पंजाब की कॉन्ग्रेस सरकार ने लाल किला के उपद्रवियों को कानूनी सहायता के साथ-साथ वित्तीय मदद भी देने की योजना बनाई है। याद हो कि गणतंत्र दिवस (26 जनवरी, 2021) के दिन किसानों ने दिल्ली में ट्रैक्टर मार्च के नाम पर लाल किला पर खालिस्तानी झंडा फहराया था, महिलाओं के साथ बदसलूकी की थी और सैकड़ों पुलिसकर्मियों को घायल कर दिया था। पंजाब सरकार शुरू से इन उपद्रवियों के समर्थन में है।
पंजाब में अगले साल विधानसभा चुनाव होने वाले हैं। कॉन्ग्रेस अंतर्कलह से पीड़ित रही है और नवजीत सिंह सिद्धू को प्रदेश अध्यक्ष बना कर मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह के पर कुतर दिए गए हैं। ऐसे में लाल किला के उपद्रवियों का समर्थन कर कॉन्ग्रेस फिर से ‘किसान आंदोलन’ की मलाई का स्वाद लेने की कोशिश में है। दिल्ली पुलिस ने जिन भी उपद्रवियों पर केस दर्ज किए हैं, उन सबको समर्थन देकर कॉन्ग्रेस अगला चुनाव जीतना चाहती है।
पंजाब विधानसभा की ओर से कॉन्ग्रेस विधायक कुलदीप वैद की अगुवाई में बनाई गई कमिटी ऐसे लगभग 100 किसानों के बयान दर्ज कर रही है, जो लाल किला उपद्रव में शामिल थे। अब तक 60 ऐसे किसानों के बयान दर्ज भी किए जा चुके हैं और शुक्रवार (30 जुलाई, 2021) को भी 10 किसानों के बयान लिए गए। दीप सिद्धू के नेतृत्व में किसानों ने लाल किला परिसर में हिंसा की थी।
पुलिस ने विरोध प्रदर्शन के लिए रूट तय कर दिया था, लेकिन इसके बावजूद उपद्रवियों ने पुलिस व आम लोगों के साथ हिंसा की थी। लाल किला पर खालिस्तानी झंडा फहरा कर कई घंटों तक हुड़दंग मचाया जा रहा था। दिल्ली पुलिस ने इन उपद्रवियों के खिलाफ केस दर्ज किया था। दीप सिद्धू वहाँ से भाग खड़ा हुआ था, लेकिन बाद में उसे धर-दबोचा गया। विधानसभा कमेटी के चेयरमैन कुलदीप वैद तो यहाँ तक दावा कर बैठे कि किसानों के साथ दिल्ली पुलिस ने ज्यादती की है।
अत्यंत खतरनाक, चौंकाने वाली, सोचनीय और निंदनीय खबर है कि पंजाब सरकार 26 जनवरी को लाल किला हिंसा में शामिल अपराधियों को कानूनी सहायता प्रदान करेगी।
तो क्या अब खालिस्तानी पंजाब सरकार को नियन्त्रित कर रहे हैं?
भारत संज्ञान ले????— Shachi kant Sharma (@KantShachi) July 31, 2021
उन्होंने दावा किया कि दिल्ली में किसानों की पिटाई की गई, जबकि वो तो लाल किला की तरफ गए भी नहीं थे। उन्होंने दिल्ली पुलिस पर किसानों को हिरासत में लेकर यातनाएँ देने का आरोप लगाया। उन्होंने दावा किया कि जिन 60 किसानों के बयान लिए गए हैं और 40 किसानों के लिए जाने हैं, उनमें से अधिकतर गरीब परिवार के हैं। कमिटी उन्हें कानूनी सहायता देने के साथ-साथ मुआवज़ा देने की भी सिफारिश करेगी।
इस बारे में कमिटी मुख्यमंत्री कैप्टेन अमरिंदर सिंह से इस सम्बन्ध में विचार-विमर्श भी करेगी। इस रिपोर्ट को तैयार करने में समय लग सकता है। हाल ही में पंजाब कॉन्ग्रेस के पूर्व अध्यक्ष सुनील जाखड़ ने कहा था कि कि मुख्यमंत्री अमरिंदर सिंह ने किसानों के विरोध को बखूबी सँभाला। यदि कोई और मुख्यमंत्री होता तो किसानों के गुस्से का खामियाजा केंद्र सरकार की जगह पंजाब सरकार को भुगतना पड़ता। वे नवजोत सिंह सिद्धू को पार्टी का नया प्रदेश अध्यक्ष बनाए जाने पर आयोजित समारोह में बोल रहे थे।