लखनऊ। कॉन्ग्रेस के वफादार साकेत गोखले ने हाथरस केस से जुड़े लोगों के नार्को/पॉलीग्राफ टेस्ट पर रोक लगाने के लिए इलाहाबाद उच्च न्यायालय का रुख किया है। बता दें, यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ ने शुक्रवार (2 अक्टूबर 2020) को इस मामले के शिकायतकर्ता, आरोपितों और इससे जुड़े पुलिसकर्मियों के टेस्ट का ऑर्डर दिया था।
गोखले ने अपनी याचिका में अदालत से हाथरस मामले के पीड़ित परिवार के नार्को टेस्ट पर तत्काल रोक लगाने का आग्रह किया है।
कॉन्ग्रेस समर्थक गोखले के अनुसार नार्को टेस्ट एक तरह से पीड़ित परिवार के साथ जबरदस्ती करना है। इसका मकसद कोर्ट के समक्ष गवाही के वक्त उन्हें भयभीत करना है।ताकि परिवारवालों को न्यायालय के सामने गवाही के समय भयभीत किया जा सके। गोखले ने कहा कि यह “जबरदस्ती” न्यायालय के आदेशों का उल्लंघन है।दायर याचिका में कहा गया है, “पीड़ित परिवार का नार्को टेस्ट प्राकृतिक न्याय के सभी सिद्धांतों के खिलाफ है, क्योंकि उन पर कोई आरोप नहीं है। पीड़ित परिवार के साथ ऐसा करना एक तरह की जोर-जबरदस्ती है।”
इलाहाबाद हाई कोर्ट ने मामले में सुनवाई की तारीख 12 अक्टूबर तय की है। उम्मीद है कि इस दिन गवाही देने के पीड़ित परिवार अदालत में पेश होंगे। गौरतलब है कि उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ ने हाथरस मामले में निष्पक्ष और गहन जाँच को सुनिश्चित करने के लिए मामले में शामिल सभी लोगों पर नार्को टेस्ट कराने का फैसला किया था।
सीएम योगी ने कल ही ट्वीट कर कहा था कि उत्तर प्रदेश में महिलाओं को किसी भी प्रकार की नुकसान पहुँचाने की सोच रखने वालों को किसी तरह बख्शा नहीं जाएगा। वहीं हाथरस मामले में योगी सरकार ने प्राथमिक जाँच की रिपोर्ट के आधार पर प्रशासन द्वारा बरती गई लापरवाही पर सख्त रुख अपनाते हुए हाथरस के एसपी, डीएसपी, इंस्पेक्टर और कुछ अन्य अधिकारियों को निलंबित करने का भी निर्देश दिया था।
उल्लेखनीय है कल हाथरस केस में कुछ ऑडियो भी लीक हुए थे। इनमें हुई बातचीत से पता चलता है कि राज्य में भाजपा सरकार को नीचा दिखाने के लिए राजनेता और मीडिया इस मुद्दे का राजनीतिकरण करने की कोशिश कर रहे हैं। पहले प्रकाशित की गई एक रिपोर्ट में हमने खुलासा किया था कि किस तरह इंडिया टुडे की पत्रकार तनुश्री पांडे द्वारा मृतका के भाई को झूठ और भावनात्मक ब्लैकमेल के साथ उकसाने का प्रयास किया गया था।
वहीं एक अन्य ऑडियो में एक अज्ञात व्यक्ति मृतका के भाई संदीप से बात कर रहा है। वह उनसे कह रहा है कि वो घर से कहीं न जाएँ, क्योंकि कॉन्ग्रेस की वरिष्ठ नेता प्रियंका गाँधी उनके घर आने वाली हैं। इस बातचीत में व्यक्ति यह भी कहते सुना जा सकता है:
“अगर कोई भी तुम्हें कहीं भी लेकर जाता है, तो तुम्हें कहीं नहीं जाना है, अब प्रियंका गाँधी घर आएँगी। कोई कहता है कि तुम्हें हाथरस जाना है, यहाँ जाना है -वहाँ जाना है, तुम्हें कहीं नहीं जाना है। उन्हें (प्रियंका गाँधी को) बताना है- पुलिस प्रशासन दबाव बना रहा है। मीडिया को आने नहीं दे रहा। रिश्तेदारों को आने नहीं दे रहा । कहना है ये हमारे प्रोटेक्शन में लगा रखे हैं या ठाकुरों के प्रोटेक्शन में। ठीक है, ये सब उनको बताना है।”
बातचीत की शुरुआत में ही संदीप इस व्यक्ति को कहता है कि “एसआईटी उनके घर आई हुई और कोई ‘संजय भैया’, संदीप के पिता और दो अन्य लोग कुछ कॉन्ग्रेस कार्यकर्ताओं के साथ उनके पास बैठे हैं। फिर वह आदमी संदीप से कहता है, “ठीक है, कहीं मत जाना। अब प्रियंका गाँधी आएँगी और उन्हें बताना कि तुम पर दबाव बनाया गया है और तुम इसका वीडियो बनाना चाहते हो।”
गौरतलब है कि यह पहली बार नहीं है जब गोखले ने इस तरह की याचिका कोर्ट में दायर की है। इससे पहले भी गोखले ने राम मंदिर भूमिपूजन को रोकने के लिए कोर्ट का रुख लिया था। स्वघोषित पत्रकार साकेत गोखले की ओर से दाखिल PIL में कहा गया था कि राम मंदिर निर्माण के लिए भूमि पूजन कोरोना के अनलॉक-2 गाइडलाइन का उल्लंघन है। कोर्ट ने इसे खारिज करते हुए कहा था कि याचिका केवल आशंकाओं पर आधारित है, इसमें तथ्य नहीं हैं।