कॉन्ग्रेस ने कबूला मुंबई पुलिस ने लीक किया अर्नब गोस्वामी का चैट: जानिए, लिबरलों की थ्योरी में कितना दम

महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री और कॉन्ग्रेस नेता पृथ्वीराज चव्हाण ने स्वीकार किया है कि मुंबई पुलिस ने ही रिपब्लिक टीवी के एडिटर-इन-चीफ अर्नब गोस्वामी के निजी चैट को लीक किया है।

Prithviraj Chavan admits Mumbai Police leaked private WhatsApp chats of Arnab Goswami
Prithviraj Chavan admits Mumbai Police leaked private WhatsApp chats of Arnab Goswami

पृथ्वीराज चव्हाण ने कहा, “मुंबई पुलिस द्वारा जारी किए गए अर्नब गोस्वामी के चैट्स की ट्रांस्क्रिप्ट काफी परेशान कर रही है। राष्ट्रीय सुरक्षा से लेकर संवैधानिक संशोधनों और राजनीतिक नियुक्तियों तक ऐसी संवेदनशील जानकारी की एक्सेस किसने दी?” उन्होंने कहा, “भारत सरकार को पूरी जाँच शुरू करनी चाहिए। साथ ही रक्षा संबंधी संसदीय स्थायी समिति को इस मामले को अत्यंत प्राथमिकता के साथ लेना चाहिए।”

पृथ्वीराज चव्हाण के इस खुलासे के बाद एक बार फिर से उस तरफ ध्यान जाता है जब मुंबई पुलिस और महाराष्ट्र पुलिस अर्नब गोस्वामी को टॉर्चर करने के लिए किस हद तक पहुँच गई थी।

लीक हुई व्हाट्सएप चैट अर्नब गोस्वामी और BARC के पूर्व सीईओ पार्थो दासगुप्ता के बीच चर्चा से संबंधित है। हाल ही में इंटरनेट पर लीक हुई चैट ‘चमत्कारिक रूप से’ सामने आई है और मीडिया में विपक्षी दलों एवं उनके कठपुतलियों के बीच हॉट डिबेट का विषय रहा है। अब ये बात सामने आ गई है कि निजी चैट को मुंबई पुलिस ने ही लीक किया था।

अपनी आदत के अनुसार विपक्षी दल मोदी सरकार के खिलाफ जाते हुए चैट को लेकर जाँच की माँग कर रहे हैं। वो चैट के जिन हिस्सों को लेकर जाँच की माँग कर रहे हैं, वह बालाकोट एयरस्ट्राइक से संबंधित है।

विपक्षी दलों के अनुसार, अर्नब गोस्वामी को हवाई हमलों से तीन दिन पहले ही पता था कि भारत सरकार, पाकिस्तान के खिलाफ कोई ‘बड़ी कार्रवाई’ करने वाली है। लीक हुई चैट में अर्नब कहते हैं, “एक सामान्य हवाई हमले से भी बड़ा हमला होने वाला है और इसी समय कश्मीर पर कुछ बड़ा होने वाला है। पाकिस्तान पर भारत सरकार इस तरह से हमला करने के लिए आश्वस्त है, जिससे लोगों को गौरव महसूस होगा।”

यहाँ एकमात्र समस्या यह है कि विपक्षी दल के राजनेता जो भी आरोप लगा रहे हैं, वह किसी भी आरोप को साबित नहीं करता है। कॉन्ग्रेस सांसद मनीष तिवारी ने ट्विटर पर कहा, “अगर मीडिया का एक वर्ग रिपोर्टिंग कर रहा है, तो यह सही है, यह बालाकोट हवाई हमलों और 2019 के आम चुनावों के बीच सीधे संबंध की ओर इशारा करता है। क्या राष्ट्रीय सुरक्षा को चुनावी उद्देश्यों के लिए नजरअंदाज कर दिया गया था? जेपीसी जाँच की जरूरत है।”

पूर्व केंद्रीय मंत्री पी चिदंबरम ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह से पूछा, “क्या एक पत्रकार (और उनके दोस्त) को वास्तविक एयर स्ट्राइक से तीन दिन पहले बालाकोट शिविर में जवाबी हमले के बारे में पता था? यदि हाँ, तो इस बात की क्या गारंटी है कि उनके ‘सोर्स’ ने दूसरों के साथ-साथ पाकिस्तान के लिए काम करने वाले जासूसों या मुखबिरों के साथ जानकारी साझा नहीं की? ‘For Your Eyes Only’ निर्णय सरकार-समर्थक पत्रकार के पास कैसे पहुँचा?”

