सीबीआई की स्पेशल कोर्ट ने अयोध्या बाबरी विध्वंस मामले में फैसला सुनाते हुए सभी 32 आरोपितों को बरी कर दिया और साथ ही कहा कि ये घटना पूर्व-नियोजित नहीं थी, अचानक घट गई – इसके बाद लिबरल गैंग का ‘मेल्टडाउन’ का दौर चालू हो गया है। लालकृष्ण आडवाणी, मुरली मनोहर जोशी, उमा भारती और महंत नृत्यगोपालदास सहित सभी आरोपित बरी कर दिए गए। कोर्ट ने कहा कि संगठन ने रोकने की कोशिश की लेकिन ये घटना अचानक घट गई।
इधर इस मामले में फैसला आने के साथ ही सोशल मीडिया पर लिबरल गिरोह का रोना चालू हो गया है। राम मंदिर भूमिपूजन से बौखलाए लिबरल इस ताक में थे कि अयोध्या बाबरी ध्वंस मामले में भाजपा नेताओं को जेल होगी लेकिन अफ़सोस कि कोर्ट सोशल मीडिया से नहीं, गवाहों-सबूतों और संविधान के हिसाब से चलता है। यहाँ हम आपके समक्ष लिबरल गैंग के क्रंदन भरे शब्द पेश कर रहे हैं, आनंद लीजिए।
पेश है बॉलीवुड की ‘क्वीन’ और सबसे ‘बड़ी स्टार’ स्वरा भास्कर का ट्वीट:
पत्रकार अभिलाष मोहनन ने तंज कसते हुए लिखा, “बाबरी मस्जिद को किसी ने भी नहीं ध्वस्त किया। लॉन्ग लिव इंडियन जुडिशरी।” खुद को भारतीय मुसलमानों का अख़बार बताने वाले ‘मिल्ली गैजेट’ ने लिखा, “इंसाफ हो गया ना भाई?” PFI महसचिव अनीश अहमद ने लिखा, ‘सभी आरोपितों को बरी कर कोर्ट ने साबित कर दिया है कि किसी ने भी बाबरी को ध्वस्त नहीं किया। सुप्रीम कोर्ट के जजमेंट ने न्याय को ध्वस्त किया तो सीबीआई कोर्ट ने इसे दफ़न कर डाला।‘
बता दें कि आज ये फैसला सुनाने के साथ ही जज सुरेंद्र यादव रिटायर हो रहे हैं। कोर्ट की कार्यवाही निर्बाध चलती रहे और मामला न लटके, इसीलिए उन्हें रिटायर होने के बावजूद एक्सटेंशन दिया गया था। प्रोपेगंडा पत्रकार आरफा खानुम शेरवानी ने पूछा कि दंगों में 1800 लोगों को किसे मारा? उन्होंने पूछा कि भारत की आत्मा के साथ अपराध करने के लिए कौन जिम्मेदार है? उन्होंने भी कोर्ट पे सवाल उठाए।
पत्रकार हरिंदर ने दावा किया कि पहले तो सुप्रीम कोर्ट ने अयोध्या के बाबरी विध्वंस को ‘आपराधिक कृत्य’ कहा था लेकिन अब 28 वर्षों बाद ‘अचानक हुई घटना’ बताया जा रहा है। उन्होंने ये नहीं बताया था कि सुप्रीम कोर्ट ने ये नहीं कहा था कि ‘इन्हीं आरोपितों ने बाबरी को ध्वस्त किया’। वहीं प्रोपगंडा पत्रकार राना अयूब ने लिखा, “Yee..न्याय..भारत के स्टाइल में“। साथ ही उन्होंने लिखा कि हम साँस भी नहीं ले सकते।
इसी तरह ‘एडिटरजी’ के संस्थापक विक्रम चंद्रा ने दावा किया कि सभी आरोपितों को रिहा कर दिया गया, जबकि कइयों के ऊपर लगे आरोप दूसरों से ज्यादा गंभीर थे। उन्होंने दावा किया कि कुछ ने तो अपने किरदार के बारे में सार्वजनिक रूप से बताया भी था।वहीं ‘द हिन्दू’ की पत्रकार सुहासिनी हैदर ने लिखा, “किसी ने कुछ भी नहीं किया, ये बस हो जाता है।” वकील प्रशांत भूषण ने लिखा, “वहाँ कोई मस्जिद ही नहीं था, ये नए भारत का न्याय है।”
लिबरल क्रन्दन के क्रम में मराठी पत्रकार निखिल वागले ने दावा किया कि अयोध्या में बाबरी मस्जिद का विध्वंस भारतीय संविधान पर सबसे गंभीर हमला था। उन्होंने दावा किया कि अगर हम दोषियों को सज़ा नहीं दे सकते तो हमें खुद को सेक्युलर राष्ट्र बताना बंद कर देना चाहिए। उन्होंने लिखा, “हिन्दू राष्ट्र में आपका स्वागत है!” उन्होंने कहा कि ये किसी भी अपराध के लिए ‘ओपन लाइसेंस’ की तरह है।
वहीं खुद को एक्टिविस्ट बताने वाले तीस्ता सेतलवाड़ ने लिखा, ‘RIP भारतीय संविधान!‘ साथ ही उन्होंने लिखा कि ये सब पोस्ट-ट्रुथ है कि ये नेता लोग भीड़ को भड़का नहीं रहे थे बल्कि उन्हें रोकने की कोशिश कर रहे थे।
इधर देश के क़ानून मंत्री रविशंकर प्रसाद भी पूर्व उप-प्रधानमंत्री लालकृष्ण आडवाणी के घर पर पहुँचे और उन्हें बधाई दी। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह और भाजपा अध्यक्ष जेपी नड्डा ने भी ट्वीट कर इस फैसले पर ख़ुशी जताई।