नई दिल्ली। केंद्र सरकार की वैक्सीनेशन पॉलिसी को लेकर सुप्रीम कोर्ट ने नाराजगी जाहिर की है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार से पूछा कि- वैक्सीनेशन के लिए आपने 35 हजार करोड़ का बजट रखा है, अब तक इसे कहां खर्च किया। कोर्ट ने केंद्र से वैक्सीन का हिसाब भी मांगा।
सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को निर्देश किया है कि वो कोरोना टीकाकरण की नीति पर सभी दस्तावेज प्रस्तुत करे। कोर्ट ने केंद्र सरकार से कहा कि वो कोरोना से जुड़े सभी टीकों की खरीद का ब्योरा दे और पूरा आंकड़ा पेश करे। मामले की अगली सुनवाई 30 जून को होगी।
कोर्ट ने केंद्र से पूछा है कि कितने प्रतिशत लोगों को टीका लग चुका है। कोर्ट ने राज्य सरकारों से यह बताने को कहा कि क्या वह मुफ्त टीका लगा रहे हैं। कोर्ट ने ब्लैक फंगस के इलाज पर भी जानकारी देने का निर्देश दिया। पिछले 31 मई को कोर्ट ने केंद्र की वैक्सीनेशन नीति पर सवाल उठाते हुए कहा था कि 45 साल से ज्यादा उम्र वालों के लिए केंद्र, राज्यों को वैक्सीन उपलब्ध करा रहा है। फिर 18 से 45 साल वालों के वैक्सीन हासिल करने का जिम्मा राज्यों पर क्यों छोड़ दिया। कोर्ट ने केंद्र सरकार को वैक्सीनेशन नीति पर दो हफ्ते में जवाब देने का निर्देश दिया था।
सुनवाई के दौरान सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र और राज्यों दोनों के वैक्सीन हासिल करने के लिए दी जा रही अलग-अलग कीमत पर भी सवाल उठाया था। कोर्ट ने कहा था कि केंद्र चूंकि ज़्यादा मात्रा में वैक्सीन ले रहा है तो उसे कम कीमत देनी पड़ रही है लेकिन राज्य ज़्यादा क़ीमत क्यों दें।
कोर्ट ने कहा कि पूरे देश में वैक्सीन की एक कीमत होनी चाहिए। केंद्र ने कहा था कि कि इस साल के अंत तक 18 साल से ज्यादा उम्र के सभी लोगों को कोरोना से बचाव का टीकाकरण हो जाएगा। केंद्र की ओर से सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने सुप्रीम कोर्ट से कहा था कि इस साल के अंत तक 18 से अधिक उम्र के सभी लोगों का टीकाकरण पूरा होने की उम्मीद है। घरेलू वैक्सीन निर्माता और स्पूतनिक के जरिये ये लक्ष्य पूरा हो पाएगा।