टीएमसी सांसद महुआ मोइत्रा ने टिप्पणी की, “व्हाट्सएप चैट का ट्रांसक्रिप्ट स्पष्ट रूप से दिखाता है कि सरकार ने बालाकोट हमलों और धारा 370 को खत्म करने वाले दोनों निर्णय के बारे में टीवी एंकर को पूर्व सूचना दी थी। क्या हो रहा है? क्या मैं अकेली हूँ जो सोचती है कि मोदी-शाह हमें जवाब देते हैं?”

बालाकोट चैट एक नॉन-स्टोरी क्यों है

अर्नब गोस्वामी के चैट केवल भारतीयों के बड़ी उम्मीदों की ओर इशारा करते हैं कि पाकिस्तान को इस बार छोड़ा नहीं जाएगा, उसे मुँहतोड़ जवाब दिया जाएगा। 2016 के सर्जिकल स्ट्राइक से लोगों की उम्मीदें बढ़ गई थी और 2019 तक लोगों ने स्वीकार कर लिया था कि मोदी सरकार सार्वजनिक आक्रोश का दमदार जवाब देगी।

प्रधानमंत्री मोदी द्वारा पुलवामा आतंकी हमले के तत्काल बाद की गई टिप्पणियों ने यह स्पष्ट कर दिया कि इसका परिणाम सामने आएगा। नरेंद्र मोदी ने 15 फरवरी, 2019 को आतंकी हमले के एक दिन बाद कहा था कि लोगों का खून उबल रहा है। आतंकवादियों ने ‘गंभीर गलती’ की है और इसके लिए उन्हें भारी कीमत चुकानी पड़ेगी।

प्रधानमंत्री ने कहा था, “हमारा पड़ोसी देश यह भूल जाता है कि यह (भारत) एक ऐसा देश है, जिसकी नई मंशा और नई नीति है।” पीएम की बातों से स्पष्ट हो रहा था कि भारत कुछ बड़ा करने वाला है।

प्रधानमंत्री मोदी ने हमले के 3 दिन पहले 23 फरवरी को कहा था, “देश के बहादुर सैनिकों पर भरोसा करें और मोदी सरकार पर भरोसा रखें। इस बार सभी को न्याय दिया जाएगा और पूरा न्याय किया जाएगा। प्रधान सेवक आतंक को खत्म करने में व्यस्त है… अगर मेरा आतंक की फैक्ट्री में ताले लगाने की नियति है, तो वह हो।”

इस तरह की टिप्पणियों से स्पष्ट था कि हमला होना निश्चित है। करण थापर ने हिंदुस्तान टाइम्स के लिए अपने 24 फरवरी के कॉलम में भी इस तरफ इशारा किया था कि हमला होना निश्चित है। उन्होंने कहा, “सवाल यह है कि वे कैसे जवाब देंगे? क्या यह एक कदम बढ़ाने का अवसर है, क्योंकि यह मोदी सरकार को शर्मिंदा करेगा या क्या यह उन्हें पुनर्विचार करने का कारण देगा, क्योंकि वे जानते हैं कि मोदी कड़ा जवाब देंगे?”

इतना ही नहीं, पाकिस्तानी प्रधानमंत्री इमरान खान खुद संयुक्त राष्ट्र से इस स्थिति को टालने की दलील दे रहे थे। ऐसी परिस्थितियों में जब नरेंद्र मोदी की टिप्पणियाँ पब्लिक डोमेन में है, तो क्या अर्नब गोस्वामी का चैट किसी साजिश की तरफ इशारा करता है? यह मानना बिल्कुल बेतुका है कि उन्होंने जो कुछ भी कहा, वह प्रधानमंत्री ने पहले जनता के नाम अपने संदेश में नहीं कहा।

