प्रयागराज। कोरोना से जंग में तकनीकी को अब प्रमुख हथियार के तौर पर इस्तेमाल करने की तैयारी है। प्रयागराज के मोतीलाल नेहरू राष्ट्रीय प्रौद्योगिकी संस्थान (एमएनएनआइटी) ऐसा सेंसरयुक्त कोविड बेड बनाने की तैयारी में जुटा है, जिसे महज 10 मिनट में सैनिटाइज कर दोबारा उपयोग में लाया जा सकेगा। प्रोजेक्ट से जुड़े विज्ञानियों ने बताया कि कोविड अस्पताल में लगाए गए बेड पर कोरोना संक्रमित मरीजों का उपचार होने के बाद बेड से वायरस के संक्रमण का खतरा रहता है।
ऐसे में अब अस्पतालों के लिए सेंसरयुक्त पोर्टेबल कोविड बेड तैयार किया जा रहा है। अप्रैल में संस्थान के विज्ञानियों ने प्रोजेक्ट तैयार कर नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी (एनआइटी) को प्रस्ताव भेजा। वहां से हरी झंडी मिलने के बाद कोविड बेड तैयार करने की कवायद शुरू कर दी गई है। कोविड बेड का मॉडल तैयार कर लिया है। यह फोल्ड किया जा सकेगा।
अल्ट्रा वायलट रेज का इस्तेमाल: इस बेड में विशेष प्रकार की सीट का प्रयोग किया जाएगा। इस सीट से वार्ड में ही बेड को आसानी से ऊपर से ढंककर विसंक्रमित किया जा सकेगा। इसके अलावा बेड में गीयर और मोटर मैकेनिज्म का प्रयोग किया जाएगा। इसके जरिए बेड में लगे पाइप की मदद से पराबैगनी तरंगों (अल्ट्रा वायलट रेज) का इस्तेमाल किया जाएगा। इस तरंग से भी पूरे बेड को विसंक्रमित किया जा सकेगा। भारत सरकार की ओर से प्रमाणित रसायनों का प्रयोग भी विसंक्रमण प्रक्रिया में इस्तेमाल किया जाएगा। टीम के लीडर प्रो. आरपी तिवारी ने बताया कि संस्थान के एप्लाइड मैकेनिक विभाग के डॉ. आशुतोष मिश्र ने यह प्रोजेक्ट तैयार किया है। टीम में विभागाध्यक्ष डॉ. रमेश पांडेय, डॉ. अभिषेक तिवारी और शोध छात्र सजल कुमार बाबू का भी योगदान है।
करीब दो माह में तैयार होगा बेड: डॉ. आशुतोष मिश्र ने बताया कि कोविड बेड तैयार करने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। इसका ढांचा तैयार कर लिया गया है। अब इसमें तकनीकी का प्रयोग करना है। महज 30 हजार रुपये की लागत में यह बेड करीब दो माह के भीतर तैयार कर लिया जाएगा। इसके बाद इसका परीक्षण किया जाएगा। परीक्षण में सफलता मिलने पर स्वास्थ्य विभाग से इसके उपयोग के लेकर वार्ता की जाएगी। इससे कोविड अस्पताल में कर्मचारियों के संक्रमित होने का खतरा खत्म हो जाएगा। इसके साथ ही वायरस खत्म होने और न होने का संदेह भी दूर हो जाएगा।
अभी कोविड अस्पताल में यह है व्यवस्था: कोरोना वायरस संक्रमण नियंत्रण के नोडल अधिकारी डॉक्टर ऋषि सहाय कहते हैं कि कोविड अस्पताल में अभी मरीज के डिस्चार्ज होने के बाद चादर और तकिया बदल दिया जाता है। इस्तेमाल किए गए चादर को विसंक्रमित करने में 24 घंटे का वक्त लग रहा है। यदि एमएनएनआइटी का कोविड बेड सफल रहा तो वाकई बेड से वायरस के संक्रमण का खतरा पूरी तरह समाप्त हो जाएगा।
संस्थान के शिक्षकों और छात्रों की ओर से किया जा रहा यह बेहतर प्रयास है। देश को कोरोनामुक्त बनाना हम सबका प्रयास है। ऐसी ही प्रयासों से कोरोना हारेगा और भारत जीतेगा।
– प्रो. राजीव त्रिपाठी, निदेशक, एमएनएनआइटी