कॉन्ग्रेस शासित राज्य छत्तीसगढ़ की न्यायधानी बिलासपुर में पुलिसवालों द्वारा नागा साधु को निर्दयतापूर्वक पीटने का मामला सामने आया है। नागा साधु को बुरी तरह मारने के बाद पुलिसवालों ने उनके पास से सभी दस्तावेज, 1.25 लाख रुपए नकद, 12 हजार रुपए कीमत का मोबाइल फोन और चाँदी के बर्तन लूटकर उन्हें घायल अवस्था में थाने के बाहर फेंक दिया।
रिपोर्ट्स के मुताबिक पीड़ित संत की पहचान जूना अखाड़े के योगी गंगापुरी के रूप में हुई है। वो केरल के त्रिवेंद्रम से बिलासपुर अपने सहयोगी साधु शम्भू महाराज से मिलने के लिए आए थे। उन्होंने AC सेकेंड कोच की टिकट ले रखी थी। उन्हें चकरभाटा रेलवे स्टेशन के पास स्थित अनुसुइया धाम आश्रम में जाना था। बिलासपुर पहुँचने के बाद रेलवे स्टेशन के बाहर वह नहाने लगे।
इसी दौरान वहाँ पहुँचे दो पुलिसवालों ने शक के आधार पर उन्हें हिरासत में ले लिया और वे दोनों नागा संत को तोड़वा पुलिस स्टेशन ले गए। ये जानते हुए भी कि संत को छत्तीसगढ़ी भाषा नहीं आती है। इन पुलिसवालों ने उनसे वहाँ की स्थानीय भाषा में बातचीत की। नहीं समझ पाने पर बुरी तरह से पीटा।
पुलिस की पिटाई से बुरी तरह से घायल संत योगी गंगापुरी घायल अवस्था में रोते हुए रास्ते पर जा रहे थे। उन्हें इस अवस्था में देख रेलवे के एक अधिकारी प्रमोद नागई ने उन्हें रोका। पहले तो उन्हें लगा कि ये कोई मानसिक रूप से विक्षिप्त व्यक्ति हैं। लेकिन, जैसे ही उन्हें यह पता चला कि वो एक संत हैं, नागई अपने घर से कपड़े लाए और उन्हें पहनने के लिए दिया। योगी ने यह कहते हुए मना कर दिया कि वह कपड़े नहीं पहनने के नियमों से बँधे हुए हैं।
बाद में रेलवे अधिकारी साधु को अपने घर ले गए और उनके घावों की मरहम पट्टी की। बाद में वह उन्हें उस आश्रम में भी ले गए जहाँ उन्हें जाना था। मामले की जानकारी मिलते ही भाजपा और बजरंग दल के कार्यकर्ता पीड़ित संत को थाने ले गए।
सुदर्शन न्यूज की रिपोर्ट के मुताबिक पुलिसवालों ने नागा साधु के गुप्तांगों पर लाठियाँ मारी थी। न्यूज चैनल ने इस घटना का वीडियो यू-ट्यूब पर शेयर अपलोड किया है, जिसमें पुलिस की निर्दयता को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है। इस मामले में योगी गंगापुरी के साथ अन्य हिंदू संगठनों ने बिलासपुर रेंज के आईजी रतनलाल दांगी से शिकायत कर इंसाफ की गुहार लगाई है। ‘
योगी गंगापुरी ने पुलिस से उनके प्रमाणपत्र वापस करने की माँग की है, जो उन्हें जूना अखाड़ा ने जारी किया था। हालाँकि, पुलिस वालों ने केवल उनका मोबाइल फोन लौटाया, बाकि सारा सामान वापस नहीं किया।