लखनऊ। श्री कृष्ण जन्मोत्सव मनाने मथुरा पहुंचे सीएम योगी आदित्यनाथ ने कहा कि पहले के मुख्यमंत्री मथुरा, अयोध्या का नाम लेने से भी डरते थे, हमारे पर्व त्यौहारों पर बधाई देने से भी घबराते थे, बिजली पानी भी नहीं दिया जाता था, खुशियों पर बंदिशें थीं, समय की पाबंदी थी, आज हमारे कान्हा का जन्मोत्सव धूमधाम से आधी रात में ही होता है। मुख्यमंत्री ने मुख्य मंच से संबोधन के बाद कृष्णजन्म स्थान स्थित भागवत भवन में की पूजा-अर्चना भी की।
मुख्यमंत्री ने कहा कि, आजादी के बाद रामनाथ कोविंद पहले राष्ट्रपति, जिन्होंने अयोध्या जाकर रामलला के दर्शन किए। इससे पहले सरकारों में बैठे लोगों को पूजा करने में भी सांप्रदायिकता का भय होता था। जो पहले मंदिर जाने में संकोच करते थे, अब कहते हैं राम और कृष्ण हमारे हृदय में हैं। पहले हिन्दू त्योहारों पर न बिजली होती थी न पानी, राजनीतिक परिवर्तन के बाद मिलने लगी। मुख्यमंत्री ने ब्रज के विकास का संकल्प दोहराय, उन्होंने कहा कि ब्रज तीर्थ विकास परिषद संतों के सानिध्य में है।
योगी आदित्यनाथ शाम करीब 4:58 बजे श्री कृष्ण जन्मस्थान पहुंचे। उन्होंने पहले केशवदेव के दर्शन किये और इसके बाद गर्भगृह में पहुंचकर ठाकुरजी के दर्शन किये। यहां से वह भागवत भवन पहुंचे, जहां पूजन अर्चन किया। यहां पर पुजारी ने उन्हें पगड़ी पहनाई और प्रसाद भेंट किया। इससे पूर्व रामलीला मैदान में सभा में मुख्यमंत्री योगी ने कहा कि भारत की आध्यात्मिक और सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक सभी देव विग्रहों की पूजा-दर्शन करने में भी पहले की सरकारों को सांप्रदायिक होने का भय लगता था लेकिन अब प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में नया भारत अंगड़ाई ले रहा है। एक-एक करके सैकड़ों वर्षों से दबी हुई भावनाएं और आस्था के केंद्र अपने नए रूप में सामने आ रहे हैं। कल वह राष्ट्रपति के साथ अयोध्या में थे। उन्होंने कहा कि आाजादी के बाद पहले राष्ट्रपति अयोध्या पहुंचे, जिन्होंने रामलला के दर्शन किये। प्रधानमंत्री के रूप में नरेंद्र मोदी पहले प्रधानमंत्री थे, जिन्होंने रामलला के दर्शन किये।
मुख्यमंत्री ने कहा कि पहले आपके (हिंदुओं के) पर्व और त्योहार पर बधाई देने के लिए न कोई मुख्यमंत्री आता था, न मंत्री और न विधायक आता था। भारतीय जनता पार्टी के जनप्रतिनिधियों को छोड़ दें तो शेष दलों के लोग दूर भागते थे। लोग डरते थे। हिंदू पर्व और त्योहारों में कोई नहीं आता था, सहभागी नहीं बनता था। पर्व और त्योहारों में बंदिशें अलग से रहती थीं। बिजली-पानी नहीं होते थे, सुरक्षा नहीं होती थी, सफाई नहीं रहती थी। अलर्ट जारी होता था कि रात 12 बजे के बाद आप कार्यक्रम नहीं करेंगे। रंगोत्सव का काय्रक्रम नहीं करेंगे। अब तो ऐसी बंदिश नहीं है, यह राजनीतिक परिवर्तन है।