‘गाँवों में जाकर भाजपा को वोट देने के लिए धमका रहे जवान’: BSF ने टीएमसी को दिया जवाब

पश्चिम बंगाल में विधानसभा चुनाव से पहले राजनीतिक हलचल तेज है। इस बीच ममता बनर्जी के नेतृत्व वाली सत्ताधारी तृणमूल कॉन्ग्रेस (TMC) ने सीमा सुरक्षा बल (BSF) पर गंभीर आरोप लगाते हुए उसकी अखंडता और नैतिकता पर सवाल खड़ा करने की कोशिश की है। इसका जवाब देते हुए BSF ने कहा है कि वह एक गैर राजनैतिक ताकत है और सभी नेताओं, सभी दलों का समान रूप से सम्मान करता है।

बीएसएफ ने कहा, “बॉर्डर सिक्योरिटी फोर्स (BSF) एक गैर राजनैतिक फोर्स है। हम सभी नेताओं, सभी पार्टियों का सम्मान करते हैं। हमें राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए बाध्य किया गया है।” बता दें बीएसएफ ने पश्चिम बंगाल के शहरी विकास मामलों के मंत्री और कोलकाता के महापौर फरहाद हाकिम और टीएमसी महासचिव पार्थ चटर्जी द्वारा लगाए गए आरोपों का जवाब दिया है।

गौरतलब है कि TMC नेता पार्थ चटर्जी, फरहाद हाकिम, सुब्रत बख्शी और सुब्रत मुखर्जी ने गुरुवार को चुनाव आयोग से मुलाकात कर आगामी विधानसभा चुनाव से संबंधित मुद्दों पर चर्चा की थी। टीएमसी नेताओं ने चुनाव आयोग के समक्ष कहा कि बीएसएफ के जवान पश्चिम बंगाल के सीमावर्ती क्षेत्रों के गाँवों में जाकर लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए धमका रहे हैं।

टीएमसी नेताओं ने कथित रूप से अवैध प्रवासियों और मतदाता सूची में रोहिंग्या शरणार्थियों के बारे में भाजपा के दावों को लेकर भी चुनाव आयोग से शिकायत की उन्होंने कहा कि अगर यह सच है तो इसमें केंद्र सरकार की गलती है।

बता दें मुख्य निर्वाचन आयुक्त सुनील अरोड़ा बुधवार शाम को आगामी 2021 पश्चिम बंगाल विधानसभा चुनाव से पहले दो दिवसीय दौरे पर ईसी की पूरी पीठ के साथ राज्य में पहुँचे थे।

भारत के चुनाव आयोग के अधिकारियों के साथ हुए बैठक के बाद कोलकाता के मेयर फरहाद हाकिम ने पत्रकारों से बातचीत करते हुए कहा, “हमने चुनाव आयोग (ईसी) को बताया कि भाजपा सीमा के आस-पास के गाँवों में बीएसएफ के जवान भेज रही है। बीएसएफ के जवान गाँवों में जाकर लोगों को भाजपा को वोट देने के लिए धमका रहे हैं। जिसको लेकर मैंने चुनाव आयोग से शिकायत की है। इस पर आयोग ने कहा कि हम इसकी जाँच कराएँगे।”

उल्लेखनीय है कि फरहाद हाकिम वही विवादास्पद टीएमसी नेता हैं, जिन्होंने पहले कोलकाता के मुस्लिम बहुल इलाके को “मिनी-पाकिस्तान” कहा था। सीएए विरोधी दंगों के दौरान मुस्लिम दंगाइयों को शांत करने के लिए, जिन्होंने व्यापक बर्बरता, आगजनी और सार्वजनिक संपत्तियों को नुकसान पहुँचाया था, हकीम ने उन्हें ‘भाई’ का दर्जा दिया था।

भाइयों के रूप में दंगाइयों को संदर्भित करते हुए हाकिम ने दावा किया था कि मुसलमानों द्वारा इस तरह के कृत्यों से बीजेपी को बंगाल की सत्ता में आने में मदद मिलेगी। फिर बंगाल के भी मुसलमानों को यूपी की ही तरह अपना सिर झुका कर जीना होगा। इसके अलावा हाकिम को राज्य में भाजपा कार्यकर्ताओं की क्रूर हत्याओं का मजाक उड़ाते हुए भी पाया गया है।

वहीं पार्थ चटर्जी ने प्रतिनिधिमंडल से मिलने के बाद मीडिया से कहा कि पश्चिम बंगाल खतरनाक स्थिति में है और आयोग को इस पर गौर करना चाहिए।

बता दें स्टेट पोल पैनल केंद्रीय और राज्य नियामक एजेंसियों के अधिकारियों के साथ चर्चा करने से पहले विभिन्न राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों से मिल कर उनकी राय जान रहे हैं। खबरों के अनुसार, राज्य के आगामी विधानसभा चुनावों पर चर्चा के लिए स्टेट पोल पैनल जल्द ही संभागीय आयुक्तों, जिला चुनाव अधिकारियों और वरिष्ठ पुलिस अधिकारियों के साथ एक समीक्षा बैठक करेगा।