कंगना रनौत चैट

एक चैट में अर्नब गोस्वामी ने ऋतिक रौशन को ‘dumb’ और कंगना रनौत को ‘schizophrenic’ कहा। यह चैट 2017 की थी। 2019 में दोनों ने कंगना रनौत पर चर्चा की जब अर्नब गोस्वामी ने उन्हें ‘बड़े पैमाने पर रेटिंग क्रंचर’ कहा।

लोगों ने किसी तरह से इस चैट को कंगना द्वारा 2020 में सुशांत सिंह राजपूत मामले में रिपब्लिक टीवी को दिए गए इंटरव्यू से जोड़ दिया। आकाश बनर्जी भी किसी तरह से 2019 की चैट को सुशांत सिंह राजपूत की मौत से जोड़ते हुए दिखाई देते हैं, जो कि एक हास्यास्पद दावा है।

स्मृति ईरानी चैट

उनकी एक और चैट जिसने बहुत ध्यान आकर्षित किया है, वह यह है कि अर्नब गोस्वामी का कहना था कि स्मृति ईरानी 2017 में नई IB मंत्री होंगी और वह उनके लिए खुश थे, क्योंकि वह उनकी बहुत अच्छी दोस्त हैं। अब, आरोप यह है कि रिपब्लिक टीवी के संपादक को नियुक्ति के बारे में पहले से पता था।

लेकिन उनका यह दावा भी औंधे मुँह गिर जाता है, क्योंकि अर्नब गोस्वामी का चैट प्रधानमंत्री के सोशल मीडिया पर स्मृति ईरानी की नियुक्ति के कम से कम 5 मिनट बाद का है।

नरेंद्र मोदी ने 18 जुलाई 2017 की सुबह 10.51 बजे ट्वीट किया और अर्नब ने इसी दिन के 10.57 बजे पूर्व BARC सीईओ को सूचित किया। अब यह उन लोगों की बौद्धिक क्षमताओं के बारे में क्या कहता है जो इसके आधार पर षड्यंत्रकारी निष्कर्ष पर पहुँच रहे हैं?

चैट लीक करने का असली कारण

मुंबई पुलिस का अर्नब की चैट को लीक करने का असली कारण उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करना था, जिससे कि विपक्षी पार्टियों और उनकी कठपुतलियों को अपने दुश्मन का निंदा करने के लिए अधिक गोला-बारूद उपलब्ध हो सके।

मीडिया और राजनीतिक प्रतिष्ठान में निहित स्वार्थों को आसानी से नजरअंदाज किया जाने वाला मूल संदेश यह है कि चैट में कुछ भी नहीं है। यदि वास्तव में भड़काऊ सामग्री होती, तो निरर्थक साजिश के सिद्धांतों पर ध्यान केंद्रित नहीं किया गया होता।

एक और बात जिसे नजरअंदाज किया जा रहा है वह यह है कि ऐसी कोई भी परिस्थिति नहीं है जिसके तहत मुंबई पुलिस एक पत्रकार की निजी चैट को लीक कर सकती है। यह गोपनीयता का एक बड़ा उल्लंघन है जो कि निंदनीय है। इसके अलावा, लीक हुई चैट से यह भी पता चलता है कि अर्नब गोस्वामी को सरकार के अंदरूनी कामकाज के अलावा सामान्य राजनीतिक रूप से सूचित नागरिकों के बारे में कुछ भी पता नहीं था।

पूरे टीआरपी घोटाले के दौरान महाराष्ट्र सरकार की कार्रवाई गंभीर चिंता का विषय रही है। आरोप लगाए गए हैं कि मुंबई पुलिस गोस्वामी के खिलाफ प्रतिकूल बयान देने के लिए गवाहों के साथ जबरदस्ती कर रही। पार्थो दासगुप्ता के परिवार ने यह भी आरोप लगाया है कि रिपब्लिक टीवी के संपादक के खिलाफ बयान देने के लिए पार्थो को तलोजा जेल में टॉर्चर किया जा रहा है। ऐसी परिस्थितियों में, गोस्वामी के निजी चैट को लीक करना उनकी प्रतिष्ठा को धूमिल करने के लिए उनके खिलाफ मुंबई पुलिस की एक और संवेदनशील कार्रवाई प्रतीत होती है।