लखनऊ। उत्तर प्रदेश में अगले साल होने वाले विधानसभा चुनावों को लेकर बीजेपी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के साथ मंथन के बाद सरकार से लेकर संगठन तक में बड़े फेरबदल की संभावनाएं बढ़ गई हैं. संघ के सर कार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले राजधानी की सियासी थाह लेने के बाद दिल्ली लौट आए हैं. इससे पहले वह दिल्ली में बीजेपी के शीर्ष नेतृत्व के साथ गोपनीय बैठकें कर चुके हैं. वहीं, मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ आज शाम 7 बजे राज्यपाल से मुलाकात करने जा रहे हैं. इससे इन कयासों को बल मिला है कि कैबिनेट में विस्तार से लेकर प्रदेश संगठन के नेतृत्व में बड़े बदलाव किए जा सकते हैं.
मंत्रिमंडल विस्तार के केंद्र में एके शर्मा
यूपी मंत्रिमंडल और बीजेपी संगठन में फेरबदल की अटकलों के केंद्र में पिछले दिनों नौकरशाह से विधान परिषद के सदस्य बनाए गए अरविंद शर्मा हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के करीबी अधिकारी रहे अरविंद शर्मा के राजनीति में कदम रखने के साथ ही उनको मंत्री बनाए जाने की चर्चाएं चल रही हैं, लेकिन अभी तक अमलीजामा नहीं पहनाया जा सका. लेकिन, हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा उनके कामकाज की सराहना व मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से मुलाकात के बाद से अब एक बार फिर उन्हें अहम जिम्मा सौंपे जाने की चर्चाएं तेज हैं.
क्या केशव मौर्य को दोबारा पार्टी की कमान
वहीं, उत्तर प्रदेश में बीजेपी संगठन नेतृत्व में भी बड़ा बदलाव करने का कदम उठा सकती है. डिप्टी सीएम केशव प्रसाद मौर्य को एक बार फिर से उत्तर प्रदेश बीजेपी की कमान सौंपने की चर्चाएं हैं. बता दें कि केशव प्रसाद मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष रहते हुए बीजेपी 14 साल के सत्ता के वनवास को समाप्त कर यूपी की सत्ता में लौटी थी, जिसमें गैर-यादव ओबीसी मतदाताओं की अहम भूमिका रही है. पंचायत चुनाव में जिस तरह से पूर्वांचल में ओबीसी का मतदाता पार्टी के छिटका है, उसके चलते दोबारा से केशव मोर्य को पार्टी की बागडोर सौंपे जाने की चर्चाएं हैं.
कोरोना और पंचायत चुनाव से बीजेपी चिंतित
दरअसल, कोरोना वायरस की दूसरी लहर के चलते उत्तर प्रदेश में उपजे असंतोष और पंचायत चुनाव के नतीजों से बीजेपी की चिंताएं बढ़ गई हैं. अगले साल की शुरुआत में ही यूपी विधानसभा चुनाव होने हैं, जिसके चलते विपक्षी दलों, खासकर सपा और कांग्रेस ने संक्रमण में कुप्रबंधन का आरोप लगाते हुए योगी सरकार के खिलाफ मोर्चा खोल रखा है. ऐसे में राष्ट्रीय स्वंयसेवक संघ और बीजेपी की शीर्ष लीडरशिप इससे संभावित नुकसान को लेकर अलर्ट है.
उत्तर प्रदेश के सियासी हालात को लेकर पहले दिल्ली में रविवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी, गृहमंत्री अमित शाह, बीजेपी अध्यक्ष जेपी नड्डा के साथ संघ के सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबोले की अहम बैठक हुई. इसमें उत्तर प्रदेश बीजेपी प्रदेश संगठन के महामंत्री सुनील बंसल भी शामिल थे. इसके बाद दत्तात्रेय होसबाले और सुनील बंसल लखनऊ पहुंच थे, जहां दोनों नेताओं ने अलग-अलग बैठक की थी.
होसबाले ने दो दिनों तक प्रदेश की थाह ली
सरकार्यवाह दत्तात्रेय होसबाले राजधानी की सियासी थाह लेने के बाद बुधवार देर शाम दिल्ली लौट आए हैं. हालांकि दो दिन के प्रवास के दौरान न तो उनकी मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और न ही बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह समेत किसी प्रमुख राजनीतिक व्यक्ति से मुलाकात हुई. हालांकि, उन्होंने संघ के स्थानीय पदाधिकारियों के साथ जरूर बातचीत कर बीजेपी और संघ परिवार के संगठनों के बारे में फीडबैक लिया है.
दत्तात्रेय होसबाले के लखनऊ दौरे को सरकार और प्रदेश बीजेपी संगठन में बदलाव की अटकलों से जोड़कर देखा जा रहा था, लेकिन उन्होंने सरकार व संगठन से दूरी बनाए रखी थी. वहीं, बुधवार को ही संगठन मंत्री सुनील बंसल ने यूपी के बीजेपी के सभी सांसदों और विधायकों के साथ-साथ पार्टी संगठन के लोगों के साथ वर्चुअल बैठक की थी, जिसमें बीजेपी प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह भी शामिल हुए थे.
संघ-बीजेपी के मंथन से क्या निकला
बीजेपी-संघ नेताओं की चार दिनों के कसरत के बाद अब सरकार से लेकर संगठन तक में बदलाव की आहट सुनाई देने लगी है. पिछले 15 दिनों से राज्यपाल आनंदीबेन पटेल मध्यप्रदेश में थीं, लेकिन अचानक वह अपने तमाम कार्यक्रम कैंसिल कर लखनऊ लौट आई हैं. वहीं, आनंदीबेन पटेल की लखनऊ पहुंचने से चर्चा ने फिर से जोर पकड़ लिया है कि क्या प्रदेश मंत्रिमंडल में विस्तार हो सकता है. इसके अलावा प्रदेश संगठन में बड़े बदलाव किए जाने की संभावना दिख रही है. हालांकि, राज्यपाल से मिलकर योगी कोरोना के नियंत्रण के लिये किये गये दौरों पर भी रिपोर्ट देंगे, लेकिन मंत्रिमंडल के विस्तार की संभावनाओं से भी इनकार नहीं किया जा रहा है.
यूपी कैबिनेट में अभी रिक्त है 6 पद
दरअसल, मौजूदा समय में योगी सरकार के मंत्रिमंडल में 23 कैबिनेट मंत्री, 9 स्वतंत्र प्रभार मंत्री और 22 राज्यमंत्री हैं. इस तरह से यूपी सरकार में फिलहाल कुल 54 मंत्री हैं, जिसके लिहाज से 6 मंत्री पद अभी भी खाली हैं. चुनावी साल होने के चलते माना जा रहा है कि योगी सरकार अपने मंत्रिमंडल का विस्तार कर सामाजिक समीकरण साधने का दांव चल सकती हैं और संगठन में व्यापक सुधाकर नए तेवर के साथ अगले साल होने वाले चुनाव में किस्मत आजमाने की रणनीति अपना सकती है.