भारत में कोरोना के रोजाना तकरीबन एक लाख से ज्यादा मामले सामने आ रहे हैं. खांसी, बुखार, लॉस ऑफ टेस्ट-स्मैल इस जानलेवा वायरस के कॉमन लक्षण थे. लेकिन नए स्ट्रेन की तबाही के साथ अब नए लक्षण भी देखने को मिले हैं. आइए आपको बताते हैं कि कोरोना के नए स्ट्रेन के लक्षण पुराने वेरिएंट से कितने अलग हैं और इनकी कैसे पहचान की जा सकती है.
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पहले वाले लक्षणों में कितना अंतर– कोरोना के पुराने वेरिएंट के लक्षण इससे थोड़े अलग थे. सूखी खांसी, बुखार, गले में दर्द और सांस में तकलीफ ज्यादा देखने को मिल रही थी. हालांकि मौजूदा हालातों में भी इन लक्षणों को नजरअंदाज करने की भूल नहीं करनी चाहिए.
लॉस ऑफ टेस्ट-स्मैल– कोरोना के पहले स्ट्रेन की चपेट में आने के बाद काफी ज्यादा तादाद में मरीजों को लॉस ऑफ टेस्ट और स्मैल की शिकायत हो रही थी. हालांकि उस वक्त भी कुछ एक्सपर्ट ने ऐसा कहा था कि किसी भी प्रकार के रेस्पिरेटरी डिसीज में इंसान के सूंघने और स्वाद लेने की क्षमता खत्म हो जाती है.
उंगलियों में सूजन– पिछले साल मार्च में इटली के कुछ डर्माटोलॉजिस्ट ने कोविड-19 पॉजिटिव मरीजों के पैरों और उंगलियों में सूजन होने की बात कही थी. उन्होंने ये भी दावा किया था कि कोरोना पॉजिटिव होने के बाद उनकी स्किन का कलर असामान्य ढंग से बदल रहा था. कुछ लोगों की स्किन पर नीले या बैंगली कलर के धब्बे भी देखे गए थे.
बहती नाक– कोविड-19 के कुछ मरीजों में बंद नाक या बहती नाक के लक्षण भी देखे गए थे. हालांकि जरूरी नहीं कि नाक बहने की समस्या कोरोनो वायरस का ही संकेत हो. आमतौर पर एलर्जी या ठंड लगने की वजह से भी नाक बहने लगती है. डब्ल्यूएचओ की रिपोर्ट के अनुसार, कोविड-19 के पांच फीसदी से भी कम मरीज इन लक्षणों का अनुभव करते हैं.
छींक आना और गले में खराश– कोरोना वायरस के कुछ मरीजों में छींक आना और गले में खराश होने जैसी समस्या देखी गई है. हालांकि छींक आने का मतलब यह बिल्कुल भी नहीं है कि आप कोरोना वायरस से ही पीड़ित हों. एलर्जी या सर्दी लगने पर भी छींक आने और गले में खराश होने जैसी समस्या हो जाती है.