नई दिल्ली। दिल्ली सरकार की घर-घर राशन योजना (Ghar Ghar Ration Scheme) पर केंद्र ने रोक लगा दी है. सरकार की योजना अलगे हफ्ते इस योजना को लांच करने की थी. केंद्रीय खाद्य मंत्रालय ने सरकार द्वारा प्रस्तावित घर-घर राशन पहुंचाने की योजना पर आपत्ति जताते हुए इस पर रोक लगा दी थी. दिल्ली (Delhi) में घर-घर राशन पहुंचाने की योजना शुरू होने से पहले विवादों में आ गया था. केंद्र ने सरकार से योजना नहीं लागू करने को कहा था, क्योंकि राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा कानून के तहत सब्सिडी के आधार पर जारी खाद्यान्न का इसके लिए इस्तेमाल करने की अनुमति नहीं है.
केंद्र सरकार ने लोकसभा में दिल्ली राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र सरकार (संशोधन) विधेयक पेश किया था, जिसमें उप राज्यपाल को और अधिक शक्तियां देने का प्रावधान है. मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल 25 मार्च को सीमापुरी इलाके में 100 घरों तक राशन पहुंचाकर इस योजना की शुरुआत करने वाले थे. दिल्ली सरकार को लिखे पत्र में केंद्रीय खाद्य मंत्रालय के संयुक्त सचिव एस जगन्नाथन ने कहा था कि एनएफएसए के तहत वितरण के लिए केंद्र सरकार द्वारा आवंटित सब्सिडी वाले खाद्यान्न को किसी राज्य की विशेष योजना या किसी दूसरे नाम या शीर्षक से कोई अन्य योजना को चलाने में उपयोग नहीं किया जा सकता है.
क्या है घर-घर राशन योजना योजना?
इस योजना के तहत, प्रत्येक राशन लाभार्थी को 4 किलो गेहूं का आटा, 1 किलो चावल और चीनी अपने घर पर प्राप्त होगा. योजना के तहत अब तक बांटे जा रहे गेहूं के स्थान पर गेहूं का आटा दिया जाएगा और चावल को साफ किया जाएगा ताकि अशुद्धियों को दूर कर वितरण से पहले राशन को साफ-सुथरा पैक किया जा सके.
राशन पर फिर बढ़ा विवाद
घर-घर राशन डिलीवरी योजना को लेकर केन्द्र सरकार और राज्य सरकार के बीच एक बार फिर विवाद शुरू हो गया है. दिल्ली सरकार ने केन्द्र पर आरोप लगाते हुए कहा है कि केजरीवाल सरकार की महत्वाकांक्षी ‘घर घर राशन योजना’ पर केन्द्र सरकार ने एक बार फिर रोक लगा दी है. दरअसल केजरीवाल सरकार ने 72 लाख लोगों को उनके घर पर राशन पहुंचाने की योजना बनाई थी जिसे एक हफ़्ते बाद लागू किया जाना था. लेकिन दिल्ली सरकार के सूत्रों ने बताया कि केंद्र सरकार ने इसके लिए मंज़ूरी देने से फ़िलहाल इंकार कर दिया है.
ये पहली बार नहीं है जब इस तरह से डोर स्टेप राशन डिलीवरी को लेकर विवाद शुरू हुआ हो. इससे पहले भी केंद्र सरकार ने इस बात पर आपत्ति जताई थी कि ये योजना केंद्र सरकार की नेशनल फूड सिक्योरिटी एक्ट के तहत आती है, जिसमें कोई भी बदलाव केवल संसद कर सकती है न कि राज्य. इसलिए दिल्ली सरकार इस योजना का न तो नाम बदल सकती है और न ही इसको किसी दूसरी योजना के साथ इसे जोड़ा जा सकता है. दरअसल दिल्ली सरकार इस योजना को मुख्यमंत्री घर-घर राशन योजना के नाम से शुरू करना चाहता थी, जिस पर केन्द्र को आपत्ति थी. विवाद हुआ तो केजरीवाल सरकार इस पर सहमत हो गयी थी कि इसमें से मुख्यमंत्री शब्द हटा दिया जाएगा. कैबिनेट की मीटिंग में इस शब्द को हटा दिया गया और फिर दिल्ली सरकार ने घर-घर राशन योजना के नाम से इसे शुरू करने के लिये केन्द्र से मंज़ूरी मांगी. लेकिन अब इसे भी केन्द्र ने मंज़ूरी देने से इंकार कर दिया है. इस योजना को लेकर केजरीवाल सरकार का दावा है कि राशन की डोर स्टेप डिलीवरी व्यवस्था शुरू होने के बाद दिल्ली में राशन की कालाबाजारी और राशन माफियाओं पर रोक लगाई जा सकेगी.