श्रावण के इस पवित्र मास में बात करेंगे एक ऐसे शिव मंदिर की, जो पूरे भारत में सबसे अनूठा है। हरियाणा के कैथल में स्थित इस शिव मंदिर को भगवान श्री कृष्ण ने बनवाया था और यहाँ स्थापित किए थे 11 रुद्र। यही कारण है कि मंदिर को श्री ग्यारह रुद्री मंदिर के नाम से जाना जाता है। यह भारत का इकलौता ऐसा मंदिर है, जहाँ एक ही स्थान पर 11 रुद्र विराजमान हैं।
श्री कृष्ण द्वारा मृत सैनिकों की आत्मा शांति का प्रयास
महाभारत काल में कौरवों और पांडवों के बीच हुए भयानक युद्ध में दोनों ओर से करोड़ों सैनिकों की मौत हो गई थी। जब महाभारत युद्ध समाप्त हुआ, तब इन मृत सैनिकों की आत्मा की शांति और मुक्ति के लिए भगवान श्रीकृष्ण ने इस मंदिर की स्थापना की और यहाँ 11 रूद्रों को स्थापित किया। साथ ही पांडवों को अपने स्वजनों की हत्या के पाप से मुक्त करने के लिए श्री कृष्ण ने इस मंदिर में उनसे भी पूजा-अर्चना करवाई। इसके अलावा श्रीकृष्ण के द्वारा नौ कुंड भी स्थापित किए गए थे। हालाँकि मंदिर का लगातार पुनर्निर्माण होता रहा लेकिन श्री कृष्ण द्वारा बनवाया गया प्राचीन मंदिर और उसमें स्थापित किए गए 11 रुद्र आज भी उसी तरह हैं।
मंदिर के विषय में जानकारी
यह माना जाता है कि पूरे देश में कैथल ही एक मात्र स्थान है, जहाँ 11 रुद्र स्थापित हैं। ये 11 रुद्र विलोहित, शास्ता, कपाली, पिंगल, अजपाद, अहिबरुध्न्य, भीम, विरूपाक्ष, चंड, भव व शंभु हैं। इसके अलावा 4 एकड़ में फैले इस मंदिर परिसर में राम दरबार, माता दुर्गा, वैष्णो माता, राधा-कृष्ण मंदिर, महाकाली मंदिर और नवग्रह मंदिर स्थापित हैं।
मंदिर परिसर में ही एक प्राचीन तालाब भी है, जहाँ विभिन्न अवसरों पर श्रद्धालु स्नान करके भगवान शिव के दर्शन करते हैं। मंदिर में भगवान शिव की एक प्रतिमा है और रथ में अर्जुन को उपदेश देते हुए भगवान कृष्ण की चित्रकारी भी की गई है। कैथल के अंतिम शासक उदय सिंह ने श्री ग्यारह रुद्री मंदिर और तालाब का जीर्णोद्धार करवाया था। मंदिर का प्रबंधन अब मंदिर समिति के हाथ में है, जो श्री ग्यारह रुद्री स्कूल भी संचालित करती है, जिसमें शहर भर के कई श्रद्धालु शिक्षा ग्रहण करते हैं।
कैथल और 11 रूद्रों का इतिहास
पौराणिक इतिहास के अनुसार ज्येष्ठ पांडव महाराजा युधिष्ठिर ने कैथल की स्थापना की थी। कैथल का प्राचीन नाम कपिस्थला था, जो बाद में बदलते हुए कैथल हो गया। 11 रूद्रों की उत्पत्ति काशी में हुई थी। ऋषि कश्यप के वरदान माँगने पर भगवान शिव ने 11 रूद्रों के रूप में सुरभि गाय के पेट से जन्म लिया था। काशी में 11 रूद्रों की उत्पत्ति के बाद श्रीकृष्ण ने कैथल में इन 11 रूद्रों को विराजमान किया था, इसलिए कैथल को ‘छोटी काशी’ भी कहा जाता है।
महाशिवरात्रि और श्रावण मास यहाँ का महत्वपूर्ण त्यौहार है। इन दोनों ही अवसरों पर न केवल हरियाणा बल्कि देश के कोने-कोने से श्रद्धालु भगवान शिव के 11 रुद्र रूपों के दर्शन के लिए आते हैं। इसके अलावा भक्तगण पौराणिक मान्यताओं के अनुसार 11 रूद्रों का महा-अभिषेक भी करते हैं। मंदिर में श्रीकृष्ण जन्माष्टमी, श्री रामनवमी, दशहरा और दीपावली जैसे त्यौहार भी मनाए जाते हैं। इस मंदिर में दशहरे के पहले रामलीला का आयोजन भी किया जाता है।
कैसे पहुँचें?
कैथल का निकटतम हवाईअड्डा चंडीगढ़ में स्थित है, जो यहाँ से लगभग 120 किलोमीटर (किमी) की दूरी पर है। साथ ही दिल्ली का अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डा यहाँ से लगभग 190 किमी की दूरी पर स्थित है।
कैथल का रेलवे स्टेशन मंदिर से मात्र 1 किमी की दूरी पर है। यहाँ से दिल्ली, चंडीगढ़ और पंजाब एवं हरियाणा के प्रमुख शहरों के लिए ट्रेनें उपलब्ध हैं। सड़क मार्ग से भी कैथल हरियाणा के प्रमुख शहरों से जुड़ा हुआ है और यही कारण है कि श्री ग्यारह रुद्री मंदिर आसानी से पहुँचा जा सकता है।