देहरादून। उत्तराखंड में एक और मुख्यमंत्री की कुर्सी कार्यकाल पूरा होने से पहले ही चली गई. त्रिवेंद्र सिंह रावत भी अपना 5 साल का कार्यकाल पूरा नहीं कर सके और उन्हें 4 साल पूरे होने से 9 दिन पहले ही पद से इस्तीफा देना पड़ गया. हालांकि, रावत उत्तराखंड के दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपनी सरकार के पूरे 5 बजट पेश किए.
कांग्रेस नेता स्वर्गीय नारायण दत्त तिवारी के बाद त्रिवेंद्र सिंह रावत उत्तराखंड के अकेले दूसरे ऐसे मुख्यमंत्री रहे जिन्होंने अपनी सरकार के पूरे 5 बजट पेश किए. हालांकि, वो 4 वर्ष तक ही प्रदेश के मुख्यमंत्री रहे. इससे पहले नारायण दत्त तिवारी (मार्च 2002 से मार्च 2007) ही ऐसे मुख्यमंत्री रहे हैं जिन्होंने पूरे 5 बजट पेश किए थे.
उत्तराखंड की राजनीति की विडंबना यही है कि नारायण दत्त तिवारी के अलावा कोई भी मुख्यमंत्री अपने शासनकाल के पूरे 5 साल शासन नहीं कर सका है. इसका मतलब ये भी है कि बीजेपी को वक्त से पहले ही अपना मुख्यमंत्री बदलना पड़ा है.
CM आवास का ‘टोटका’
मुख्यमंत्री के आवास की भी दिलचस्प कहानी है. नारायण दत्त तिवारी को छोड़ कोई भी मुख्यमंत्री 5 साल पूरा नहीं कर सका. लिहाजा, सीएम आवास में रहे सभी मुख्यमंत्रियों को कार्यकाल (5 साल) पूरा होने से पहले ही विदाई लेनी पड़ गई.
पहले भुवन चंद्र खंडूरी, फिर रमेश पोखरियाल निशंक, फिर भुवन चंद्र खंडूरी, उसके बाद विजय बहुगुणा और फिर हरीश रावत. इनमें से कोई भी मुख्यमंत्री 5 साल पूरे नहीं कर सका. हरीश रावत तो 3 बार मुख्यमंत्री बने लेकिन वह एक बार भी 5 साल पूरा नहीं कर पाए.
हरीश रावत ने जब मुख्यमंत्री आवास को अपने ऑफिस के तौर पर इस्तेमाल करना शुरू किया, उसके कुछ समय बाद उनकी भी सत्ता पहले संकट में आई और उसके बाद चली गई. अब त्रिवेंद्र सिंह रावत को अपने कार्यकाल के 4 साल पूरे होने से 9 दिन पहले ही इस्तीफा देना पड़ गया.