्रस्ट की राष्ट्रीय अध्यक्ष लखनऊ निवासी मधु यादव ने बताया था कि शिरीन हुसैन संस्था से 2019 में जुड़ी थी। तब उसे मध्य प्रदेश का सचिव नियुक्त किया गया था। लेकिन नियुक्ति के दो-तीन माह बाद ही संस्था की अन्य महिला सदस्यों से विवाद के बाद उसे हटा दिया गया था। उसने 30 लोगों से 60-60 हजार रुपए लेकर नियुक्ति पत्र और पहचान-पत्र जारी किए थे। मधु यादव ने छह सितंबर को उसके खिलाफ कार्रवाई को लेकर उच्च शिक्षा मंत्री मोहन यादव को एक ज्ञापन सौंपा था।