खबरों के अनुसार, ED ने बीकानेर बेनामी संपत्ति के मामले में रॉबर्ट वाड्रा और उनके सहयोगी महेश नागर से पूछताछ के लिए उच्च न्यायालय की अनुमति माँगी है। ईडी की अर्जी पर सोमवार को जस्टिस पीएस भाटी की एकलपीठ सुनवाई करेगी।
गौरतलब है कि यह मामला वाड्रा के सहयोगी कंपनी महेश नगर द्वारा कंपनी स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की ओर से जमीन खरीदने से संबंधित है, जिसके ओनर सोनिया गाँधी के दामाद रॉबर्ट वाड्रा हैं। नागर के पास कंपनी द्वारा जारी किया गया पावर ऑफ अटॉर्नी था, जिसके उपयोग से उन्होंने कंपनी की ओर से जमीन की खरीदारी की थी। रिपब्लिक टीवी द्वारा किए गए एक स्टिंग ऑपरेशन में महेश नागर ने कहा था कि रॉबर्ट वाड्रा ने अपने भूमि सौदों के लिए विभिन्न स्रोतों और नामों का इस्तेमाल किया।
इसके अलावा ईडी, वाड्रा की कंपनी द्वारा बीकानेर में किसानों से लूट और धोखाधड़ी कर प्राप्त की गई जमीन के सौदे की भी जाँच-पड़ताल करेगी। बता दें राज्य सरकार ने हस्तांतरित किए गए 374.44 हेक्टेयर जमीन का आवंटन रद्द कर दिया था, जब यह पाया गया कि उसे कथित रूप से ‘अवैध निजी लोगों’ के नाम पर हस्तांतरित किया गया था।
बात दें राज्य पुलिस ने स्थानीय तहसीलदार द्वारा एक शिकायत के आधार पर एफआईआर दर्ज करने के बाद सौदे में जालसाजी का आरोप लगाया था। जिसके तहत ED ने 2015 में इस मामले में धन शोधन निवारण अधिनियम (PMLA) के तहत मामला दर्ज किया था। आरोप है कि स्काईलाइट ने 69.55 हेक्टेयर भूमि को एलेगेनी फिनलीज को 7.41 लाख प्रति हेक्टेयर में बेचा था, लेकिन इसने भूमि को 1 लाख प्रति हेक्टेयर की दर से खरीदा था। महेश नागर ने स्काईलाइट हॉस्पिटैलिटी की ओर से जमीन खरीदी और बेची थी।
उल्लेखनीय है कि भूमि खरीदने के लिए एलेगेनी फिनलेज़ द्वारा इस्तेमाल की गई राशि भूषण पावर एंड स्टील कंपनी (बीएसपीएल) द्वारा दिए लोन से ली गई थी। उसी वर्ष बीएसपीएल को इनकम टैक्स सेटलमेंट कमीशन (ITCS) द्वारा 500 करोड़ की छूट दी गई थी, जिस वजह से इस मामले में शक पैदा हुआ।
इससे पहले ऑपइंडिया ने दस्तावेजों के साथ एक एक्सक्लूसिव रिपोर्ट प्रकाशित की थी, जिसमें बताया गया था कि महेश नागर ने रॉबर्ट वाड्रा की ओर से खरीद दस्तावेजों पर हस्ताक्षर किए थे। उसने कहा था कि उसे एचएल पाहवा से पैसा मिला था जो गाँधी-वाड्रा परिवार के जमीन के सौदों से करीब से जुड़ा हुआ था।