विराट कोहली, आज ये नाम दुनिया में क्रिकेट का पूरक बन चुका है। उन्होंने सैंकड़ों रिकॉर्ड अपने नाम किए हैं। लिमिटेड ओवर क्रिकेट हो या हो टेस्ट की बात… इस खिलाड़ी का जलवा हर तरफ बिखेरा है। खासतौर पर टेस्ट की बात करें, तो कोहली ने टेस्ट को विराट रूप दिया है। आज यानी 20 जून 2011 को विराट कोहली ने सफेद जर्सी पहन, 22 गज की पट्टी पर पहली बार कदम रखा था।
वेस्टइंडीज के खिलाफ किया था डेब्यू
आज ही के दिन, ठीक 10 साल पहले विराट कोहली ने किंग्स्टन, जमैका के मैदान पर महेंद्र सिंह धोनी की कप्तानी में अपने टेस्ट करियर का आगाज किया था। इससे पहले तक विराट ना सिर्फ एकदिवसीय टीम प्रमुख खिलाड़ी बन चुके थे, बल्कि उनके खाते में एक वर्ल्ड कप जीतने का रिकॉर्ड भी दर्ज था। वनडे में तो कोहली के अपने नाम डंका बजा चुके थे लेकिन अब बारी असली फॉर्मेट और असली क्रिकेट की थी।
पहला टेस्ट ही नहीं पूरी सीरीज में हुए फ्लॉप
बात सिर्फ पहले टेस्ट की नहीं थी, विराट कोहली अपनी डेब्यू टेस्ट सीरीज में बुरी तरह से फ्लॉप रहे। पूरी श्रृंखला के तीन मैचों में कोहली ने केवल 76 रन बना सके थे। फॉर्म इतनी खराब थी कि पांच पारियों में उनके बल्ले से एक अर्धशतक तक देखने को नहीं मिला। वेस्टइंडीज के खिलाफ सुपर फ्लॉप होने के बाद उनको इंग्लैंड दौरे पर खेले जाने वाले चार टेस्ट मैचों की सीरीज के लिए ड्रॉप कर दिया गया।
हालांकि, विराट ने पांच महीनों के बाद टेस्ट टीम में फिर से एंट्री मारी और वेस्टइंडीज के खिलाफ मुंबई टेस्ट की दोनों पारियों में शानदार अर्धशतक लगाकर ऑस्ट्रेलिया दौरे का टिकट हासिल किया।
एक नए युग का हुआ ऐलान
2011-12 के ऑस्ट्रेलिया दौरे ने विराट कोहली के टेस्ट करियर को बदलकर रख दिया। पूरी सीरीज में उन्होंने चार मैचों के दौरान 37.50 के औसत के साथ 300 रन बनाए। इसी दौरे पर उन्होंने एडिलेड टेस्ट में अपने करियर का पहला टेस्ट शतक (116) लगाया था। साथ ही पर्थ की मुश्किल विकेट पर 75 रन की पारी भी खेली थी। इस सीरीज के बाद से कोहली ने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा और सीरीज दर सीरीज नए कीर्तिमान स्थापित करते चले गए।
2014 एक ऐसा दौरा जिसे कभी याद नहीं रखना चाहेंगे कोहली
साल 2014 में टीम इंडिया एमएस धोनी की अगुवाई में इंग्लैंड के दौरे पर गई थी। जहां विराट कोहली का बल्ला एक-एक रन के लिए संघर्ष करता नजर आया। पूरी सीरीज में उनके बल्ले से मात्र 13.40 की साधारण सी औसत के साथ सिर्फ 134 रन देखने को मिले। इस सीरीज के बाद कई दिग्गजों ने एक सुर में कहा था कि शायद इंग्लैंड में टेस्ट क्रिकेट खेलना कोहली के बस की बात नहीं है।
कार्यवाहक कप्तान से मुख्य टेस्ट कप्तान तक का सफर
2014-15 में टीम इंडिया ऑस्ट्रेलिया के दौरे पर गई थी और उस समय महेंद्र सिंह धोनी ने पहले टेस्ट से आराम लिया था और विराट कोहली एक कार्यवाहक टेस्ट कप्तान के रूप में टीम इंडिया का नेतृत्व करने मैदान पर उतरे थे, लेकिन उसी सीरीज में धोनी के टेस्ट से संन्यास लेने के बाद विराट को मुख्य रूप से टेस्ट टीम का कप्तान बना दिया गया था।
उनके कप्तान बनाए जाने के बाद टीम इंडिया 2016 में एक बार फिर से टेस्ट में नंबर-1 बनी और तीन सालों तक टेस्ट में बेस्ट बनी रही। खास बात यह रही कि इस दौरान कोहली ने ना सिर्फ कप्तानी में दम दिखाया बल्कि बल्ले से भी दमदार प्रदर्शन किया।
बने सबसे सफल टेस्ट कप्तान
2018 में विराट, एशिया के पहले ऐसे कप्तान बने जिन्होंने ऑस्ट्रेलिया को उसकी सरजमीं पर हराकर टेस्ट सीरीज जीती हो। साथ ही विराट टीम इंडिया के लिए सबसे अधिक टेस्ट मैच जीतने वाले कप्तान भी बने। आज ये विराट कोहली की कप्तानी का नतीजा है कि भारतीय टीम आईसीसी वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप का फाइनल मुकाबला खेल रही है।