नई दिल्ली। कांग्रेस पार्टी में नेतृत्व को लेकर लगातार सवाल उठते रहे हैं. इस बीच, दिल्ली कांग्रेस ने राहुल गांधी को तत्काल प्रभाव से पार्टी का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव पारित किया है. असल में, दिल्ली प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने मौजूदा राजनीतिक हालातों पर चर्चा के लिए रविवार को वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक बुलाई. इसमें कांग्रेस पार्टी को मजबूत करने और भविष्य की नीतियों पर आवश्यक विचार विमर्श भी हुआ.
इस बैठक में तीन प्रस्ताव सर्वसम्मति से पारित हुए. इनमें राहुल गांधी को कांग्रेस अध्यक्ष के रूप में कार्यभार संभालने का अनुरोध किया गया और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की गई. वहीं कांग्रेस के वरिष्ठ नेता शक्ति सिंह गोहिल ने जारी बयान में कहा कि पार्टी कार्यकर्ताओं को दिल्ली में संगठन को मजबूत करने के लिए मिल-जुलकर ताकत के साथ से काम करना होगा.
बहरहाल, जारी बयान के मुताबिक दिल्ली और देश की बिगड़ते हालात, मौजूदा राजनीतिक और आर्थिक परिस्थितियों पर चर्चा और विचार विमर्श के लिए दिल्ली प्रदेश कांग्रेस कमेटी के अध्यक्ष चौधरी अनिल कुमार ने वरिष्ठ कांग्रेस नेताओं की एक महत्वपूर्ण बैठक प्रदेश कार्यालय राजीव भवन में बुलाई. बैठक में मौजूद नेताओं ने तीन प्रमुख प्रस्तावों को सर्वसम्मति से पारित किया.
शाह और केजरीवाल के इस्तीफे की मांग
प्रस्तावों में राहुल गांधी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस का अध्यक्ष बनाने का प्रस्ताव रखा गया. साथ ही दिल्ली में 26 जनवरी को किसानों की ट्रैक्टर रैली के दौरान हिंसा और दिल्ली की वर्तमान स्थिति के लिए जिम्मेदार बताते हुए गृहमंत्री अमित शाह और दिल्ली के मुख्मंत्री अरविंद केजरीवाल के इस्तीफे की मांग की गई.
‘कार्यभार संभालें राहुल गांधी’
पहले प्रस्ताव में देश में अशांति और अलोकतांत्रिक राजनीतिक परिस्थिति को देखते हुए राहुल गांधी को भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस के अध्यक्ष पद का कार्यभार संभालने का अनुरोध किया गया.
बयान में कहा गया है कि दिल्ली कांग्रेस ने कहा कि आज राहुल गांधी जैसे गतिशील और शक्तिशाली नेता की जरूरत है, उनके नेतृत्व में सांप्रदायिक, सत्तावादी व अलोकतांत्रिक ताकतों का मुकाबला करके देश को विनाश के रास्ते पर जाने से रोका जा सकेगा. प्रस्ताव में यह भी कहा गया कि राहुल गांधी के नेतृत्व में कांग्रेस पार्टी ने तीनों किसान विरोधी कृषि कानूनों का संसद और संसद के बाहर जबरदस्त विरोध किया, और कृषि कानूनों को खत्म करने की मांग के लिए कांग्रेस पार्टी किसानों का समर्थन किया. यह कृषि कानून देश के लिए विनाशकारी होगे, जबकि मोदी सरकार ने कुछ पूंजीपति मित्रों को लाभ पहुचाने के लिए कानून बनाए हैं.