नई दिल्ली। कोरोना काल में अर्श से फर्श पर गिरे रेलवे ने अपने नुकसान की भरपाई के लिये आम आदमी को निचोड़ना शुरु कर दिया है, कोरोना के नाम पर रेल यात्रियों का तेल निकाला जा रहा है, आदमनी घटने के बीच महंगाई मुंह बाये खड़ी है। अब रेलवे ने पैसेंजर ट्रेनों में यात्री किराए में तीन गुना तक बढोतरी कर दी है, रेलवे की दलील है कि कोरोना की वजह से ये फैसला लिया गया है, तर्क ये है कि किराया ज्यादा रहेगा, तो कम लोग सफर के लिये निकलेंगे।
राजस्व की कमी
कोरोना काल सभी के लिये ना भूलने वाली विपदा रही, लेकिन अर्थव्यवस्था को जो इसने चोट दी, उसकी गूंज लंबे समय तक सुनाई देती रहेगी, रेलवे के यात्री राजस्व में भारी कमी आई है, 2019 में रेलवे ने यात्री राजस्व से 53 हजार करोड़ रुपये इकट्ठा किये थे, 2020 दिसंबर तक यात्री किराये से करीब 4600 करोड़ का ही राजस्व हो सका, एक अनुमान के मुताबिक पिछले वित्तीय साल के समाप्त होने तक इसमें करीब 70 फीसदी का घाटा हुआ।
किराया बढाया
इससे उबरने के लिये रेलवे ने अनूठा तरीका निकाला है, रेलवे ने कम दूरी के सफर पर किराया बढा दिया है, अब कम दूरी की यात्रा वाली ट्रेनों को मेल एक्सप्रेस के तौर पर चलाया जा रहा है, इस फैसले से लोकल यात्रियों की जेब पर दो से तीन गुना तक असर पड़ेगा, जबकि सुविधा उन्हें पैसेंजर ट्रेन की ही मिलेगी, धीरे-धीरे रेलवे पैसेंजर सेवा को बहाल करना शुरु कर दिया है, पूर्व मध्य रेलवे ने 8 मार्च से 13 जोड़ी यानी 26 मेमू पैसेंजर स्पेशल ट्रेन चलाने की घोषणा की है, सीपीआरओ राजेश कुमार का कहना है कि इन ट्रेनों का किराया मेल/एक्सप्रेस के बराबर रखा गया है, जिससे ट्रेनों में यात्रियों की अतिरिक्त भीड़ देखने को नहीं मिलेगी।
नियमित परिचालन नहीं
रेलवे का कहना है कि अभी कोरोना प्रोटोकाल के चलते यात्री ट्रेनों का नियमित परिचालन नहीं हो पा रहा है, यात्री भी कम ही निकल रहे हैं, यात्री राजस्व में धीरे-धीरे बढोतरी होगी, कोरोना काल से पहले की स्थिति में आने में समय लगेगा, ऐसे में माल भाड़ा राजस्व रेलवे का घाटा पूरा करने का काम करेगा, इसके लिये रेलवे ने इस साल अपने माल ढुलाई में उन तमाम चीजों को भी शामिल किया है, जो अभी तक उसके दायरे से बाहर थी।