रुबीना सुलेमान मेमन को बॉम्बे हाई कोर्ट ने 31 दिसंबर 2020 को पेरोल पर जेल से बाहर जाने की इजाजत दे दी। उसने बेटी की शादी का हवाला देते हुए पेरोल माँगी थी। 1993 में मुंबई में हुए धमाकों में रुबीना उम्रकैद की सजा काट रही है। 8 जनवरी 2021 को उसकी बेटी की शादी होनी है।
न्यायाधीश एसएस शिंदे और न्यायाधीश अभय आहूजा की पीठ ने बेटी के मानवाधिकारों को मद्देनज़र रखते हुए पैरोल की अनुमति दी। न्यायालय ने अपने आदेश में कहा, “पहले बताए गए हालातों और बेटी के मानवाधिकारों को देखते हुए हम पेरोल याचिका स्वीकार कर रहे हैं।”
Bombay High Court on 31st December allowed 6 days parole to 1993 Mumbai Blasts convict Rubina Suleman Memon for her daughter’s marriage in Mumbai on 8th Jan.
Rubina was convicted by Special TADA court for life imprisonment in 2006 & had been in jail for 13 years.
— ANI (@ANI) January 3, 2021
रुबीना मेमन ने यरवदा सेंट्रल जेल में पेरोल के लिए आवदेन किया था। लेकिन अधिकारियों ने इस पर कोई फैसला नहीं लिया। इसके बाद उसने हाईकोर्ट में अर्जी डाली। जब हाईकोर्ट ने इस याचिका पर सुनवाई के लिए सहमति जताई तब पुलिस ने अदालत को बताया कि 2 दिन की पेरोल दी गई है। इसके अलावा पेरोल पर रिहाई के पहले पुलिस बंदोबस्त का भुगतान किया जाना भी ज़रूरी है। न्यायालय ने पुलिस का पक्ष सुनने के बाद मामले की सुनवाई 31 दिसंबर 2020 को तय की थी।
31 दिसंबर को रुबीना की वकील फरहाना ने निवेदन किया था कि अदालत रुबीना को अपनी बेटी की शादी में शामिल होने के लिए कम से कम सात दिन की पेरोल दे। अदालत के सामने ये दलील भी पेश की गई कि 13 साल के कारावास में रुबीना को कभी पेरोल नहीं दी गई। अदालत ने जेल के भीतर रुबीना के व्यवहार की जानकारी लेते हुए उसे 6-11 जनवरी तक पेरोल की अनुमति दी। रुबीना को पेरोल पर रिहाई से पहले पुणे के पुलिस मुख्यालय में 1 लाख रुपए भी जमा करने होंगे।
कौन है रुबीना मेमन?
रुबीना मेमन 1993 मुंबई बम धमाकों के मामले में दोषी है। फ़िलहाल वह यरवदा सेंट्रल जेल में आजीवन कारावास की सज़ा भुगत रही है। इन बम धमाकों में 257 लोगों की जान गई थी और लगभग 700 लोग घायल हुए थे। वह इस मामले के मुख्य आरोपित टाइगर मेमन की भाभी है। रिपोर्ट्स के मुताबिक़ टाइगर मेमन फ़िलहाल पाकिस्तान में छुपा हुआ है। 2006 में रुबीना को ‘आतंकवादी और विघटनकारी गतिविधियाँ (रोकथाम) अधिनियम’ (TADA) के तहत दोषी पाया गया था।
2015 में अदालत ने रुबीना की कुछ दिनों के अवकाश की याचिका खारिज की थी। ऐसा करते हुए हाईकोर्ट ने कहा था, “अगर उसे (रुबीना) को रिहा किया जाता है जो काफी लोग उससे मिलने के लिए आएँगे। इसकी वजह से क़ानून-व्यवस्था के लिए समस्या खड़ी होगी। ख़ास कर इस बात को ध्यान में रखते हुए कि याकूब मेमन की अंतिम यात्रा में किस तरह लोगों की भीड़ इकट्ठा हो गई थी।”