शिव को प्रिय श्रावण मास 300 साल बाद दुर्लभ संयोग में आ रहा है। सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र में शुरू हो रहे श्रावण का समापन तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर सोमवार के दिन उत्तराषाढ़ा नक्षत्र की साक्षी में ही होगा। एक माह में पांच सोमवार, दो शनि प्रदोष और हरियाली सोमवती अमावस्या का आना अपने आप में अद्वितीय है। ज्योतिषियों के अनुसार श्रावण मास में ग्रह, नक्षत्र व तिथियों का ऐसा विशिष्ट संयोग बीती तीन सदी में नहीं बना है।
रक्षाबंधन पर दिनभर है श्रवण नक्षत्र
सोमवार के दिन पुष्य नक्षत्र का आना सोम पुष्य कहलाता है। अमावस्या की रात सोमपुष्य के साथ सर्वार्थसिद्घि योग मध्य रात्रि साधना के लिए विशेष है। 27 जुलाई को चौथे सोमवार पर सप्तमी उपरांत अष्टमी तिथि रहेगी। साथ ही चित्रा नक्षत्र व साध्य योग होने से यह सोवार संकल्प सिद्घि व संकटों की निवृत्ति के लिए खास बताया गया है। रक्षाबंधन पर दिन भर श्रवण नक्षत्र श्रावणी पूर्णिमा रक्षा बंधन पर सुबह उत्ताराषाढ़ा के बाद श्रवण नक्षत्र रहेगा। तीन अगस्त को रक्षाबंधन पर श्रवण नक्षत्र का होना महा शुभफलदायी माना जाता है। इस नक्षत्र में भाई की कलाई पर राखी बांधने से भाई, बहन दोनों के लिए यह दीर्घायु व सुख समृद्घि कारक माना गया है।
सुबह फलाहार..शाम को नैवेद्य
महाकाल मंदिर के पं. महेश पुजारी ने बताया कि आम दिनों में सुबह 10.30 बजे भोग आरती में भगवान को दाल, चावल, रोटी, सब्जी, मिष्ठान्न आदि का नैवेद्य लगाया जाता है, लेकिन शनि प्रदोष पर अवंतिकानाथ उपवास रखते हैं। इस दिन सुबह भोग आरती में भगवान को फलाहार में दूध अर्पित किया जाता है। शाम 7.30 बजे संध्या आरती में भगवान को नैवेद्य लगाया जाता है। सुबह मंदिर के गर्भगृह में 11 ब्राह्मण वेद ऋ चाओं से भगवान का अनुष्ठान पूजन करते हैं। इस बार श्रावण मास में 18 जुलाई व एक अगस्त को दो दिन शनि प्रदोष का संयोग बन रहा है। श्रावण में एक साथ दो शनि प्रदोष शिव साधना, उपासना की दृष्टि से महत्वपूर्ण मानी गई है।