सवाल चुनावी सीजन में नेताओं के दल बदलने का सिलसिला वैसे तो काफी पुराना है। देश इस समय चुनावी मोड में है। पश्चिम बंगाल समेत देश में इस समय पांच राज्यों में विधानसभा चुनाव हो रहे है और चुनाव के समय विधायकों और नेताओं के पाला बदलने का सिलसिला जारी है। हाल में ही चुनावी राज्य केरल में कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पीसी चाको ने पार्टी के अलविदा कह दिया है। वहीं चुनावी राज्य पुडुचेरी में भी विधायकों के दल बदलने से ठीक चुनाव के समय नारायणस्वामी सरकार ने सदन में अपना विश्वासमत खो दिया और सरकार गिर गई।
मध्यप्रदेश के साथ कर्नाटक में कांग्रेस और जेडीएस गठबंधन की सरकार भी विधायकों के दल बदल के चलते गिरी और वहां भाजपा की सत्ता में वापसी हुई। इसके साथ अरुणाचल प्रदेश में सितंबर 2016 में कांग्रेस सरकार उस समय गिर गई जहां मुख्यमंत्री पेमा खांडू के साथ पार्टी के 44 में 43 विधायक दलबदल कर भाजपा समर्थित फ्रंट में शामिल हो गए। इसके साथ मणिपुर और गोवा में राज्य सरकार विधायकों के दल बदल के कारण गिर गई।
विधायकों के दल बदलने का साया लोकसभा और राज्यसभा चुनाव पर भी पड़ा। साल 2019 के लोकसभा चुनाव के दौरान पांच सांसद भाजपा छोड़कर दूसरे दलों में शामिल हुए। 2016 से 2020 के दौरान कांग्रेस के 7 राज्यसभा सदस्य दूसरी पार्टियों में गए। इस दौरान पार्टी बदलकर फिर से राज्यसभा चुनाव लड़ने वाले 16 राज्यसभा सदस्यों में से 10 भाजपा में शामिल हुए। एडीआर की रिपोर्ट के मुताबिक 2016 से 2020 के बीच देश में कुल 433 विधायक और सांसदों ने दलबदल कर फिर से चुनाव लड़ा।